दो डीआईजी के बीच ‘शर्मनाक’ वाकयुद्ध : ‘तुमने एसीएस के हांथों में विभाग को गिरवी रख दिया’ …

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-होमगार्ड विभाग के दो डीआईजी के बीच शर्मनाक वाकयुद्ध : रंजीत सिंह वर्सेज संजीव शुक्ला

  • तुम बास्टर्ड हो,तुम्हारे पास बचा क्या है…
  • मुख्यालय के आफिसर्स मेस में चल रहा था विभागीय जांच निस्तारण ट्रेनिंग
  • जिस समय डीआईजी संजीव शुक्ला,डीआईजी रंजीत सिंह पर शब्दबाण चला रहे थे,कई महिला अधिकारी भी मौजूद थीं

संजय पुरबिया

लखनऊ। 9 फरवरी होमगार्ड विभाग के लिये ‘काला दिन’ साबित हुआहोमगार्ड मुख्यालय के आफिसर्स मेस में सूबे के सभी डीआईजी,डिवीजनल कमांडेंट एवं कमांडेंट स्तर के अधिकारियों को ‘विभागीय जांचों का नियमानुसार निस्तारण‘ की ट्रेनिंग के लिये बुलाया गया था लेकिन दो डीआईजी संजीव शुक्ला और रंजीत सिंह के बीच हुयी ‘वाकयुद्ध’ ने ‘वर्दी को शर्मशार’ व ‘बेशर्मी’ की सारी हदें पार करने जैसा ‘घृणित कृत्य’ किया है…। मेरे पास ‘शब्द’ कम पड़ रहे हैं कि आखिर उस दिन की घटना की कितनी निंदा की जाये…। वर्दीधारी संगठन अपनी ‘आन-बान-शान’ के लिये जाना जाता है लेकिन ‘कुर्सी की ललक’ और कम समय में ‘अथाह सम्पत्तिकमाने की लालच ने इस विभाग का बेड़ा गर्क कर दिया हैभले ही सरकार दावा ठोंके की होमगार्ड विभाग ‘विकास की नई गाथा’ लिख रहा है लेकिन हकीकत यह है कि इस विभाग के तथाकथित अफसरों ने ‘विकास’ नहीं ‘भ्रष्टïाचार’ की ‘नई-नई गाथा’ लिख रहे हैं और आगे भी लिखते रहेंगे…। क्या वर्दी का सभी जूनियर अफसरों के सामने अपमान करने वाले दोनों डीआईजी के खिलाफ कार्रवाई कर सरकार कठोर संदेश देने की कोशिश करेगी ? ये सवाल इसलिये ‘द संडे व्यूज़’ उठा रहा है क्योंकि भरी बैठक में जब डीआईजी,आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला और डीआईजी झांसी परिक्षेत्र रंजीत सिंह के बीच बास्टर्ड-बास्टर्ड का खेल चल रहा था,तुम बेशर्म हो,शर्म बचा है क्या ! की तीखे बाण चल रहे थे, डिपार्टमेंट को एसीएस के हांथों गिरवी रख दिये हो  …जैसे भारी-भरकम शब्दों का प्रहार हो रहा था,उस दरम्यान वहां पर कई महिला अधिकारी भी मौजूद थीं। क्या ये शोभा देता है कि एक डीआईजी महिला अधिकारियों के सामने अपने सीनियर आफिसर्स डीआईजी के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करे...।  सवाल भी है और देखना भी है, क्या इस गंभीर प्रकरण में शासन और विभाग के बड़े अधिकारी जांच बिठाकर दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हैं या नहीं ? बात जो भी हो प्रदेश भर से आये समस्त अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय है और इस शर्मनाक घटना की सभी निंदा कर रहे हैं…। 


शासन के निर्देश पर होमगार्ड मुख्यालय के आफिसर्स मेस में गत 8 से 9 फरवरी तक दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया था। इसमें सभी राजपत्रित अधिकारियों मसलन डीआईजी,मंडलीय कमांडेंट एवं कमांडेंट मौजूद थे,जिन्हें मास्टर ट्रेनरों के माध्यम से विभागीय जांच के निस्तारण से संंबंधित सभी विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। मास्टर ट्रेनरों के रुप में डीआईजी,प्रयागराज संतोष कुमार,मंडलीय कमांडेंट अजय कुमार पाण्डेय,मंडलीय कमांडेंट-झांसी पियूषकांत,मंडलीय कमांडेंट-बरेली प्रमोद कुमार,मंडलीय कमांडेंट-आजमगढ़ रामकृष्ण वर्मा एवं मंडलीय कमांडेंट सहारनपुर सुभाष राम मौजूद थे। प्रशिक्षण के अगले दिन यानि 9 फरवरी को आफिसर्स मेस में विभागीय आईजी धर्मवीर ने अपना सम्बोधन किया और जैसे ही वे कक्ष से निकले,वहां मौजूद अधिकारियों ने आफिसर्स एसोसिएशन के चुनाव का मुददा उठा दिया। बता दें कि डीआईजी-झांसी रंजीत सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।

