वाह रे सरकार : कार यू.पी.-32 बी.जी.5089 का भुगतान हुआ नहीं,गिरीश पाण्डेय हो गये बर्खास्त!

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  •   – मुख्यमंत्री जी,बिन घोटाले कर दी बर्खास्तगी ?
  •  – नहीं मिला न्याय तो मुख्यमंत्री आवास पर परिवार के साथ करेंगे आत्मदाह !
  • – डीजीसी,क्रिमिनल की रिपोर्ट: गिरीश पाण्डेय हैं बेगुनाह, दोषी हैं- बृजभान प्रसाद,भूपेन्द्र प्रताप,उबेदुर्रहमान
  •  – साहेबान,जब कार की मरम्मत ही नहीं हुयी तो कैसा घोटाला
  • – कानून मंत्री कहिन : गिरीश पाण्डेय के साथ हुआ अन्याय,मिलेगा इंसाफ..
  • – डीजी कहिन : विभागीय अफसरों की द्वंदता के शिकार हुये,कुछ करते हैं…

 

 

     संजय पुरबिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सभी प्रमुख चौराहों पर बड़े-बड़े  होर्डिंग लगे हैं जिस पर लिखा है ‘सोच ईमानदार, काम दमदार’…। मुख्यमंत्री जी,आपकी ‘सोच’ ईमानदार है,इसमें किसी को संदेह नहीं लेकिन सूबे के नौकरशाह ‘ईमानदार’ नहीं हैं। इनकी ईमानदारी पर प्रदेशवासियों को ‘संदेह’ है। सोचिये, आपके पास जो विभाग है,वहां जब अधिकारी पेशबंदी कर बेगुनाह अवर अभियंता को बर्खास्त करा देते हैं, तो बाकियों के साथ क्या होता होगा बताने की जरूरत नहीं…। जी हां, बात उस होमगार्ड विभाग की कर रहे हैं,जिसके मंत्री भी मुख्यमंत्री जी ‘आप’ ही हैं। हालांकि ये विभाग अपनी कार्यशैली से बेहद बदनाम तो रहा ही है लेकिन आजकल यहां पर अफसरों के तुगलकी फरमान ने आपकी सोच पर कुठाराघात करने का काम किया है। जेल रोड पर होमगार्ड मुख्यालय है। यहां पर तैनात अवर अभियंता (मोटर अनुरक्षण) एमटी गिरीश पाण्डेय को मेसर्स क्लासिक मोटर्स में विभागीय कार नंबर यू.पी.32 बी.जी. 5089 के मरम्मत में हुये खर्च 1,12,631 रुपये (एक लाख बारह हजार छ:सौ इकत्तीस रुपये) का घोटाला करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस विभागीय कार के मरम्मत में गिरीश पाण्डेय को बर्खास्त किया,उसका भुगतान मुख्यालय द्वारा आज तक नहीं किया गया। बड़ा सवाल है जब चवन्नी का भुगतान नहीं हुआ तो किस आधार पर पाण्डेय जी को बर्खास्त किया गया ? सवाल यह भी है कि मुख्यालय के अफसर जिस अवधि में कार मरम्मत में हुये घोटाले को दिखा रहे हैं, उस अवधि में पाण्डेय जी अवकाश पर थे और अपने गांव (मऊ) में रामायण करा रहे थे। क्या पाण्डेय जी का भूत आकर घोटाला कर गया ? यदि पाण्डेय जी ने कार बनवाने में घोटाला किया है तो आठ साल बाद मुख्यालय के अफसरों की नींद क्यों खुली ?

 

