सनातन की स्थापना का युद्ध : नया नहीं है हमारे महायोद्धा के विरुद्ध कांग्रेस का षडयंत्र

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सनातन की स्थापना का युद्ध : नया नहीं है हमारे महायोद्धा के विरुद्ध कांग्रेस का षडयंत्र

 75 वषों के भीतर दो प्रधानमंत्रियों के बलिदान के बाद भी वही रवैया

आतंकी षडयंंत्रों में शामिल कांग्रेस खुद का आकलन क्यों नहीं कर रही ?

    संजय तिवारी

लखनऊ।भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसी उल्लास में पंजाब को 48 हजार की विकास योजनाओं की सौगात देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री कल भटिंडा की यात्रा पर थे। इस यात्रा में पंजाब की कोंग्रेसी सरकार की साजिश दुनिया ने देखी। यह वही पंजाब है जहां से खालिस्तान जैसे मुद्दे को राजनीति में भिंडरवाला जैसा आतंकी देकर इसी कॉंग्रेस ने श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी सशक्त प्रधानमंत्री की बलि दे दी। भिंडरवाला के माध्यम से ऐसा ही खेल तब भी खेला गया था। दक्षिण भारत मे इसी तरह का खेल खेल कर कॉंग्रेस ने राजीव गांधी जैसे उदीयमान नक्षत्र को खोया। आज के पंजाब में फि र कॉंग्रेस वैसा ही भयावह खेल खेल रही है। अपनी स्वाधीनता के मात्र 75 वर्षों में दो दो प्रधानमंत्री खो चुके देश की राजनीति आखिर कब अपना मूल्यांकन करेगी। भिंडरवाला और प्रभाकरण के इतिहास से दुनिया परिचित है।
दुर्भाग्य यह है कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री के विरुद्ध षडयंत्र की क्रियाविधि से कांग्रेस बाज नहीं आ रही। उसको अभी तक यह आभास ही नहीं हो सका है कि जिस नरेंद्र मोदी को वह खून का सौदागर कहती रही है वह नरेंद्र मोदी केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के प्रत्येक सनातन संस्कृति वाले व्यक्ति के दिल मे सनातन की स्थापना के युद्ध मे एक महायोद्धा बन कर स्थापित हो चुके हैं। नरेंद्र मोदी जिस रूप में नए सनातन भारत का निर्माण कर रहे हैं, उनके साथ सभी दैवीय शक्तियां खड़ी हैं। कल भटिंडा में जो हुआ यदि भारत के ही किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री के साथ हुआ होता तो अब तक पंजाब की सरकार बर्खास्त होकर वहां रात से ही राष्ट्रपति शासन स्थापित हो चुका होता। नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नही किया है। जबकि कथित किसान आंदोलन के समय से ही अनेक ऐसे प्रमाण मौजूद हैं। ऐसे अनेक वीडियो हैं जिनमे पंजाबी पगड़ी में कथित किसान यह कहता दिख रहा है कि हमने इंदिरा को खत्म कर दिया और इसे भी करेंगे। यह अलग बात है कि शाहीन बाग से लेकर कथित किसान आंदोलन और लालकिले पर खालिस्तानी झण्डे की घटनाओं तक में जो कारवाई होनी चाहिए थी वैसी होती नहीं दिखी।
दरअसल कॉंग्रेस ने देश को 1946 में पहुंचा दिया है। अंग्रेजों की उत्तराधिकारी के रूप में फू ट डालो, राज करो। विभाजन और राजनीति। खास तौर पर संगठित हिन्दू समाज को पहले सिख, जैन, बौद्ध आदि में तोड़ा और अब उससे भी नीचे की हरकतें। जब चुनाव आते हैं, इनकी ये हरकतें हर बार से नीचे की होने लगती हैं। अभी बीते साल बंगाल में सबने देखा है। महाराष्ट्र में इनके राज में सन्तो को जिंदा जला कर मार डालने की घटना को बहुत दिन नहीं बीते हैं। पहले बंगाल अब पंजाब। इन्हें अभी आभास भी नहीं है कि जो कल हुआ वह मोदी जैसे महायोद्धा के लिए अब नई शक्ति के साथ लडऩे की ऊर्जा देने वाला है। पहले किसान आंदोलन के नाम पर आतंक और पंजाब के हालात ऐसे कि देश के प्रधानमंत्री को अपनी जनसभा के स्थान तक न पहुचने दिया जाये? सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पंजाब में प्रदर्शनकारी पीएम के सुरक्षा घेरे के इतने पास आ गए थे कि एसपीजी को गोली चलाने की इजाजत मांगनी पड़ी। मोदी जी को जब बिगड़ते हालात का अंदाजा हुआ तो उन्होंने एसपीजी को रोंका और वापस लौटने के आदेश दिए।
