होमगार्ड विभाग : मुख्यमंत्री के पास भेजे गये एक पत्र ने मचा दी ‘सनसनी’, वाराणसी,कमांडेंट राजमणि सिंह पर एक नहीं लगे हैं कई ‘गंभीर आरोप’

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होमगार्ड विभाग : वाराणसी,कमांडेंट राजमणि सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री के पास पहुंचा गुमनाम पत्र, शासन ने बिठायी जांच

शासन स्तर पर शुरु हुयी जांच,अधिकारियों के अवैध वसूली,फर्जी भर्ती करने का जिन्न एक बार फिर बाहर निकला…

कमांडेंट,वाराणसी राजमणि सिंह पर होमगार्डों ने लगाये कई गंभीर आरोप

1: कमांडेंट राजमणि सिंह की प्रति माह की वसूली है 21 लाख रुपये !

2: आजमगढ़ में राजमणि ने बना रखा है 2 करोड़ की कोठी,आय से अधिक संपत्ति की होनी चाहिये जांच !

3: पूर्व में फेल हुये मृतक आश्रितों की भर्ती में पास करने के एवज में तीन जवानों से लिये 16 लाख रुपये !

4: दिव्यांगों की भर्ती कर सभी जवानों से लिये 2.50 लाख रुपये !

5: बैंडमैन राजनाथ सोनकर के खिलाफ कार्रवाई ना करने पर लिये 50 हजार रुपये !

6: 25-25 हजार रुपये लेकर बनाये कंपनी मेजर,कंपनी सार्जेट,कंपनी क्वार्टर मास्टर,कंपनी हवलदार मेजर !

7: निलंबित कर बहाल करने के नाम पर कमांडेंट जमकर कर रहें वसूली की बैटिंग !

8: वाराणसी में पूर्व में तैनात कमांडेंट घनश्याम चतुर्वेदी,राजनारायण सिंह की वसूली,’भ्रष्टाचार’  की कहानी को पीछ़े छोड़ दिये हैं कमांडेंट राजमणि सिंह !

9: कमांडेंट की कमाई लगभग 70 हजार,वाराणसी में 30 हजार रुपये प्रतिमाह किराये के मकान में रहते हैं,कहां से धन की बारिश ?

10: झांसी में इंस्पेक्टर थे तो राजमणि सिंह ने डीटीसी की जमीन बेच डाला था, कमाया 25 लाख,चल रहा है मुकदमा !

  संजय पुरबिया

लखनऊ। होमगार्ड विभाग में एक बार फिर ‘गोपनीय पत्र’ ने सनसनी मचा दी है। अधिकारियों के सामने ‘बेबस जवान’ अपनी भड़ास निकालने के लिये मुख्यमंत्री से लेकर शासन के अफसरानों तक एक पत्र के माध्यम से सही-गलत बातों को बैखौफ होकर लिख भेजते हैं फिर ‘जबरियन वसूली’,जवानों को ‘बेवजह निलंबित’ कर ‘बहाली’ के नाम पर वसूली करने सहित ‘भ्रष्टाचार’ के गंभीर आरोप पर्दे से बाहर निकलने लगते हैं। मैं ये नहीं कह रहा कि होमगार्डों द्वारा पत्र के माध्यम से लगाये गये सभी आरोप सही होते हैं लेकिन धुआं तभी उठता है जब आग लगती है…। सूबे में तैनात अधिसंख्य जवानों के अंदर ये आग सुलग रही है कि आखिर ड्यूटी देने के नाम पर, चमचों के कहने पर वर्दी में मामूली खामियां होने पर कब तक मंडलीय कमांडेंट और कमांडेंट उनलोगों को बर्खास्त करते रहेंगे ! बात हो रही है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तैनात होमगार्ड विभाग के कमांडेंट ‘राजमणि सिंह’ की…। द संडे व्यूज़ के पास वो पत्र है,जिसमें वाराणसी के होमगार्डों ने भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाये हैं। मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है और जांच मुख्यालय पर तैनात एसओ टू सीजी विनय मिश्र को सौंप दी है।
मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में वाराणसी के कमांडेंट राजमणि सिंह पर ‘भ्रष्टाचार’ ,’काली कमाई’ एवं ‘धन उगाही’ के कई आरोप लगाये गये हैं। आरोप है कि लगभग एक वर्ष से राजमणि सिंह वाराणसी में कमांडेंट के पद पर तैनात हैं। बिना ‘पैसा वसूले’ राजमणि कोई काम नहीं करते हैं। ‘सुविधा शुल्क’ नाम पर ये किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। यदि इनके काले कारनामों पर रोक नहीं लगायी गयी तो वाराणसी में किसी भी दिन ‘विस्फोट’ हो सकता है और जवान बाध्य होकर सड़कों पर उतर सकते हैं,जैसा की पूर्व में तैनात कमांडेंट राज नारायण सिंह,घनश्याम चतुर्वेदी एवं राम नारायण के कार्यकाल में हुआ था।

