यूक्रेन में फंसे पंजाबी की गुहार: माइनस तीन डिग्री में 48 घंटे से बंकर में छिपे हैं, खाना-पानी तक नहीं…पापा यहां से निकालो

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2020 में एमबीबीएस करने गया था अनिकेत
15 फरवरी को लौटे मनप्रीत बोले- छात्र कह रहे थे लड़ाई नहीं होगी, हालात ठीक हो जाएंगे
न्यूज एजेंसी
जालंधर।  बमबारी के साथ हुई सुबह ने यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले जालंधर के छात्रों से खाना-पीना और रात की नींद छीन ली है। छात्र पिछले 48 घंटों से खारकीव में बंकर में छिपे हैं। यहां उनके परिजन चिंतित हैं और उनकी सलामती की कामना कर रहे हैं। छात्रों के परिजन डरे हैं कि वहां से कैसे सकुशल वापसी होगी ? जालंधर के गुरु गोबिंद सिंह ऐवेन्यू के अनिकेत शर्मा और गुरु तेग बहादुर नगर के जतिन सहगल ने खारकीव की डरावनी सच्चाई बयां की, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। 

अनिकेत शर्मा और जतिन सहगल वर्ष 2020 में मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गए थे और खारकीव सिटी स्थित खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के दूसरे साल में हैं। अनिकेत शर्मा के पिता हेमंत शर्मा और मां किरण शर्मा ने बताया कि वह बेटे से हर घंटे फोन पर बात कर पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। वहां हालात बहुत खराब हैं। बेटे ने फोन पर बताया कि 24 फरवरी से खारकीव पर बमबारी हो रही है। जिसके बाद एक दिन बेसमेंट में रखा और फिर बंकर में शिफ्ट कर दिया। बंकर में मानइस तीन डिग्री में 48 घंटे से छिपे हैं और वहां खाना-पानी तक नहीं है। धमाकों के बीच रातों की नींद उड़ी है। अनिकेत के पिता हेमंत शर्मा रेलवे में जॉब करते हैं और मां हाउस वाइफ है, उन्होंने सरकार से बेटे को जल्द वापस लाने की गुहार लगाई है।  

जतिन सहगल के पिता राजन सहगल ने जब उससे बात की तो दोनों भावुक हो गये। जतिन ने बताया कि बॉर्डर से सटे होने के कारण खारकीव में हालात बिगड़ते जा रहे हैं…पापा यहां से निकालिये। जतिन ने फोन पर बताया कि भारतीय दूतावास ने ऑनलाइन जानकारी मांगी थी जो उन्हें दे दी गई है और दो दिन बीत चुके हैं लेकिन उनकी खबर लेने कोई नहीं आया। राजन सहगल ने बताया कि वह बीमा एजेंट का काम करते हैं। उनका बेटा जतिन कुछ दिनों पहले शादी में आया था और 10 फरवरी को यूक्रेन वापस लौट गया था। उन्हें पता होता कि हालात बिगड़ सकते हैं तो बेटे को भेजता ही नहीं। उन्होंने 27 फरवरी की वापसी की टिकट की थी लेकिन वह रद्द हो चुकी हैं। उनकी सरकार से गुजारिश है कि बच्चों को जल्द से जल्द वहां से निकाला जाए। 
यूक्रेन-रूस संकट की बीच जब मंहगाई बढ़ने लगी और हालात स्थिर हो गए तो जालंधर के टीवी टावर नकोदर रोड का रहने वाला मनप्रीत पुत्र गुरदीप सिंह वहां से निकल आया। तब उसके साथ पंजाब व देश के कई राज्यों के 25-30 छात्र साथ में रहते थे। उन्हें भी साथ आने को कहा था। उन छात्रों ने कहा था कि दोनों देशों के बीच आपसी मसले हैं। वह बातचीत से सुलझ जाएंगे, कोई लड़ाई नहीं होने वाली। तब न उसने सोचा था, न उन छात्रों ने जो यूक्रेन में फंसे हैं। अब उसे साथ में रहने वाले कई दोस्तों के फोन आ रहे हैं और मदद करने की गुहार लगा रहे हैं। कुछ दोस्त ऐसे हैं जो हालात देखकर घबरा गए हैं और मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं। उनका भी दोस्तों के साथ संपर्क टूटने लगा है, दोस्त अब सिर्फ घरवालों के फोन ही उठा रहे हैं। 

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