खैर,सवाल तो बहुतेरे हैं लेकिन बर्खास्तगी की सजा मिलने के बाद गिरीश पाण्डेय कानून मंत्री बृजेश पाठक से मिलें और अपनी आपबीती सुनायी। कानून मंत्री भी दंग रह गये। उन्होंने डीजी विजय कुमार से बात की। डीजी ने कानून मंत्री से कहा कि ‘ये विभागीय अफसरों के द्वंदता में फंस गये हैं’। उसके बाद डी.जी. विजय कुमार ने डी.जी.सी.,क्रिमिनल से इस घोटाले की जांच करायी। चौंकाने वाली बात यह है कि डी.जी.सी.,क्रिमिनल की जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा है ‘गिरीश पाण्डेय निर्दोष हैं क्योंकि इनके खिलाफ कोई साक्ष्य पत्रावली में मौजूद नहीं पाया गया है। इसलिये इस क्रम में कोई भी आरोप गिरीश पाण्डेय के विरुद्ध सीधे नहीं बनता है। जिसकी वजह से पाण्डेय जी के खिलाफ कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है’। इतना ही नहीं,आर.टी.आई. से मांगे गये जवाब में मुख्यालय पर तैनात जेएसओ अवनीश सिंह ने 26 नवंबर को जवाब दिया ‘एम्बेसडर कार नंबर यू.पी.32 बी.जी. 5089 की मरम्मत का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है’।  चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2012 में जिस विभागीय कार में मरम्मत कराने के नाम पर हुये एक लाख बारह हजार छ:सौ इकत्तीस रुपये का घोटाला दिखाकर एक अवर अभियंता को बर्खास्त किया गया,उसका लगभग आठ साल बाद भी भुगतान नहीं किया गया…। ये मैं नहीं मुख्यालय पर बैठे जेएसओ ने लिखित तौर पर दिया है। अरे भईया,जब भुगतान हुआ ही नहीं तो किस बात का घोटाला और ‘कईसन घोटाला’ गुरुजी…। इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि मुख्यालय पर डीजी विजय कुमार और उनकी पूरी टीम है,क्या ये लोग ‘धृतराष्ट’ बन गये हैं ? इन नौकरशाहों की कारस्तानी से आहत गिरीश पाण्डेय न्यायालय की शरण में चले गये हैं।

बकौल गिरीश पाण्डेय,‘मुझे षडय़ंत्र के तहत मुख्यालय पर तैनात डीआईजी रंजीत सिंह,एसएसओ सुनील कुमार ने फंसाया है और इसमें उनका पूरा साथ डीजी विजय कुमार ने दिया है’। श्री पाण्डेय ने कहा ‘मैंने मुख्यमंत्री दरबार सहित कानून मंत्री से लेकर सरकार के कई माननीयों के यहां अपनी फरियाद रखी,अभी तक न्याय नहीं मिला। यदि इंसाफ नहीं मिला तो मैं मुख्यमंत्री आवास के सामने अपने परिवार के साथ कर आत्मदाह कर लूंगा और इसके लिये जिम्मेदार संबंधित अधिकारी होंगे’।
होमगार्ड मुख्यालय पर तैनात अवर अभियंता (मोटर अनुरक्षण) एम.टी. गिरीश कुमार पाण्डेय को 15 दिसंबर 2020 को बर्खास्त कर दिया गया। होमगार्ड मुख्यालय पर तैनात विभागीय डीआईजी रंजीत सिंह ने 15 दिसंबर 2020 को पत्र जारी किया है जिसमें श्री पाण्डेय पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने विभागीय स्टाफ कार संख्या यू.पी.-32बी.जी.-5089 के मरम्मत में मनमाने तरीके से प्रशासकीय एवं वित्तीय नियमों को उल्लंघन करते हुये धन आहरण किया और मरम्मत कार्य के लिये दिये गये बिल के भुगतान हेतु 1,12,631 रुपये का गबन किया है। इसके अलावा मोटर साइकिल संख्या यू.पी.-32 बी.जी.5761 की सर्विसिंग बिल का स्टाक इंट्री न किये जाने की जांच तत्कालीन डीजी के निर्देश पर 3 फरवरी 2014 को जांच करायी गयी। जांच में श्री पाण्डेय 16 मामलों में दोषी पाये गये हैं। पत्र में लिखा है कि घोर भ्रष्टाचार ,प्रशासकीय व वित्तीय कदाचार, स्वेच्छाचारिता एवं मनमानेपन के आचरण का दोष शिद्घ होने के समस्त 16 आरोपों को शिद्ध पाये जाने तथा उपलब्ध अभिलेखों व साक्ष्यों के सम्यक परीक्षण के बाद गिरीश कुमार पाण्डेय तत्कालीन अवर अभियंता(मोटर अनुरक्षण) एम.टी.,होमगार्ड मुख्यालय को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली1999 के नियम 3 अंतर्गत सेवा से पदच्युति किया जाता है। पाण्डेय जी,बर्खास्त कर दिये गये।

