अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक तालाबंदी की कगार पर क्यों पहुंचा, संकट का भारत पर क्या असर होगा ?

0
616

दिल्ली। सिलिकॉन  वैली बैंक (S VB) में तालाबंदी की खबरों के बाद अमेरिका के साथ-साथ दुनियाभर के बाजार में हड़कंप मच गया। 2008 की मंदी के दौरान वाशिंगटन म्यूचुअल और लेहमन ब्रदर्स के डूबने के बाद इसे सबसे बड़ा आर्थिक संकट माना जा रहा है। अमेरिकी नियामकों ने शुक्रवार को S VB को बंद करने की घोषणा कर दी। कैलफोर्निया में बैंकिंग नियामकों ने बैंको बंद करने के बाद फेडरल डिपॉजिट इन्श्योरेंश कॉरपोरेशन (FDIC) को बैंक के असेट रिसिवर के तौर पर नियुक्त किया है। इस खबर को पूरी दुनिया के बाजार में ग्लोबल मंदी की आहट के रूप में देखा जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला ? स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले एक बैंक को बंद करने की नौबत क्यों आ गई ? भारतीय बैंकों और स्टार्टअप इकोसिस्टम पर इसका क्या असर पड़ेगा ? जानते हैं पूरी कहानी

S VB में क्या गड़बड़ी हुई ?
सेंटा क्लारा स्थित एसवीबी की परेशानी तब शुरू हुई जब उसकी मूल कंपनी एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप ने अपने पोर्टफोलियो से 21 अरब डॉलर की प्रतिभूतियों को बेचने की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए 2.25 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की जा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि स्टार्टअप उद्योग में व्यापक मंदी के कारण बैंक में उच्च जमा निकासी की स्थिति बनी जिसके परिणामस्वरूप यह कदम उठाया गया। फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद एसवीबी ने ब्याज से होने वाली आमदनी में बड़ी गिरावट की आशंका जताई थी। दूसरी ओर फेड की ओर से ब्याज दरें बढ़ने से भी एसवीबी बैंक का गणित गड़बड़ हो गया। आखिरकार SVB के बंद होने का सबसे बड़ा कारण उसके निवेशकों की ओर से एक साथ ही बैंक से पैसा निकालना रहा। माना जा रहा है कि निवेशकों ने बैंक के डूबने के डर से एक साथ ही बड़ी बिकवाली कर दी थी।

बैंक ने जिन बॉन्ड्स में निवेश किया क्या वे असफल रहे?

S VB के पास 2021 में 189 अरब डॉलर का डिपॉजिट था। बैंक ने इस पैसे से पिछले 2 वर्षों के दौरान अरबों डॉलर के बॉन्ड खरीदे थे लेकिन इस निवेश पर उसे कम ब्याज दरों के कारण पर्याप्त रिटर्न नहीं मिला। इसी बीच फेडरल रिजर्व बैंक ने टेक कंपनियों के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी। इससे बैंक का संकट और बढ़ गया। सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) एक हफ्ते पहले दो अरब डॉलर से अधिक की पूंजी जुटाने में असफल रहा था।  उसके बाद वह 2008 के वित्तीय संकट के बाद धराशाई होने वाला अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक बन गया। संकट के बीच कंपनी के प्रमुख ग्रेग बेकर ने शुक्रवार को कर्मचारियों को एक वीडियो संदेश में “अविश्वसनीय रूप से कठिन” बीते 48 घंटों के बारे में बात की और कर्मचारियों को कंपनी के वर्तमान हालात के बारे में बताया। सिलिकॉन वैली बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बेकर तीन दशक पहले कंपनी में ऋण अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने 2008 के वित्तीय संकट के बाद बैक को चलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें 2011 में एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप के अध्यक्ष और सीईओ नियुक्त किया गया।

 संस्थागत निवेशकों ने क्यों छोड़ा साथ?

बैंक के रोज बिगड़ते हालात के बीच पीटर थिएल के संस्थापक फंड, कोट्यू मैनेजमेंट और यूनियन स्क्वायर वेंचर्स सहित कई प्रमुख वेंचर कैपिटलिस्ट डर गए। सूत्रों के अनुसार उन्होंने पोर्टफोलियो में अपने एक्सपोजर को सीमित करने और बैंक से अपनी नकदी खींचने का निर्देश दिया। अन्य वीसी फर्मों ने भी बैंक से अपना निवेश बाहर करने का फैसला किया। एसवीबी के शेयर में गुरुवार (9 मार्च) के कारोबारी सेशन में को 60% की गिरावट आई और इससे बैंक के बॉन्ड भी फिसल गए। इस बीच एसवीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ग्रेग बेकर ने उद्यम पूंजी निवेशकों सहित बैंक के ग्राहकों के साथ एक कॉन्फ्रेंस कॉल की जिसमें उन्होंने निवेशकों से “शांत रहने” का आग्रह किया गया। लेकिन शुक्रवार को कंपनी के शेयरों में तेज गिरावट के बाद बाजार में शेयरों की बिक्री रोक दी गई। इसी दौरान नियामकों ने बैंक को बंद करने का फैसला ले लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते दो दिनों में एसवीबी संकट के कारण अमेरिकी बैंकों को करीब 100 अरब डॉलर का घाटा हुआ। वहीं इस दौरान यूरोपीय बैंकों ने भी 50 अरब डॉलर का घाटा झेला। शुक्रवार के दिन भारतीय बाजार में भी बैंकिंग सेक्टर के शेयर कमजोरी के साथ कारोबार करते दिखे।
S VB के ग्राहक कौन थे ?
एसवीबी अमेरिकी स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिहाज से बड़ा निवेशक था। यह बैंक सिलिकॉन वैली और तकनीकी स्टार्टअप्स में निवेश पर केंद्रित था। इसकी वेबसाइट के अनुसार, इसने कुल अमेरिकी स्टार्टअप के लगभग आधे और अमेरिकी उद्यम-समर्थित तकनीकी और स्वास्थ्य कंपनियों में 44% के साथ कारोबार किया।

क्या S VB विफल रहा ?

