उद्यान विभाग के अधिकारियों की ‘बेहयाई’:’प्रधानमंत्री कृषि योजना’ में भी ‘घोटाला करने’ से बाज नहीं आये

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डायरेक्टर की शह पर जनपदों में तैनात उद्यान अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कृषि योजना में किया ‘बंपर घोटाला’

उद्यान अधिकारियों को मालूम है कि डायरेक्टर को ईमानदारी नहीं बेईमानी ज्यादा आती है रास

डायरेक्टर आर.के.तोमर ने आडिट रिपोर्ट देखने के बाद दोषी अधिकारियों को क्यों बख्शा ?

आखिर डायरेक्टर को अधिकारियों ने कितना कमीशन दिया कि वे दयावान बन गये ?

वर्ष 2020-21 ऑडिट रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कृषि योजना में हुये घोटाले का ‘द संडे व्यूज़’ करेगा खुलासा

संजय पुरबिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का उद्यान विभाग। यहां पर ‘घोटाले का फूल’ खिल रहा है। फूल ही नहीं, शाक-सब्जियों के बीजों से भी ‘घोटाले की खेती’ हो रही है। आखिर हो भी क्यों ना…। इस विभाग के डायरेक्टर साहेब को ‘ईमानदारी’ के बजाये ‘बेईमानी’ की खेती की सब्जी,फल खाने में खूब मजा आता है। मजे की बात तो ये है कि जनपदों में तैनात उद्यान अधिकारियों को मालूम है कि हमारे डायरेक्टर साहेब ‘ईमानदार’ नहीं हैं, इसलिये सरकार की कोई योजना हो,बेखौफ होकर लूट मचा रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचार की खेती करने वाले अधिकारी जितने का बजट स्वीकृत होता है,उसका सिर्फ 5 प्रतिशत मुख्यालय में पहुंचा देते हैं। अब वो कमीशन की धनराशि मुख्यालय में किसके-किसके पास जाती है मालूम नहीं…। वैसे समझदार के लिये इशारा काफी है…। यही वजह है कि सरकार और शासन के अधिकारियों की परवाह किये बगैर जिला उद्यान अधिकारी जमकर योजनाओं में बंदरबाट कर रहे हैैं। अधिकारियों की बेहयाई तो देखिये,प्रधानमंत्री के स्वर्णीम योजनाओं को भी नहीं बख्श रहे हैंप्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रिप, रेनगन, मिनी स्प्रिंकलर आदि संयंत्रों में बंपर घोटाला किया गया है।

 

बता दें कि उद्यान विभाग में वित्तीय वर्ष के अभिलेखों का ऑडिट होता है,जिसमें कई जनपदों में गंभीर वित्तीय अनियमितता पायी गयी। किसानों के लिये चलायी गयी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में यूपी के जनपदों के लिये 600 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। सभी जनपदों को चार-चार करोड़ रुपये बजट स्वीकृत किया गया लेकिन सही लाभार्थी को ना के बराबर लाभ मिला। वर्ष 2021-22 के ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जिला उद्यान अधिकारियों ने लाभार्थी किसानों को उपलब्ध भूमि से अधिक भूमि का लाभार्थी बनाकर अनुदान दिया गया। पूरा घोटाला निदेशक द्वारा जनपद को आवंटित बजट से पांच प्रतिशत वसूला जा रहा है।

चौंकाने वाली बात यह है कि ऑडिट रिपोर्ट में पूरे दस्तावेज के साथ खुलासा किया गया कि किस जनपद में कौन से अधिकारी ने किस तरह से फर्जी किसान बनाया और जिनके पास कम जमीन था,उन्हें अधिक जमीन का लाभार्थी बनाकर करोड़ों रुपये का फर्जी भुगतान किया। सीधी बात करें तो इस भ्रष्टाचार के पीछे सिर्फ एक ही अधिकारी का नाम आता है,और वो हैं उद्यान विभाग के डायरेक्टर रवीन्द्र कुमार तोमर…। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो डायरेक्टर की शह पर ही अधिकारियों ने बंपर घोटाला किया है। जब ऑडिट रिपोर्ट में कई जनपदों के बारे में खुलकर लिखा गया कि इतने करोड़ का घोटाला किया गया है तो फिर डायरेक्टर ने प्रधानमंत्री के नाम की योजनाओं में घोटाला करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की ?

द संडे व्यूज़ खुलासा करेगा कि किस जनपद का कौन उद्यान अधिकारी,किस तरह से प्रधानमंत्री की कृषि योजनाओं में घोटाला किया है…।

नोट—अगले अंक में पढिय़े अमरोहा के भ्रष्टï उद्यान अधिकारी ने किस तरह से प्रधानमंत्री कृषि योजना में किस तरह से कितने करोड़ का घोटाला किया…

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