बकौल गिरीश कुमार पाण्डेय, बर्खास्त होने के पास मुझे सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की उम्मीद जगी। मैं अपनी पत्नी के साथ जाकर जनता दरबार में मिला। सीएम ने मेरी बात को सुना और प्रार्थना पत्र को अधिकारियों को सौंप दिया। उसके बाद न्याय पाने की उम्मीद लेकर माह अक्टूबर में कानून मंत्री बृजेश पाठक से जाकर मिले। मंत्री जी ने मेरी बात सुनी और उन्होंने तत्काल डीजी विजय कुमार को फोन लगाया और कहा कि रिपोर्ट के आधार पर बहाल करें,जब निर्दोष हैं तो बर्खास्त क्यों किये गये? डीजी ने जवाब दिया कि दो-चार दिन के अंदर फाईल पुटप कराता हूं। कोई कार्रवाई ना होने पर दुबारा कानून मंत्री ने डीजी से बात की। डीजी ने बताया कि विभागीय अफसरों की द्वंदता की वजह से गिरीश के साथ ऐसा हुआ है। उसके बाद केन्द्रीय राज्य मंत्री व सांसद कौशल किशोर ने भी डीजी से बात की लेकिन…। कुल मिलाकर डीजी विजय कुमार ने कानून मंत्री और केन्द्रीय राज्य मंत्री को ही गुमराह कर दिया जबकि शासन ने भी इस प्रकरण को गंभीरता से लिया। 5 जुलाई 21 को अशोक कुमार सिंह,अनु सचिव ने डीजी विजय कुमार को पत्र लिखकर निर्देशित किया कि मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि गिरीश कुमार पाण्डेय मामले में अपनी सुस्पष्टï टिप्पणी संस्तुति सहित शीघ्र-अतिशीघ्र उपलब्ध कराये। डीजी साहेब ने शासन को भी हल्के में तौल दिया,जवाब नहीं भेजा गया।

श्री पाण्डेय ने बताया कि कानून मंत्री के निर्देश के बाद न्याय विभाग से पाण्डेय जी के बर्खास्त करने वाली पत्रावली का परीक्षण कर जवाब मांगा गया। 7 सितंबर 2021 को डी.जी.सी. (क्रिमीनल) लखनऊ के जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) मनोज कुमार त्रिपाठी ने डीआईजी रंजीत सिंह को पत्र लिखा जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। पत्र में लिखा है कि गिरीश पाण्डेय के बर्खास्तगी के मामले में होमगार्ड मुख्यालय से भेजी गयी पत्रावली का अवलोकन व परिशीलन किया गया जिसमें गिरीश कुमार पाण्डेय,अवर अभियंता,एम.टी.,मुख्यालय,लखनऊ द्वारा विभागीय कार संख्या यू.पी. 32 बी.जी. 5089 की अनियमित रूप से मरम्मत के बाद मेसर्स क्लासिक मोटर्स के बीजक संख्या 311, 1 मार्च 2012-39335,325,14 मई 2012-21700,322, 13 मई 2012-51576, 430 से 432-33616 को अनियमित तरीके से प्रस्तुत करने के संबंध में गिरीश पाण्डेय को तत्कालीन कनिष्ठï स्टाफ अधिकारी की जांच रिपोर्ट में दोषी पाया गया है।

