योगी आदित्यनाथ को चुना गया विधायक दल का नेता, राज्यपाल से मिलकर पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा

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हमारी सरकार ने बिना भेदभाव के आम जन तक गरीब कल्याण की योजनाएं पहुंचाईं: योगी आदित्यनाथ

सबका साथ, सबका विकास मंत्र पर योगी सरकार ने किया काम: अमित शाह

ब्यूरो

लखनऊ। भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ बृहस्पतिवार को ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। योगी सरकार- 2.0 का शपथग्रहण समारोह शुक्रवार को शाम 4 बजे इकाना स्टेडियम में होगा। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद योगी शाम को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष 273 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

भाजपा विधायक दल नेता चुनाव के पर्यवेक्षक एवं गृह मंत्री अमित शाह, सह पर्यवेक्षक रघुवर दास विधायक दल की बैठक में शामिल रहे। इस बैठक में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक और विधान परिषद सदस्य शामिल हुए। इसके अलावा गठबंधन में भाजपा के सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी के विधायक भी मौजूद रहे। साथ ही यूपी विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधा मोहन सिंह, उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ डॉ. दिनेश शर्मा भी मौजूद रहे। लोकभवन में विधायक दल की बैठक से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की प्रतिमा पर गृह मंत्री अमित शाह, कार्यवाहक मुख्यमंत्री आदित्यनाथ व अन्य नेताओं ने पुष्प अर्पित करे।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन में पार्टी के विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां मौजूद सभी लोगों का आभार व्यक्त करता हूं। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का जिन्होंने मुझ पर एक बार फिर भरोसा जताया। यूपी के इतिहास में भाजपा पहली ऐसी पार्टी है जो सत्ता में दोबारा लौटी है। हमारी सरकार ने एक एक योजना को जनता तक पहुंचाया। केंद्रीय योजनाओं को लागू करने में भी प्रदेश नंबर वन रहा।
हमारी सरकार में पहली बार गरीब को लगा कि उसका भी घर बन सकता है। यूपी में अब विकास और रिफॉर्म की बात होती है। चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने दुष्प्रचार किया। आज यूपी तेजी से विकास करने वाला राज्य है। सत्ता प्राप्त करना प्रतिष्ठा का विषय नहीं, जनता के विश्वास पर खरा उतरना बड़ी चुनौती थी। हमारी सरकार ने बिना भेदभाव के आम जन तक गरीब कल्याण की योजनाएं पहुंचाई हैं। सपा-बसपा की सरकार में गरीबों के विकास के लिए कोई योजना नहीं थी।हमारी सरकार ने प्रदेश की जीडीपी को बढ़ाया। आज प्रदेश दंगा मुक्त है। अब वंशवाद और जातिवाद की राजनीति नहीं चलेगी। हमने सुशासन और गरीब कल्याण के लिए काम किया। अब हम लोगों की आय को दोगुणी करेंगे। प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाएंगे। सत्ता में रहकर मालिक बनकर नहीं बल्कि सेवक बनकर काम करेंगे।

यूपी में एक बार फिर जीतकर भाजपा ने इतिहास रच दिया। लगातार सत्ता में आने का रिकॉर्ड बनाया। ये हम सभी के लिए गौरव का क्षण है, जब किसी मुख्यमंत्री को दोबारा सत्ता में आने का मौका मिला है। जब से आम चुनाव शुरू हुए हैं, उस वक्त से उत्तर प्रदेश में ऐसा नही हुआ है। जनता ने हमें दो तिहाई से अधिक सीटों से जिताया। इससे पूर्व की सरकारों में जातिवाद की वजह से योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती थीं। यूपी में पहले कानून व्यवस्था का बुरा हाल था। हमारी सरकारी बनी तो लोगों में आशा जगी। योगी सरकार ने प्रशासन के राजनीतिकरण को समाप्त किया। अब प्रदेश में लोगों को कानून पर विश्वास है। सबका साथ, सबका विकास मंत्र पर योगी सरकार ने काम किया। भाजपा सरकार ने प्रदेश में विकास की नींव डालने का काम किया।

अगले पांच साल में यूपी के खोए गौरव को वापस लाने का काम किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में ज्यादातर समय राजनैतिक अस्थिरता का माहौल रहा। इसका नतीजा उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिवादी और परिवारवादी पार्टियों का उदय हुआ। समाजवादी पार्टी की सरकार में राजनीति का अपराधीकरण था। उत्तर प्रदेश की जनता इससे मुक्ति चाहती थी। 2017 का समय आया और यहां की जनता को उससे मुक्ति मिली। सपा सरकार में उद्योगपतियों का सम्मेलन दिल्ली में होता था। क्योंकि कोई भी उद्योगपति लखनऊ आने के लिए तैयार नहीं होता था। सपा सरकार में माफिया और गुंडे पुलिस के मालिक बन बैठे थे। गरीब की एफआईआर लिखवाने की हिम्मत नहीं होती थी। 2017 के बाद जब सत्ता में बदलाव हुआ, तो आप देख सकते हैं गुंडे और माफियाओं की क्या हालत है।

उधर, 18वीं विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के कद्दावर नेता सूर्य प्रताप शाही, पूर्व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य का नाम चर्चा में है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बेबीरानी राज्यपाल रह चुकी हैं, ऐसे में उन्हें मंत्री बनाने की जगह विधानसभा अध्यक्ष का संवैधानिक पद ही देना उचित होगा।भाजपा यूपी में विधानसभा चुनाव सीएम योगी के नेतृत्व में लड़ेगी इसकी घोषणा सबसे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ही की थी। राजधानी के डिफेंस एक्सपो मैदान में 29 अक्तूबर, 2021 को आयोजित पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में शाह ने कहा था कि 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 2022 में योगी को फिर से प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना जरूरी है।

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