ये जोशीमठ नहीं लालच का ‘पहाड़’ टूट रहा है’…

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देहरादून। आदि शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ की भूमि लगातार धंस रही है। यहां मकान और होटल जमींदोज होने लगे हैं। ऐतिहासिक नृसिंह मंदिर में भी दरारें आ गई हैं। अब तक यहां 678 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। इसी बीच आज प्रशासन ने असुरक्षित भवनों को गिरने की कवायद भी शुरू कर दी है। लेकिन ये जोशीमठ नहीं लालच का पहाड़ टूट रहा है। इस सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि इतने संवेदनशील क्षेत्र में इतनी बड़ी इमारत बनाने की परमिशन किसने दी और अब तक इस ओर सरकारी मशीनरी का ध्यान क्यों नहीं गया।

दरअसल, लगातार दरकते जोशीमठ में सात मंजिला तक इमारतें बन गई हैं। जोशीमठ बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वारा है। लेकिन यह मात्र पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया है। व्यवसायियों ने लालच में आकर जमीन का मूल्यांकन किए बिना ही यहां बड़े-बड़े होटल खड़े कर दिए हैं। जिसके नतीजे आज उनके ध्वस्तीकरण के रूप में सामने आ रहे हैं। चमोली डीएम ने भी पत्र भेजकर शासन का ध्यान अनियोजित निर्माण की ओर खींचा है।

होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें होटल तोड़ने की कोई सूचना नहीं दी और ना ही कोई नोटिस दिया गया। सालों पहले करोड़ों रुपये की लागत से होटल बना था। सरकार अगर होटल गिराना चाहती है तो मुआवजा भी दे। कहा कि मुझे केंद्र और राज्य सरकार से बहुत तकलीफ है। ये होटल जनहित में तोड़ा जा रहा है तो कोई बात नहीं मैं प्रशासन के साथ हूं। बस मुझे नोटिस देना चाहिए और मेरा आर्थिक मूल्यांकन कर देना चाहिए। उसके बाद मैं यहां से चला जाऊंगा।वहीं, होटल माउंट व्यू के मालिक सुंदरलाल सेमवाल का कहना है कि हमें हमारे होटल तोड़ने की कोई सूचना नहीं मिली है। यह हमारी आजीविका का साधन है। सरकार को हमारे लिए मुआवजे की व्यवस्था करनी चाहिए। बता दें कि जोशीमठ बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वारा है। चारधाम यात्रा के दौरान जोशीमठ में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। श्रद्धालु यहां नृसिंह मंदिर के दर्शन करने के बाद ही बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू करते हैं।

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