डी.जी.सी. (क्रिमीनल) की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि पत्रावली के अवलोकन करने पर क्रम संख्या 4 पर पत्रांक क्रमांक 540 एफ-84-94-95, 25 अप्रैल 2012 में पाया गया है कि 30 अप्रैल 2012 से 26 मई 2012 तक गिरीश पाण्डेय कुल 27 दिनों के अवकाश पर थे और उनकी जगह वैतनिक प्लाटून कमांडर भूपेन्द्र प्रताप सिंह एम.टी. का काम देख रहे थें। इसके अलावा 7 फरवरी 2009 से 4 मई 2012,पत्रांक संख्या 260-4-28-2006 तक रविशंकर त्रिवेदी द्वारा गाडिय़ों का रख-रखाव संबंधित कार्य देखा गया है। 4 मई 2012 को पत्रांक संख्या 361-लेखा-अनु.व.-5-2008 में गिरीश पाण्डेय को वाहन की साफ-सफाई व मरम्मत का काम सौंपा गया। उक्त बिलों के भुगतान के संबंध में तत्कालीन वैतनिक प्लाटून कमांडर भूपेन्द्र प्रताप सिंह से स्पषटीकरण गया जो कि 23 मई 2012 की पत्रावली के पत्रांक 122 पर मौजूद है तथा 7 मई 2018 के पत्रांक संख्या 846त्र विविध पत्रा.-55-2014 द्वारा गिरीश कुमार पाण्डेय, भूपेन्द्र प्रताप सिंह,वाहन चालक बृजभान प्रसाद को आरोप पत्र दिया गया। समस्त भुगतान किये गये बिलों के अवलोकन से स्पष्ट  है कि उपरोक्त वाहन क्लासिक मोटर्स में उबेदुर्रहमान ड्राइवर द्वारा प्रस्तुत किया गया है। जाब कार्ड पर भी इसी के हस्ताक्षर हैं और उपर्युक्त वाहन को बृजभान प्रसाद द्वारा कंपनी से प्राप्त किया गया है। भूपेन्द्र सिंह द्वारा स्पषटीकरण के जवाब में 30 जून 2016 को कहा गया है कि मेरे द्वारा कार्य नहीं कराया गया है और ना ही मरम्मत संबंधित आदेश एवं निरीक्षण संबंधित जानकारी है। इस संबंध में उबेदुर्रहमान द्वारा दिया गया जवाब 19 मई 2012 व 17 मई 2012 में स्पष्ट है कि वाहन संख्या यू.पी. 32,बी.जी. 5089 से संबंधित कार्य करवाने के मौखिक आदेश डीजी द्वारा दिया गया था। इस संबंध में वाहन चालक बृजभान सिंह द्वारा 16 जून 2020 को दिये गये अपने जवाब में यह पाया गया कि डीजी के निरीक्षण के बाद मौखिक आदेश गाड़ी मंगवाने के लिये दिये गये थे। इस प्रकरण में ऐसा कोई भी पत्र नहीं मिला जिसमें गिरीश कुमार पाण्डेय द्वारा उपर्युक्त बिलों के भुगतान में किसी प्रकार की संलिप्तता पायी गयी। परन्तु विभागीय जांच द्वारा ड्राइवरों के जो बयान लिये गये हैं,उसमें बयान के समय मौखिक रुप से गिरीश कुमार पाण्डेय का नाम लाया गया है। समस्त पत्रावली के अवलोकन के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि उपर्युक्त गाड़ी के संबंध में भूपेन्द्र प्रताप सिंह, उबेर्दुरहमान व बृजभान प्रसाद की संलिप्तता लिखित रूप से पायी जा रही है, किन्तु परोक्ष रूप से गिरीश पाण्डेय का कोई भी दायित्व नहीं पाया जा रहा है। समस्त पत्रावली को देखने के बाद यह पाया गया है कि उपर्युक्त बिलों का भुगतान कार्यालय द्वारा नहीं किया गया,इसलिये कोई भी सरकारी धन का दुुरुपयोग कार्यालय द्वारा नियमानुसार नहीं किया गया है। अधिकारियों की सक्रियता की वजह से सरकारी धन का दुरूपयोग होने से बच गया। निष्कर्ष यह निकलता है कि गिरीश कुमार पाण्डेय के खिलाफ कोई साक्ष्य, पत्रावली में मौजूद नहीं पाया गया,इसलिये कोई भी आरोप इनके खिलाफ नहीं बनता है। गिरीश पाण्डेय के खिलाफ किसी प्रकार की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का कोई औचित्य ही प्रतीत नहीं होता है। इतना ही नहीं,गिरीश पाण्डेय ने आर.टी.आई. से जवाब मांगा तो 26 नवंबर 2021 को मुख्यालय पर तैनात जे.एस.ओ. का जवाब आया कि विभागीय कार के मरम्मत का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।

सवाल यह हैकि क्या होमगार्ड मुख्यालय पर बैठे डीजी विजय कुमार , डीआईजी रंजीत सिंह, सीनियर स्टॅाफ अफसर सुनीलकुमार यहां से एक पैरलल गवर्नमेंट चला रहे हैं ? कहीं ये तिकड़ी भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष के एजेंट के तौर पर तो काम नहीं कर रही है? आखिर किस नियमावली के तहत गिरीश पाण्डेय को बर्खास्त किया गया ? क्या ये लोग कानून मंत्री बृजेश पाठक,केन्द्रीय राज्य मंत्री व सांसद कौशल किशोर से अपने को बड़ा समझते हैं ? विभागीय अफसरों व कर्मचारियों की मानें तो जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होमगार्ड मंत्री का कार्य संभाला है, यहां के अफसर बेलगाम होकर अपना फरमान जारी कर रहे हैं। बात जो भी हो,अवर अभियंता गिरीश कुमार पाण्डेय प्रकरण में साफ तौर पर दिख रहा है कि मुख्यालय के अफसरों ने एक साजिश के तहत इन्हें बर्खास्त किया है। अफसरों ने ऐसा क्यों किया,क्या इनकी पुरानी खुन्नस है? बहरहाल, सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली से आहत गिरीश पाण्डेय ने आत्मघाती फैसला ले लिया है। बकौल गिरीश कुमार पाण्डेय यदि मुझे इंसाफ नहीं मिला तो परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने पर मजबूर हो जायेंगे।

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