 

पत्र में आरोप लगाया गया है कि पूर्व के कमांडेंट शैलेन्द्र सिंह एवं मार्कण्डेय सिंह के समय मृतक आश्रित कोटे में जवान फेल हो गये थे। मंडलीय कमांडेंट से आदेश लेने के बाद मंडलीय चिकित्सालय में भी जांच करायी गयी,उसमें भी जवान फेल हो गये थे लेकिन राजमणि सिंह ने चिकित्सालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से जवानों से 2-2 लाख रुपये लेकर पास कर दिया। इस तरह आठ मृतक आश्रितों से उन्होंने 16 लाख रुपये लूटा। आरोप लगा है कि दिव्यांग आश्रितों की भर्ती में भी राजमणि ने ढाई-ढाई लाख रुपये वसूला और चिकित्सालय कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण पत्र बनाया गया है। नवीन कुमार मिश्र से भी ढाई लाख रुपये लेकर भर्ती की गयी। कई जवानों का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अनुग्रह राशि के लिये मुख्यालय भेजा गया किन्तु मुख्यालय ने उस पर आपत्ति लगा दी। आज भी कई होमगार्ड का फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर उनसे ढाई-ढाई लाख रुपये लेकर भर्ती की जा रही है लेकिन मुख्यालय द्वारा रोक लगाने क बाद भी उनका पैसा वापस नहीं किया गया। कमांडेंट के खास वसूलीमैन क्लर्क अमित,रविन्द्र एवं निरीक्षक ओमप्रकाश सिंह ने 12 होमगार्डों से ढाई-ढाई लाख रुपये लेकर कमांडेंट को दिया है। इसकी जांच हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा…।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि मुख्यालय से निर्देश है कि मृतक आश्रित भर्ती के समय वीडियोग्राफी की जाये। कमांडेंट पहले आश्रितों को अधिक समय ना देकर फेल कर देते हैं,फिर दो-दो लाख रुपये लेकर 10 मिनट से अधिक समय देकर उन्हें पास कर देते हैं। इसकी जांच वीडियोग्राफी देखकर की जा सकती है। कमंाडेंट ने अभी तक 16 मृतक आश्रितों से यही काम कर 32 लाख रुपये वसूल चुके हैं। पिछले साल पैसा ना देेने पर मृतक आश्रित अखिलेश कुमार पुत्र स्व. हरेन्द्र सिंह को बार-बार दौड़ाये जाने के कारण दौड़ते समय गिरकर उसकी मौत हो गयी। मामला उछला लेकिन षडय़ंत्रकारी अफसरों ने उसे दूसरा रूप देकर दबा दिया। इसी तरह,एक आरोप यह भी लगाया गया है कि राजमणि ने उम्र बढ़ाने के नाम पर होमगार्डों से एक-एक लाख रुपये वसूले हैं। ऐसे लगभग 80 होमगार्ड यहां जनपद में तैनात हैं। इसकी भी जांच होनी चाहिये। अधिसंख्य होमगार्ड 70-70 वर्ष के ड्यूटी करते मिल जायेंगे।

कमांडेंट पर यह भी आरोप है कि होमगार्डों को निलंबित कर दुबारा बहाल करने का खेल धुआंधार तरीके से खेला जा रहा है। राजमणि प्रति माह कुछ जवानों को निलंबित करते हैं,फिर उनसे 25-25 हजार रुपये वसूली कर बहाल कर देते हैं। इस काम में उनकी मदद जिले के सभी बीओ करते हैं। ये लोग उनके लिये प्रति माह तीन-तीन शिकार लाते हैं क्योंकि कमांडेंट ने सभी को तीन निलंबित करने वाले जवानों का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। सच जानना है तो काशी विद्यापीठ कंपनी के गार्ड शशिकांत गौढ़ एवं हरहुआ कंपनी के गार्ड केशव चौबे व घनश्याम चौबे से की जा सकती है। इस काम से कमांडेंट प्रति माह लगभग 21 लाख रुपये की वसूली करा रहे हैं। वाराणसी में यातायात ड्यूटी में 500 जवान तैनात हैं। राजमणि ने पुरानी परिपाटी को खत्म कर वसूली के लिये नई परिपाटी बना दी है।