हां, कैलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल प्रोटेक्शन एंड इनोवेशन ने बैंक का अधिग्रहण किया और अपर्याप्त तरलता और दिवालियापन का हवाला दिया। इसने फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प को रिसीवर के रूप में नामित किया।

S V B मसले पर एफडीआईसी ने क्या कहा ?

एफडीआईसी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सिलिकॉन वैली बैंक के सभी दफ्तर 13 मार्च को खुलेंगे और बीमित जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा। हालांकि चिंता की बात ये है कि साल 2022 के बाद से बैंक के 175 बिलियन डॉलर के डिपॉजिट में से 89 प्रतिशत का कोई बीमा हुआ ही नहीं है। ऐसे में बड़ी संख्या में बैंक के जमाधारकों को चूना लगेगा यह तय है। बैंक के पास 2022 के अंत तक 209 अरब डॉलर की संपत्ति और 175.4 अरब डॉलर की जमा राशि थी। ऐसे में ग्राहकों की 250,000 डॉलर(2.5 करोड़ रुपए) तक की जमा राशि को FDIC के की ओर से कवर किया जाएगा। यानी बैंक बंद होने के बाद भी ये पैसा ग्राहक को वापस मिल जाएगा।

S VB संकट का दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?

पहले से मंदी की आशंका से जूझ रही दुनिया में एसबीवी संकट और तनाव बढ़ाएगा यह तय है। चूंकि कंपनी स्टार्टअप्स में निवेश के लिए जारी जाती है इसलिए पूरी दुनिया का स्टार्टप इकोसिस्टम इससे प्रभावित होगा। दुनियाभर के बैंकिंग सेक्टर के शेयर इससे प्रभावित होंगे। अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में अभी से बड़ी गिरावट की आशंका नजर आ रही है। भारतीय बैकिंग शेयर भी शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए।

S VB संकट का भारतीय स्टार्टअप्स पर क्या असर पड़ेगा?

सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) में वर्तमान संकट का असर भारतीय स्टार्टअप की दुनिया पर पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता। स्टार्टअप पर आंकड़े जुटाने वाली ट्रैक्सन डाटा के अनुसार, एसवीबी ने भारत में करीब 21 स्टार्टअप में निवेश कर रखा है। हालांकि, इनमें निवेश की गई राशि की जानकारी स्पष्ट नही है। एसवीबी का भारत में सबसे अहम निवेश एसएएएस-यूनिकॉर्न आईसर्टिस में है। स्टार्टअप कंपनी एसवीबी से पिछले साल अक्तूबर में करीब 150 मिलियन डॉलर की पूंजी जुटाने में सफल रही थी। इसके अलावा ब्ल्यूस्टोन, पेटीएम, वन97 कम्युनिकेशन्स, पेटीएम मॉल, नापतोल, कारवाले, शादी, इनमोबि और लॉयल्टी रिवार्ड्ज के भी पैसे लगे हैं। वेंचर कैपिटल कंपनी एस्सेल पार्टनर्स के भी एसवीबी से कुछ समझौता है। एसवीबी के अनुसार, एस्सेल के संस्थापकों ने भी बैंक का इस्तेमाल कंपनी की तेज वृद्धि के लिए किया है।

2008 में लीहमन ब्रदर्स के डूबने की याद क्यों ताजा हुई?

29 सितंबर 2008 को अमेरिकी बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई थी। इस दौरान निवेशकों के करीब 1.2 लाख करोड़ डॉलर दिनभर में ही हवा हो गए थे। यह कितना गंभीर था इस बात का अंदाजा इस से ही लगाया जा सकता है कि निवेशकों को हुआ नुकसान उस समय की भारत की कुल GDP के बराबर थी। उस दौरान अमेरिका में तेजी से बढ़ते प्रॉपर्टी बाजार को देखते हुए लीमैन ने लोन देने वाली 5 कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया था। लेकिन बढ़ी हुई ब्याज दरों के कारण बाजार में रियल एस्टेट की मांग घटने लगी। नतीजा यह हुआ कि जिन्होंने लोन लिया वे चुकाने में विफल हो गए। इसके परिणामस्वरूप 17 मार्च को लीमैन के शेयर 48 फीसदी तक टूट गए। उसके बाद 15 सिंतबर 2008 को लीहमन ने खुद को दीवालिया घोषित करने की गुहार लगाई। इस खबर के बाद अमेरिकी बाजार को एतिहासिक झटका लगा। SVB में तालेबंदी खबर ने वर्ष 2008 में लीहमन ब्रदर्स के साथ जो हुआ उसकी याद दिला दी है। दुनियाभर के बाजार यह सोचकर सहम गए हैं कि क्या ये ग्लोबल मंदी की शुरुआत है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here