खबर का असर: गरीब सूरज को केयर डायग्नोस्टिक सेंटर से सिटी स्कैन कराने के मामले में दो सदस्यीय टीम गठित

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खबर का असर: गरीब सूरज को केयर डायग्नोस्टिक सेंटर से सिटी स्कैन कराने के मामले में दो सदस्यीय टीम गठित

‘द संडे व्यूज़’ ने रात्रिपाली में तैनात धंधेबाज डॉक्टर का किया था खुलासा,दो डॅाक्टर कर रहें जांच

 संजय पुरबिया
लखनऊ। आशियाना स्थित लोकबंधु राजनारायण चिकित्सालय में रात्रिपाली में तैनात डॉक्टर द्वारा गरीब सूरज का ‘सिटी स्कैन’ हॉस्पिटल में कराने के बजाये ‘केयर डायग्नोस्टिक सेंटर‘ से कराने के प्रकरण को चिकित्सालय प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। टीम गठित कर दी गयी है जिसमें मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी और डॉ.राजीव दीक्षित मामले की जांच कर रहे हैं। अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि जांच चल रही है और यदि रात्रिपाली में तैनात डॉ. द्वारा बाहर से सिटी स्कै न कराने की बात सच साबित हुयी तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों के लिये चिकित्सालय में ही सिटी स्कैन की व्यवस्था उपलब्ध करायी है।

 

बता दें कि द संडे व्यूज़ ने 9 जनवरी को शीर्षक ‘लोकबंधु राजनारायण चिकित्सालय-स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक,विधायक डॉ.राजेश्वर सिंह की मेहनत पर पानी फेर रहें चंद डॉक्टर’ में खुलासा किया था कि 22 दिसंबर की रात लगभग 12 बजे सूरज पाल,उम्र 45 वर्ष निवासी रिक्शा कालोनी,आशियाना के मुंह व नाक से खून निकल रहा था। परेशान परिजन सूरज को लेकर लोकबंधु राजनारायण चिकित्सालय पहुंचे। उस वक्त ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने सूरज के परिजनों से कहा कि तत्काल इनका सिटी स्कैन कराये,मामला गंभीर है…। परेशान परिजनों ने पूछा कि सिटी स्कैन कहां होता है,बता दें,मैं करा लूं…। डॉक्टर उन्हें केयर डायग्नोस्टिक सेंटर जाने की सलाह देकर सरकारी पर्चे पर ही अपना मोबाइल नंबर 6386929813 लिखकर देते हैं …। सूरज केयर डायग्नोस्टिक सेंटर जाता है और वहां पर उसका सिटी स्कैन हो जाता है।

खास बात यह है कि यदि लोकबंधु चिकित्सालय में ही सूरज का सिटी स्कैन होता तो पैसा नहीं देना पड़ता लेकिन केयर में उसे 4200 रुपये देने पड़े…। एक गरीब परिवार के लिये उस वक्त जिंदगी और मौत का ख्याल मंडरा रहा था,क्या रात्रिपाली में तैनात डॅाक्टर को उनकी भावनाओं को नहीं समझना चाहिये था? उन्हें पैसे की इतनी हवस थी कि गरीब की मदद करने के बजाये उसे केयर डॅायग्नोस्टिक सेंटर भेज दिया? अब सवाल यह उठता है कि आखिर डॉक्टर ने सूरज को केयर डायग्नोस्टिक सेंटर क्यों भेजा? कहीं ऐसा तो नहीं कि केयर डायग्नोस्टिक सेंटर में सिटी स्कैन के लिये भेजने वाले मरीजों के एवज में उन्हें कमीशन मिलता है ? संभवत: कमीशन का ही खेल हो सकता है वर्ना गरीब सूरज का सिटी स्कैन वहीं पर हो सकता था। जांच होनी चाहिये ऐसे कितने डॉक्टर हैं जो कमीशन का गंदा खेल खेल कर गरीबों को लूटने का काम कर रहे हैं।

अफसोस इस बात का है कि सरोजनीनगर विधानसभा के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह संकल्पबद्ध हैं कि वे गरीबों के लिये हर वक्त,हर सुविधा देंगे। लोकबंधु चिकित्सालय में महंगे से महंगे उपकरण मंगाकर साबित भी कर दिया कि वे गरीबों के हितैषी हैं लेकिन उनके सपनों को यहां तैनात चंद डॅाक्टर ध्वस्त कर रहे हैं। हालांकि, अनपढ़ सूरज ने किसी तरह अपनी पीड़ा टाईप कराकर द संडे व्यूज़ तक भेजा है। सूरज ने बताया कि इसकी शिकायत हम जरूर करेंगे। साहेब, हमारे लिये 2200 रूपये बहुत बड़ी रकम है। एक महिने का खाना हमलोग खा लेते हैं। जब मशीन यहीं लगा है तो डाक्टर साहेब को हमको केयर में नहीं भेजना चाहिये था।

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