किसी होमगार्ड को ड्यूटी से वंचित नहीं होना पड़ेगा, मैं हूं न : धर्मवीर प्रजापति

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होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने श्रमिक दिवस पर बचाया 25 हजार जवानों का रोजगार,जवानों ने आज ही मना ली ईद

मुख्यालय के अफसरों ने सुना दी तुगलकी फरमान-25 हजार जवानों की ड्यूटी कदापि ना लगायें…

मंत्री ने चार दिवसीय कार्यक्रम रदद कर पहुंचे लखनऊ,सीएम से बात दिलायी सभी को ड्यूटी

रविवार को खुला मंत्री का कक्ष,सीएम से हरी झंड़ी मिलने के बाद धर्मवीर प्रजापति ने खाया रोटी का निवाला…

 

    अक्षत श्री.

लखनऊ। बच्चे यदि बेरोजगार हो जाये या वे भूख से बिलबिला रहे हों,तो ये कैसे संभव कि घर का मुखिया या अभिभावक शांत बैठेगा…। चाहें चिलचिलाती धूप हो, हाड़ कंपाने वाली ठंड़ हो या फिर अभिभावक खुद बीमार हो, निकल पड़ेगा अपने बच्चों के रोजगार को बचाने। अपने बच्चों का पेट भरने के लिये चाहें जो काम मिले अभिभावक करेगा क्योंंकि उसे ये कतई बर्दाश्त नहीं की उनके बच्चे बेरोजगार या भूखा रहे…। उत्तर प्रदेश में अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला।होमगार्ड मुख्यालय से 30 अप्रैल की रात 7:30 बजे सभी अधिकारियों को फरमान जाता है कि 25000 होमगार्डों की पुलिस ड्यूटी के लिये स्वीकृति प्राप्त नहीं है। कृपया उक्त संख्या की ड्यूटी कदापि न लगायी जाये। यदि ड्यूटी लॉक होती है तो यह अनियमितता होगी। बी अलर्ट…। सूचना प्रसारित होते ही विभाग में हडक़म्प मच गया क्योंकि दो दिन बाद ईद है और एक साथ 25000 जवान बेरोगारी का दंश झेलेंगे…। इस बात की जानकारी जब होमगार्ड,कारागार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति को हुयी तो वे चौंक गये क्योंकि वे लाखों जवानों के अभिभावक भी हैं,जो उन्होंने खुद बोला था। बता दें कि धर्मवीर प्रजापति की तबीयत खराब थी और वे चार दिन के लिये आगरा और कासंगज में कार्यक्रम के लिये गये थे। मंत्री जी ने रातों-रात अपने सभी कार्यक्रम को रदद किया और कल सुबह लखनऊ पहुंच गये। उसके बाद सुबह ही उन्होंने अपना कार्यालय खुलवाया और बैठ गये अपने बच्चों के रोजगार को बचाने के लिये। मंत्री जी ने तत्काल अपने मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संपर्क साधा और उनसे बात कर सिर्फ 12 घंटे में ही 25000 जवानों के ड्यूटी का आदेश जारी करा दिया। 25000 जवानों के परिवार में रोटी खिलाने की व्यवस्था करने के बाद मंत्री जी ने दोपहर बाद रोटी का निवाला लिया। फिर क्या था,जैसे ही जवानों को पता चला कि उनलोगों के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अभिभावक मंत्री धर्मवीर प्रजापति की पहल से ड्यूटी बहाल कर दी गयी है तो जवानों ने जय-जयकारा लगाना शुरू कर दिया। प्रदेश भर के जवानों के घर में खुशियों का माहौल देखने को मिला। 1 मई को ही सभी जवान यूपी में ईद का त्यौहार मनाने लगे। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि अंतराष्टï्रीय श्रमिक दिवस के दिन मंत्री जी ने 25 हजार जवानों को बेरोजगार होने से बचा लिया। वाकई, होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने ये साबित कर दिया कि अभिभावक की परिभाषा क्या होती है…। द संडे व्यूज़ परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति को सलाम करता है…।