बात चली तो रंजीत सिंह ने वहां मौजूद डीआईजी-आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला का नाम लेते हुये कहा कि अरे…’मुझे तो संजीव जी,हर दिन व्हाटसअप पर मैसेज भेजते रहते हैं लेकिन मैं जवाब नहीं देता’…। फिर क्या था,संजीव शुक्ला भड़क गये…। संजीव शुक्ला का भड़कना स्वाभाविक था। आखिर आप सार्वजनिक किसी का नाम कैसे ले सकते हैं ? उन्होंने सीधे रंजीत सिंह से पूछा कि आप बताईये ‘मैं आपको हर दिन क्या मैसेज भेजता हूं’…। ‘सबके सामने मुझे मैसेज दिखाईये’…। इस पर रंजीत सिंह बात का घुमाकर दूसरी बात करने लगे लेकिन तब तक माहौल गरम हो चुका थाउस वक्त वहां पर सभी मंडल के महिला-पुरुष अधिकारी मौजूद थे।  नाम ना छापने की शर्त पर कई अधिकारियों ने बताया कि डीआईजी संजीव शुक्ला ने रंजीत सिंह पर गंभीर आरोपों की झड़ी लगाते हुये कहा कि तुम बेशर्म हो…। तुमने बास्टर्ड हो…। तुम्हारे पास बचा क्या है,तुमने तो एसीएस के हांथों डिपार्टमेंट को गिरवी रख दिया है…। दो डीआईजी के वाकयुद्ध के दौरान वहां मौजूद सभी अधिकारी मूकदर्शक बन तमाशा देखते रहें और वहां मौजूद महिला अधिकारी वर्दी की इज्जत तार-तार होते देखते रहीं। सभी अधिकारी सोच रहे थे कि आखिर दोनों के बीच किस बात को लेकर मन में इतनी गंदगी भरी है कि आज सार्वजनिक संजीव शुक्ला ने अपनी भड़ास निकाली? क्या दोनों के बीच कुर्सी और पॉवर की जंग चल रही है।

 

बता दें कि आने वाला वक्त इस विभाग के लिये बेहद खराब हो सकता है या यूं कहें कि दो डीआईजी की जंग इस विभाग के पतन की ठीक उसी तरह की कहानी लिखेगी जैसे एक दशक में डीआईजी आर.बी.सिंह और डीआईजी रूदल सिंह ने लिखी थी…। खैर, रंजीत सिंह जब मुख्यालय पर डीआईजी थे तो उन पर ‘करोड़ों की संपत्ति’ अर्जित करने का आरोप लगा और शासन ने उनका तबादला झांसी परिक्षेत्र में कर दिया। रंजीत सिंह को आशंका है और उन्होंने कई बार कहा भी है कि इसमेें डीआईजी संजीव शुक्ला का हाथ है। बात जो भी हो,  भरी बैठक में रंजीत सिंह ने डीआईजी संजीव शुक्ला को जाते-जाते ‘ललकारा’ भी है कि ‘छह माह के अंदर दिखाता हूं कि तुम क्या हो’…।

 

बात जो भी जो, दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच जिस तरह से समस्त अधिकारियों के बीच जो निहायत ही ‘निम्र स्तर’ की ‘वाकयुद्ध’ हुयी,उससे विभाग में क्या ‘सकारात्मक संदेश’ गया या ‘नकारात्मक’,ये तो शासन में बैठे अलंबरदार जानें। देखना है अब ‘मंत्री जी’ और शासन के अफसरान इस घटना को किस रुप में लेते हैं और ले जाते हैं…।

इस बारे में डीआईजी-झांसी परिक्षेत्र रंजीत सिंह के नंबर 9415064355 से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। वहीं, डीआईजी-आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला के 9415547374 नंबर पर संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मुख्यालय पर तो ये सब चलता रहता है। 9 फरवरी को आफिसर्स मेस में आपलोगों के बीच वाकयुद्ध हुआ था,उसकी शुरुवात कैसे हुयी ? इस पर संजीव शुक्ला का जवाब था कि अभी कुछ लोग आये हैं,फ्री होकर कॉल करता हूं…।

शेष अगले अंक में… जिनके घर शीशे के होते हैं,वो दूसरे के घरों में पत्थर नहीं मारते…

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