सपा का दामन छोड़ भाजपा की हुयीं बंदना सिंह,सपाईयों का बढ़ा ब्लड प्रेशर

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सगड़ी विधान सभा: साइकिल को पंचर कर कमल की मुस्कान बिखेर रहीं बंदना सिंह

बंदना सिंह ने बांटे मेधावी छात्र-छात्राओं को बांटेे टैबलेट,लैपटॉप

   वैभव पाण्डेय

बलिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव इस बार काफ ी खास होने वाला है। योगी सरकार को जहां टक्कर देने के लिये सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरी तैयारी के साथ उतरे चुके हैं वहीं,कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी और बसपा से मायावती एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। विपक्षी पार्टियों को योगी सरकार के खिलाफ सिर्फ जीत मंजूर है, मगर ये इतना भी आसान नहीं है। रैलियों और लोगों की भीड़ देखकर एक बात तो साफ है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच है। इसलिये बीजेपी और सपा अपनी- अपनी जीत का दावा मंच से कर रहे हैं। हालांकि, होने वाले चुनाव और उसके बाद आये परिणामों से ही साफ हो पायेगा। जनता है सब जानती है और किस पार्टी और किस नेता को यूपी की सत्ता में देखना चाहेगी वो ये बेहतर समझती है। इस बीच सपा के गढ़ आजमगढ़ जिले की सगड़ी विधानसभा सीट की चर्चा करना और महत्वपूर्ण हो जाता है। आइये जानते हैं इस विधानसभा क्षेत्र का हाल। पूर्वांचल के महत्वपूर्ण जिले आजमगढ़ के अंतर्गत 10 विधानसभा सीटे हैं। बात करें सगड़ी विधानसभा सीट की तो यहां से उस समय बसपा में रहीं बंदना सिंह ने जीत हासिल की थी जो अब बीते 26 नवंबर को भाजपा में शामिल हो गई ।

आइये जानते हैं इस विधानसभा क्षेत्र का हाल । साल 2017 में अखिलेश यादव को तगड़ा झटका लगा था जब भगवा आंधी में सपा 10 में से सिर्फ 5 सीट जीत पाई थी। एक सीट की मदद से भाजपा जहां सपा के गढ़ में सेंध मारने में कामयाब हो गयी थी वहीं बसपा ने भी जोर दिखाते हुए चार सीटों पर कब्जा किया था। वर्ष 2002 के चुनावी परिणामों की बात करें तो बसपा के मलिक मसूद ने समाजवादी पार्टी के रामप्यारे सिंह को हराया था। अपना दल जहां तीसरे स्थान पर थी वहीं कांग्रेस को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था। भाजपा यहां सेंध लगाने में नाकामयाब रही। बसपा के मलिक मसूद को जहां 48895 वोट हासिल हुये थे वहीं रामप्यारे सिंह को 48255 वोट से संतोष करना पड़ा था। वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी ने 2002 की हार का बदला चुकते करते हये बसपा को हराया था। समाजवादी पार्टी की ओर से सर्वेश कुमार सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के मलिक मसूद को हराया था। सर्वेश कुमार को 47422 वोट तो वहीं मलिक मसूद को 40287 वोट हासिल हुये थे। जदयू तीसरे तो वहीं निर्दलीय खड़े हुए धु्रव कुमार सिंह चौथे स्थान पर रहे थे। साल 2012 में सपा के ही अभय नारायण ने बहुजन समाज पार्टी के संतोष कुमार सिंह को हराकर एक बार फि र जीत हासिल की थी। अभय नारायण को जहां 56114 वोट तो वहीं संतोष कुमार सिंह को 46863 वोट मिले थे।


इसी क्रम में साल 2017 में सगड़ी से जीत का परचम लहराने वालीं बंदना सिंह ने नवंबर 2021 को चुनावी माहौल समझते हुये भाजापा का दामन थाम लिया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में बंदना सिंह भाजपाई हो गयीं। हालांकि कयासों की बात करें तो उनकी सपा में भी जाने की बातें सामने आयी लेकिन बंदना सिंह ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर सारी अटकलों पर विराम लगा दिया। बंदना सिंह ने पिछले चुनाव यानि साल 2017 में सपा के जयराम सिंह पटेल को हराकर विधायक चुनी गयी थीं। बंदना सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कर बीजेपी ने सपा के गढ़ को चुनौती देने का पूरा मन बना लिया है। बिजली के हाल को दुरुस्त करने के लिए की उनके द्वारा काम करवाये गये। 35 ट्रांसफ ार्मर जिनका लोड ज्यादा था, क्षमता कम थी, उसे ठीक करवाने का काम किया गया। 10 से 15 ट्रांसफ ार्मर नये लगवाये हैं। जर्जर तारों की समस्या भी ठीक किया गया। भाजपा भी लगातार वादे कर रही है कि 18- 22 घंटे बिजली देने का काम किया गया है। बिजली से जुड़ी हर समस्या दूर की गयी। सडक़ों के चौड़ीकरण का काम लगातार चल रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में सुधार का दंभ भाजपा भर रही है। प्राथमिक विद्यालयों का स्परूप बदला है। जगह- जगह टाइल्स लगाये गये हैं।
वंदना सिंह के हाथों 7जनवरी को  डी. ए. वी. कालेज, आजमगढ़ में टैबलेट और स्मार्टफ ोन भी बंटवाये गये, जो प्रतिभावान मेधावी एवं लगनशील संवर्गो के छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत नि : शुल्क दिया गया।

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