राजस्व परिषद- तहसीलदार को बचाने के लिए डीएम के 25 पत्र डाल दिए टोकरी में - India Express News
Home अपराध राजस्व परिषद- तहसीलदार को बचाने के लिए डीएम के 25 पत्र डाल...

राजस्व परिषद- तहसीलदार को बचाने के लिए डीएम के 25 पत्र डाल दिए टोकरी में

0
623

लखनऊ। राजस्व परिषद में बड़े अफसरों से भी अधिक हनक रखने वाले पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल ने निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला की पत्रावली को ही दबा दिया था। पूर्व निजी सचिव का ही यह प्रभाव था कि जिलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश के 25 पत्र भी निखिल शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे। एक वर्ग विशेष की महिलाओं को लेकर जातिसूचक शब्दों और असंसदीय भाषा का प्रयोग करने के मामले में मोहनलालगंज में तहसीलदार रहे निखिल शुक्ला को शासन ने निलंबित कर दिया था। निखिल के खिलाफ तहरीर दर्ज कराने के लिए जिलाधिकारी को पापड़ बेलने पड़ गए थे और उन्हें राजस्व परिषद से अनुमति नहीं मिल पा रही थी।

अब डोबरियाल का प्रभाव खत्म हुआ है तो राजस्व परिषद ने मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति दी है। इसमें भी कहा गया है कि जिलाधिकारी उचित समझें तो मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। राजस्व विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक साल भर में एक-एक कर जिलाधिकारी के पचीस पत्र राजस्व परिषद की फाइलों में ही दबते रहे और पूर्व निजी सचिव के दबाव में परिषद के किसी भी अधिकारी ने भी जिलाधिकारी के पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया था। अब विवेकानंद गोबिरियाल के सेवानिवृत्त होने और उसकी कारस्तानी सामने आने के बाद ही परिषद के बड़े अधिकारी यह रिपोर्ट दे पाए, जिससे निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो पाया है।

 मोहनलालगंज में तैनात रहे तहसीलदार निखिल शुक्ला का एक वीडियो वायरल हुआ था। नौ मार्च 2021 को सोशल मीडिया पर इस वीडियो को देखा गया था, जिसमे निखिल अपने सहयोगियों जाति विशेष की महिलाओं पर जातिसूचक टिप्पणी कर रहे थे। इस पर जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने तहसीलदार निखिल शुक्ला के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।

अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की जांच में तहसीलदार को दोषी पाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि तहसीलदार ने वरिष्ठ एवं संवैधानिक पदासीन अधिकारियों के विरुद्ध जातिसूचक, अमर्यादित और असंसदीय भाषा का प्रयोग किया गया है। इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने मंडलायुक्त को पत्र लिखकर तहसीलदार के निलंबन और कठोर दंडात्मक कार्यवाही करने की संस्तुति की थी और इसके बाद ही तहसीलदार को निलंबित किया गया था। निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला को चार्जशीट दे दी गई थी लेकिन जांच अधिकारी अपर आयुक्त आज तक अपनी जांच ही पूरी नहीं कर पाए। इसमे एक तो पूर्व निजी सचिव का प्रभाव है तो दूसरी तरफ निलंबित तहसीलदार निखिल शुक्ला का राजनीतिक क्षेत्र में भी दखल है। अब सवाल उन अधिकारियों पर भी खड़ा हो रहा है जो जांच को लंबित रखकर मामले को हल्का करना चाहते हैं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here