दिवाली पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणपति की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें ये बातें

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लखनऊ। 

हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि और धन वैभव प्रदान करने वाला त्योहार माना गया है। इस साल यह पर्व देशभर में 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दिवाली के दिन भगवान गणपति और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। बात दें, दिवाली पूजन में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की हर साल नई प्रतिमा या मूर्ति रखी जाती है। ऐसे में दिवाली पूजा के लिए मार्केट में मिलने वाली किसी भी तरह की लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा लेने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आइए जानते हैं क्या-

ऐसी हो आपकी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति-
दिवाली के लिए लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं हमेशा धनतेरस के दिन ही खरीद लेनी चाहिए। धनतेरस का दिन लक्ष्मी गणेश को घर में लाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

अलग-अलग हो दोनों मूर्ति-
बाजार में अक्सर एक साथ जुड़ी हुई लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं भी बिकती हैं, लेकिन दिवाली पर इस बात का खास ख्याल रखें कि कभी भी संयुक्त लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति न खरीदें बल्कि मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की अलग-अलग प्रतिमाएं ही खरीदनी चाहिए।

बैठे हुए हों लक्ष्मी गणेश-
आप दिवाली की पूजा के लिए हमेशा बैठे हुए गणेश जी और माता लक्ष्मी पसंद करें। खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति शुभ नहीं मानी जाती है। वहीं गणेश जी की सूंड दाएं तरफ मुड़ी हुई हो। बाईं तरफ मूड़ी हुई सूंड व्यापारियों के लिए अच्छी मानी जाती है। जबकि लक्ष्मी जी की खड़ी मुद्रा की मूर्ति को उग्र स्वभाव का माना जाता है। इसलिए दिवाली पर बैठी हुई मुद्रा की मूर्ति की पूजा करें।

भगवान गणेश के हाथ में मोदक लिए हुए मूर्ति को ही दिवाली पूजा में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा गणेश जी के साथ उनका वाहन चूहा भी जरूर बना हुआ होना चाहिए।

धन वर्षा करती हुई लक्ष्मी-
लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान देना चाहिए कि लक्ष्मी जी के हाथ से धन वर्षा हो रही हो, उसे ही खरीदें। हाथ से सिक्के या धन गिरने वाली मूर्ति को धन लक्ष्मी कहा जाता है। दिवाली पूजन में उल्लू की जगह हाथी या कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी की मूर्ति को शामिल करना चाहिए।

खंडित या टूटी हुई मूर्ति न खरीदें-
दिवाली पर मिट्टी से बनी मूर्ति का पूजन सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप दिवाली पर अष्टधातु, पीतल या चांदी की मूर्ति का भी पूजन कर सकते हैं। दिवाली पूजन में खंडित या टूटी हुई मूर्ति को शामिल नहीं करना चाहिए।

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