पुराने कमांडेंट संजय सिंह,शैलेन्द्र सिंह,मार्कण्डेय सिंह के समय में जो चल रहे यातायात इंचार्ज कंपनी कमंाडर नित्या पाण्डेय को हटाकर अवैतनिक कंपनी कमांडर देवेन्द्र सिंह,स्वरूपानंद सिंह, अवैतनिक पीसी आनंद गुप्ता को लगाकर 200,200 एवं 100 होमगार्डों से 2000-2000 रुपये वसूली का लक्ष्य रखा है। इस तरह देवेन्द्र सिंह से 4लाख रुपये प्रतिमाह, स्वरूपानंदसिंह से 4 लाख रुपये एवं आनंद गुप्ता से 2 लाख रुपये वसूल रहे हैं। इस काम में यातायात निरीक्षक ओम प्रकाश सिंह पूरी तरह से मदद करते हैं। इतना ही नहीं,राममणि ने लगभग 100 होमगार्डों को यातायात से निकाल दिया और उसके बदले दूसरे 100 होमगार्डों को चुनकर उनसे प्रति गार्ड 50-50 हजार रुपये वसूला।

कमांडेंट पर आरोप लगाया गया है कि लगभग 70 हजार रुपये वेतन पाने वाले राजमणि वाराणसी में 30 हजार रुपये का दो मंजिला मकान किराये पर लेकर रहते हैं। आजमगढ़ शहर में राजमणि ने 2 करोड़ की आलीशान कोठी बनाकर रह रहे हैं। इसकी तो आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच बिठानी चाहिये। इतना ही नहीं,झांसी में जब राजमणि इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे तो इन्होंने डीटीसी की सरकारी जमीन को ही बेच दिया और इसके एवज में 25 लाख रुपये कमाया था। इस प्रकरण की जांच अभी भी संबंधित थाने में चल रही है और राजमणि सहित वन विभाग के 12 कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। इसकी भी जांच खुलनी चाहिये।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि मुख्यालय पर तैनात रहे डी.जी. के स्टॉफ अफसर ए. पी. सिंह का हर महीना हिसाब पहुंचाते रहते हैं। मुख्यालय जाने वाली इनकी सारी शिकायतों को ए. पी. सिंह दबवा देते हैं इनके कहने पर ही ए. पी. सिंह ने मृतक आश्रित भर्ती में मंडलीय कमांडेंट को भर्ती से बाहर करवाने का आदेश डीआईजी रंजीत सिंह से करा दिया था। ऐसा इसलिये ताकि इनके फर्जीवाड़े में कोई रोक-टोक ना लगा सके।

मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में जिस तरह से आरोपों की झड़ी लगायी गयी है,उससे सवाल उठना लाजमी है क्योंकि वाराणसी में तैनात कमांडेंट राजमणि सिंह पर पूर्व में झांसी के जो कृत्य किये गये थे, उसका खुलासा द संडे व्यूज़ ने पूर्व में किया था। आरोप सही है या नहीं ये तो तय करना पुलिस विभाग का काम है क्योंकि आज भी झांसी के थाने में राजमणि सहित वन विभाग के दर्जनों कर्मचारियोंं के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। वसूली करना तो इस विभाग का जन्मशिद्ध अधिकार है , जो लाख चाहने के बाद भी खत्म नहीं किया जा सकता। एक बात और,ये होमगार्ड विभाग है… जरुरी नहीं कि कमाडेंट राजमणि पर लगाये गये सभी आरोप सही हो,क्योंकि वाराणसी की कुर्सी बेहद ‘कमाऊ’ है,यहां बैठने की चाहत सभी कमांडेंट की होती है। हो सकता है कि जो गुमनाम पत्र मुख्यमंत्री को भेजा गया है,उसके पीछे भी तथाकथित कमांडेंट, जो इस कुर्सी की ‘चाहत’ रखते हों, उनका खेल हो ? ये तो जांच का विषय है,देखना है मुख्यालय स्तर पर जांच किस अधिकारी को सौंपा जाता है…।

इस गुमनाम पत्र के बारे में जब वाराणसी के जिला कमांडेंट राजमणि से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि सभी आरोप बेबुनियाद है। मेरे ऊपर भ्रष्टाचार को आरोप कोई साबित नहीं कर सकता,मैंने अपनी नौकरी ईमानदारी से की है।

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