1 मई यानि अंतराष्ट्रीय श्रमिक दिवस था मगर होम गार्ड विभाग के लिये एक विशेष महत्व का दिन साबित हुआ। होमगार्ड मुख्यालय के अधिकारी अपने रूटीन कार्यों में मस्त थे ।जनपद के कमांडेंट पूछते रहे थे कि क्या पुलिस विभाग के आरक्षी के सापेक्ष 25000 होमगार्ड की ड्यूटी लगेगी? 30 अप्रैल की रात 7:50 बजे होमगार्ड मुख्यालय से फ रमान आता है कि 25000 ड्यूटी नहीं लगनी चाहिये,जो भी ये ड्यूटी लगायेगा उसको खामियाजा भुगतना पड़ेगा…। फिर क्या था…। बात जंगल की आग की तरह फैल गयी। बता दें कि विभाग के डीजी विजय कुमार नोएडा किसी रिश्तेदार की शादी में गये थे और अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार भी राजधानी से बाहर किसी रिश्तेदार की सगाई में गये थे। खास बात ये भी है कि दोनों, बिना विभाग के मंत्री की अनुमति एवं जानकारी के खुद ही अपना टूर बना लेते हैं और छुट्टी ले लेते हैं। विभाग में डीजी और एसीएस अभी भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि विभाग में एक मंत्री भी आ गये हैं। खैर, अधिकारी 25000 ड्यूटी कम लगा कर मस्त थे। जब इस बात की जानकारी मंत्री धर्मवीर प्रजापति को हुयी तो वे तनाव में आ गये, क्योंकि वे सभी जवानों के अभिभावक जो हैं । मंत्री जी समझ गये की अगर 25000 ड्यूटी नहीं लगती है तो इन जवानेां के परिवारों पर जीवन-यापन का संकट आ जायेगा और सरकार के साथ-साथ उनकी छवि पर भी विपरीत पड़ेगा।

बता दें कि मंत्री जी चार दिन के टूर पर कासगंज और आगरा की तरफ थे। मगर रातों-रात उन्होंने अपना कार्यक्रम बदला और रात1 बजे चल कर सुबह लखनऊ पहुंच गये। रविवार के दिन कार्यालय खुलवाया और खुद मुख्यमंत्री जी से बात करके महज 12 घंटे में 25000 ड्यूटी का आदेश जारी करवा दिया।मंत्री जी बीमार थे बावजूद इसके वे दवा खाकर सचिवालय में अपने कक्ष में तब भूखे बैठे रहें,जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंड़ी दी। स्वीकृति मिलने के बाद उन्होंने रोटी का निवाला खाया। प्रजापति जी की मंशा थी कि किसी भी होमगार्ड को एक दिन भी बेरोजगार न बैठना पड़े। बीमार होने के बावजूद वे आगरा से लंबी यात्रा तय करके व्यक्तिगत तौर पर इस संकट की घड़ी से होमगार्ड के जवानों को निकाला। वास्तव में धर्मवीर प्रजापति एक मंत्री नही बल्की एक अभिभावक हैं और उन्होंने अपने अभिभावक होने का फ र्ज भी निभा दिया।

इस पूरे घटनाक्रम में द संडे व्यूज़ को कुछ सवाल हजम नहीं हो पा रहा है…क्या मंत्री जी को ही इतना दर्द ले कर काम करना होगा ? आखिर मुख्यालय के एडीजी और एसीएस क्या करेंगे ? अगर 25000 ड्यूटी का अनुमोदन मिलना इतना आसान था तो मंत्री जी को रातों -रात भाग कर क्यों आना पड़ा ? यदि 25000 होमगार्ड की ड्यूटी नहीं लग पाती और एक हफ्ते बाद होमगार्ड के हंगामे और विपक्ष के बवाल ने बाद ये ड्यूटी लगती तो किसकी छवि खराब होती ? कहीं ये विभाग के मंत्री को दबाव में लेने की साजिश तो नहीं ? जब होमगार्ड विभाग के एसीएस अनिल कुमार को दूसरे एसीएस अवनीश अवस्थी से अनुमोदन मांगना था और दोनों ही मंत्री धर्मवीर प्रजापति के मातहत हैं तो फि र है समस्या क्यों आयी? क्या एसीएस अनिल कुमार और अवनीश अवस्थी में मनमुटाव चल रहा है, जिसका खामियाजा होमगार्डों को भुगतना पड़ता ? मुख्यालय के कर्मचारी दबी जबान कह रहे है कि नेता तो मंत्री जी हैं मगर राजनीति डीजी और एसीएस कर रहे हैं…। खैर, देखना है की आगे किस तरह एक सज्जन और उदार मंत्री अपने खुर्राट एसीएस और डीजी की नकेल कसते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस अफसरों की राजनीति में नुकसान बेचारे होमगार्डों का ही होगा ।

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