अब यकीनन सोचने और निर्णय लेने का समय है कि सनातनता रहेगी या विधर्मी आतंकवाद। कैसे न माना जाय कि पंजाब की वर्तमान सरकार चीन और पाकिस्तान के निर्देश से संचालित हो रही है। कैसे न मान लिया जाय कि आज पृथ्वी पर वर्तमान में सनातन के सबसे बड़े योद्धा को मारने की ही साजिश थी? भारत के लिए और खासकर सनातन भारत के लिए आज की यह साजिश अक्षम्य है। पंजाब में ऐसी भारत विरोधी सरकार को एक मिनट भी बने रहने नही देना चाहिए। यह इस तथ्य का भी प्रमाण है कि चुनाव के नाम पर कांग्रेस और अन्य कई दल निश्चित रूप से किसी भारतीय शत्रु देश से सहयोग ले रहे हैं। पंजाब के हालात तो बंगाल और कश्मीर से भी बहुत बदतर है ए यह प्रमाणित हो गया।
वास्तविकता यह है कि वर्तमान में कांग्रेस के आलाकमान वाला जो परिवार है उसका इतिहास ही यही है। याद होगा सभी को। बात बहुत पुरानी नही है हकूमत राय बढेरा कराची में रहता था भारत विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ मुरादाबाद आ गया । लडक़ा राजेन्द्र बढेरा ने शादी एक विदेशी कैथोलिक से की । जिससे दो लडक़े और एक लडक़ी का जन्म हुआ । राजेन्द्र की पत्नी ने लडक़ों का नाम राबर्ट और स्टिफ न रखा । प्रियंका का प्यार राबर्ट से सेन्ट स्टिफेन्स में शुरू ही हुआ था कि जयपुर अजमेर रोड पर राबर्ट की बहन की रोड एक्सीडेन्ट में मौत हो गयी । संदिग्ध मौत थी लेकिन रोड एक्सीडेन्ट के कारण बात आयी-गयी हो गयी ।कुछ दिन बाद स्टिफ न ने फ ांसी लगा ली । ये मौत भी संदिग्ध थी फि र इस मौत को भी भुला दिया गया। फि र कुछ दिन बाद राजेन्द्र बढेरा का शव दिल्ली के पहाडग़ंज इलाके के एक होटल में बेल्ट से पंखे में झूलता हुआ मिला ।ये भी संदिग्ध था लेकिन इसको भी आत्महत्या का केस बनाकर मामला खत्म कर दिया गया । फि र इसके बाद वह शुभ दिन आया जब राबर्ट की शादी प्रियंका से तय हो गयी । विवाह का सारा जिम्मा पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी में कार्यरत महिला अधिकारी को दिया गया जो प्रियंका और राबर्ट की कामन फ्रें ड थी । यह रक्त रंजित इतिहास संजय गांधी की मौत से शुरू होकर राजेन्द्र बढेरा पर रूका । सब ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक सत्ता का केन्द्र नरेन्द्र मोदी बन गये । परिवार और पार्टी इस बात को अब तक पचा नही पायी है ।
मोदी जी की कल की यात्रा पंजाब में थी। सडक़ मार्ग से प्रधानमंत्री को कुछ दूर जाना था लेकिन इसी बीच आन्दोलनकारी के रूप में कुछ लोंगो ने प्रधानमंत्री को रास्ते में ही घेर लिया, हो सकता है आईएसआई के एजेन्ट ही आन्दोलनकारी के रूप में रहे हो । पंजाब के सहारे पहले भी देश को खालिस्तान आन्दोलन की भेंट चढाने की कोशिश की गयी । सिख्खों को उ कसा कर किसान आन्दोलन के जरिये पूरे एक साल तक गतिरोध पैदा किया गया । अभी हाल ही में बेअदबी पर हत्यायें और कोर्ट परिसर में बम विस्फ ोट और आज की ताजा तरीन घटना प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सेंध । प्रधानमंत्री को यहां तक कहना पड़ गया कि अधिकारी पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री को बता दें कि किसी तरह जान बचाकर मैं वापस दिल्ली आया हूं ।
अब घृणा हो रही है ऐसे विपक्ष से। जब देश की सीमा पर चीन से तनाव होता है तो उसका नेता चीनी दूतावास में विमर्श करने जाता है। जब संसद चलती है तो उसका या तो पता नही रहता या विदेश में होता है। देश के लिए विदेशी मंचों पर जहर उगलने का तो जैसे ठेका ही है।

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