
होमगार्ड विभाग के मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद्र कटियार बनें गुमराहबाज अफसर…

होमगार्ड विभाग : कटियार साहेब आप जनसूचनाधिकारी हैं या ढपोरशंखी ?
द संडे व्यूज ने सीटीआई,रामनगर वाराणसी से मांगी सूचना-
1- डीटीसी,रामनगर,वाराणसी में 2019-20 में चलने वाले ट्रेनिंग में कर्मचारियों के टीए-डीए में कितना हुआ खर्च?
2 -2019-20 में डीटीसी,रामनगर,वाराणसी में होने वाले ट्रेनिंग को कितनी बार डीटीसी,लखनऊ चलाया गया ?
3- डीटीसी,रामनगर,वाराणसी के ट्रेनिंज जो लखनऊ में ट्रेनिंग करने गये,उन पर टीए-डीए पर कितना खर्च हुआ ?
संजय पुरबिया
लखनऊ। यूपी के होमगार्ड विभाग में अधिकारी, सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली की धज्जियां तो उड़ाते ही हैं,अब आरटीआई द्वारा मांगी गयी सूचना में ऐसा जवाब दे रहे हैं कि आयोग के अध्यक्ष भी सुनकर चौंक जायें। जी हां, डीटीसी,रामनगर,वाराणसी में लंबे समय से जवानों को ट्रेनिंग नहीं दी जा रही थी,जबकि यहां पर सबसे बड़ा ट्रेनिंग सेंटर है। यहां के जवानों को मुख्यालय के अफसर डीटीसी, लखनऊ बुलाकर ट्रेनिंग कराते रहें। इस तरह से मुख्यालय के अफसर प्रति वर्ष सरकार को ट्रेनिंग पर आने वाले होमगार्डों के टीए-डीए के नाम पर लाखों रुपये की चपत लगाते रहें। इस बात की जानकारी द संडे व्यूज़ को लगी। इस पर एक आरटीआई दाखिल किया और डीटीसी,रामनगर,वाराणसी के मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद्र कटियार से जवाब मांगा कि सूचना के अधिकार के तहत मुझे इस बात की जानकारी दें कि वर्ष 2019-20 में चलने वाले सभी ट्रेनिंग में ट्रेनिंग कराने वाले कर्मचारियों को पूरे वर्ष का टी.ए.-डी.ए. के रुप में कितना खर्च हुआ,वर्ष 2019-20 में ही डीटीसी,रामनगर,वाराणसी के कितने जवानों की ट्रेनिंग डीटीसी,लखनऊ पर चला और वर्ष 2019-20 में डीटीसी,रामनगर,वाराणसी के ट्रेनिंग जिनका सीटीआई,लखनऊ में ट्रेनिंग कराया गया कितना धन खर्च हुआ,बतायें…। इसके जवाब में डीटीसी, रामनगर,वाराणसी के मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद्र कटियार ने 4 फवरी 2021 को मुझे जो जवाब दिया,उसे देखें- कटियार साहेब ने अपने भेजे गये पत्र में जवाब दिया है कि चूंकि आप द्वारा मांगी गयी सूचना काफी वृहद स्तर की है एवं स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। अत: आप किसी भी कार्य दिवस में मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र,वाराणसी पर आकर क्या-क्या सूचना चाहिये,उसका अवलोकन कर लें…।
कटियार साहेब, द संडे व्यूज़ और इंडिया एक्सप्रेस न्यूज़ डॉट कॉम का सवाल आपसे है कि सूचना अधिनियम की किस धारा में उल्लेख है कि कार्यालय में आकर अभिलेखों का अवलोकन करें, बताने का कष्ट करें ? सूचना अधिनियम के धारा 8 में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है कि कार्यालय जाकर सूचना लें। कार्यालय में जाकर वही सूचनायें ली जा सकती है जो शिलालेख पर हो,दिवारों पर अंकित हो या इतना वजनी हो कि उसे उठाया ना जा सके। कटियार साहेब क्या मेरे द्वारा मांगी गयी सूचना उक्त तीनों परिधि में आती है? क्या आपने धारा 8 में वर्णित अपवादों का अध्ययन किया है ? क्या आपने शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 का अध्ययन किया है ? कोई बात नहीं,यदि अध्ययन नहीं किया है तो फिर इतने कन्फ्यूज क्यों हैं ? मंडलीय मंडलीय गिरिश चंद्र कटियार मुझे लग रहा है कि या तो आप विवेकशून्यता के शिकार हैं या आपको सलाह देने वाले बाबू धूर्त व मक्कार हैं।
कोई बात नहीं हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरटीआई से जवाब मांगने का सबसे ताकतवर हथियार सभी हिन्दुस्तानियों को दिया है,उसी के तहत मैंने भी आपसे जवाब मांगा लेकिन आपने गुमराह कर होमगार्ड मंत्री को भी शर्मशार करने का काम किया है। लेकिन सरकार ने सही सूचना उपलब्ध कराने के लिये राजधानी में न्यायप्रिय सूचना आयोग को बिठाया है। द संडे व्यूज़ वहां अपील कर होमगार्ड विभाग में ट्रेनिंग के नाम पर कई सालों से डीटीसी,रामनगर,वाराणसी में चल रहे भ्रष्टाचार और सरकारी धन का टीए-डीए के नाम पर किये गये लूट का खुलासा करेगा। कटियार साहेब मुझे आपका जवाब पढक़र शर्म आ रहा है…। आप डायरेक्टर मंडलीय कमांडेंट बने हैं या फिर प्रमोटी हैं ? आपके जवाब देने के अंदाज से यही लग रहा है कि आप प्रमोटी ही हो सकते हैं,वर्ना ऐसा जवाब तो ना ही देतें…।
बता दें कि रामनगर ट्रेनिंग सेंटर पर सिर्फ शौचालय ना होने की वजह से वहां पर सीटीआई पर तैनात अधिकारी अपना बला टालने के चक्कर में होमगार्डों को ट्रेनिंग नहीं कराते थे। डीटीसी,लखनऊ में ट्रेनिंग होने पर यहां के अधिकारियों को जवानों को घटिया खाना,पानी की तरह दाल खिलाने के एवज में ठीक-ठाक जेब गरम हो जाता था।