सहकारिता विभाग में एमडी की ‘कुर्सी’ के लिये जोड़-तोड़ की गणित तेज…

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यूपी: पांच साल में बदल जाये सरकार,सहकारिता विभाग में छ: साल से नहीं बदली ‘ पैक्सफेड एमडी ‘ की कुर्सी…

तबादला नीति ने मानों अधिकारियों की उड़ा दी नींद,पव्वा पर तौली जा रही है एमडी की कुर्सी

सहकारिता विभाग के 9 एमडी में मचा घमासान,मंत्री ही करेंगे नैय्या पार …

संजय पुरबिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की माया निराली है। यहां की जनता-जनार्दन पांच साल बाद सरकार बदल देती है लेकिन यहां के सरकारी विभाग में अधिसंख्य ऐसे खूंटा गाड़ अधिकारी हैं,जो पांच साल से अधिक समय से मलाईदार कुर्सी पर डटे हैं। आखिर ये लोग क्यों नहीं कुर्सी का मोह छोड़ पाते हैं ? क्या अधिकारी जहां पांच साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं,वहां विकास की गंगा बहा रहे हैं या फिर ? ऐसा नहीं है,विभाग में विकास की गंगा तो नहीं अलबत्ता वे अपना विकास इतना कर लेते हैं कि उनकी सात पीढिय़ां बैठे-बैठे खाये लेकिन हराम की रकम खत्म होने का नाम ना ले…। जी हां, आज द संडे व्यूज़ सिर्फ सहकारिता विभाग की बात करेगा...। यहां पर ऐसे भी अधिकारी हैं जिन्होंने कमाया तो लेकिन विभाग में रिकार्ड तोड़ कमाई भी करायी लेकिन कुछ ऐसे हैं जो लगभग छह साल से मलाईदार कुर्सी पर कुंडली मारकर बैठे हैं और अभी भी छननी से मलाई छान रहे हैं और पौव्वा लगा रहे हैं कि कुछ माह और यहां रहने का आशीर्वाद मिल जाये तो…। तबादला नीति आने के बाद मलाई छानने वाले एमडी के होश फाख्ता हैं क्योंकि ठेका-पट्टी के नाम पर इतना अंधा कमाई कर चुके हैं कि उनका दिल कुर्सी छोडऩे को मानता ही नहीं…। बहरहाल,सभी एमडी अपने-अपने स्तर से कुर्सी बदलने की जुगत में लगे हैं। विभागीय मंत्री के आवास व कार्यालय की परिक्रमा लगा रहे हैं ताकि उनकी कृपा दृष्टि सही तरीके से पड़ जाये तो उनका भला हो जाये। विभाग में चर्चा जोरों पर है कि गोमतीनगर विस्तार वाले एमडी साहेब के दिल की धड़कनें तेज हो गयी है कि कहीं मंत्री जी की ईमानदारी से कहीं उनकी कुर्सी ना खिसक जाये

उत्तर प्रदेश में सहकारिता विभाग किसानों को लाभान्वित करने के लिये बनाया गया है। वर्ष 2022 में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर किसानों को गेहूं खरीद की बढ़कर रेट मिलने की वजह से सीधे मंड़ी में जाकर अपना गेहूं बेचकर लाभान्वित हुये हैं। अभी तक क्या था कि सहकारिता विभाग के अधिकारियों और मंड़ी में बैठे उनके दलालों के मकडज़ाल में किसान फंस जाते थे और औने-पौने दाम पर अपनी मेहनत की कमाई बेचने पर मजबूर हो जाते थे। जिसकी वजह से अधिकारी और दलाल करोड़ों रुपये का खेल करते रहें और किसान अपनी किस्मत को कोसता रहा। भाजपा की सरकार 2017 में बनने के बाद भी किसानों का अधिक भला इसलिये नहीं हुआ था कि कई अधिकारी भ्रष्टाचार का खेल खेलने में व्यस्त रहें लेकिन दुबारा भाजपा की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री के आक्रामक तेवर और सहकारिता जे.पी.एस.राठौर की पैनी निगाहों से अधिकारी सकते में हैं और दलाल मंड़ी से लापता हैं।

इस विभाग में कुछ ही ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने सरकार द्वारा दिये गये लक्ष्य को भेदकर विभाग को उन्नति की राह पर ले गये हैं। यदि बात करें तो यूपीएसएस के एमडी राजीव यादव, राज्य भंडारण निगम के एमडी श्रीकांत गोस्वामी, यू.पी.सहकारी विकास बैंक के एमडी ए.के.सिंह,उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक के एमडी वरुण मिश्रा एवं पीसीयू के एमडी मनोज द्विवेदी ने सहकारिता विभाग में कई ऐसे काम किये जिससे विभाग लाभान्वित हुआ है। इनमें से कईयों का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक हो गया है और सभी अपनी कुर्सी बदलने की राह देख रहे हैं लेकिन वहीं एक ऐसे एमडी भी हैं जिन पर पूर्व सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा की विशेष कृपा रही जिसकी वजह से उन्होंने सरकारी नियमावली की जमकर धज्जियां उड़ायी और पांच में सरकार बदलने के लिये चुनाव हो गया लेकिन साहेब नहीं बदले। जी हां, वे हैं, पैक्सफेड के एमडी धीरेन्द्र सिंह। साहेब का पौव्वा जबरदस्त है। देखना है कि भाजपा की दूसरी सरकार धीरेन्द्र सिंह की कुर्सी बदलने में कामयाब होती है या फिर मलाई छानने का पूरा मौका देती है…। सभी अधिकारियों की निगाहें तबादला नीति की आखिरी तारीख 30 जून पर टिकी है,क्योंकि ये जानते हैं कि यदि उक्त तारीख तक साहेब की कुर्सी नहीं हिली तो फिर…। हालांकि ईमानदार छवि के सहकारिता मंत्री जे.पी.एस.राठौर से सभी एमडी सकते में हैं,क्योंकि वे जानते हैं कि भ्रष्टाचार इन्हें बर्दाश्त नहीं और सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरना इनकी सोच है। देखते हैं,क्या होता है…।

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