होमगार्ड विभाग में ‘लेटर बम’ पर जांच ‘गुमनाम पत्र’ में लगाये गये ‘दर्जनों जांच’ पर होनी चाहिये !

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वाराणसी कमांडेंट राजमणि सिंह पर लगे दर्जनों भ्रष्टाचार मामले में जांच ईमानदारी से होगी या …

एसओ टू सीजी विनय मिश्रा बनें जांच अधिकारी,मंडलीय कमांडेंट अजय पाण्डेय को सौंपी जांच

राजमणि सिंह पूर्व में वाराणसी में प्लाटून कमांडर थे,खूब किया भ्रष्टाचार ,कमांडेंट विनय मिश्र, धर्मदेव मौर्य ने कार्रवाई के लिये मुख्यालय लिखा था पत्र

पत्र में जवानों ने लगाया है आरोप : मुख्यमंत्री कार्यालय,एसीएस के यहां से फोन कराकर वाराणसी कमांडेंट बना हूं…

    संजय पुरबिया

लखनऊ। होमगार्ड विभाग वाराणसी के कमांडेंट राजमणि सिंह पूर्व में यहीं पर ‘प्लाटून कमांडर’ के पद पर तैनात थे। उस दौरान भी इन्होंने जवानों को खूब ‘शोषण’ किया अपने कमांडेंट से ‘विवाद’ और ‘अवैध वसूली’ को लेकर वाराणसी के पूर्व कमांडेंट ‘विनय मिश्रा’ एवं ‘धर्मदेव मौर्य’ से इनका विवाद हो चुका है। अधिकारियों ने कई बार चेताया लेकिन वर्दी के ‘दंभ’ में चूर इंस्पेक्टर राजमणि सिंह ने इनकी एक न सुनी और अपनी मर्जी से नौकरी करते रहें। इस पर इंस्पेक्टर राजमणि के खिलाफ धर्मदेव मौर्य ने मुख्यालय को पत्र लिखकर इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उसके बाद ही इनका ट्रांसफर झांसी कर दिया गया। अब साहेब झांसी गये, तो वहां पर भी इन्होंने झंड़ा गाड़ दिया। झांसी में ‘सरकारी जमीन’ ‘बेचने’ के एवज में पैसा लेने के प्रकरण में राजमणि सिंह ने होमगार्ड विभाग का खूब ‘नाम रौशन’ किया। सीधी बात करें तो राजमणि सिंह पहले से ही वाराणसी के माहिर खिलाड़ी माने जाते रहे हैं। सवाल यह है कि मौजूदा समय विनय मिश्रा एसओटूसीजी के पद पर मुख्यालय पर तैनात हैं। इन्होंने जांच वाराणसी के मंडलीय कमांडेंट ए .के. पाण्डेय को सौंप दी है। पाण्डेय जी की गिनती ‘ईमानदार’ अधिकारियों में होती है लेकिन फिलवक्त जांच ‘गुमनाम पत्र’ में लिखे चार नामों से पूछताछ के रुप में की जा रही है। पत्र में शिकायतकर्ताओं के नाम हवलदार-अजीत चौधरी,नित्यानंद पाण्डेय,रविकांत त्रिपाठी एवं विजय शंकर पाण्डेय है। पूछताछ जारी है…।बड़ा सवाल यह है कि क्या अपने अधिकारी के भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कर्मचारी अपने नाम से शिकायती पत्र भेजेगा ? मेरा जवाब तो ‘ना’ ही होगा,क्योंकि सामने आकर कोई लड़ाई नहीं लडऩा चाहता…। हो सकता है जांच खत्म कर दिया जाये, क्योंकि जब शिकायतकर्ता ही सामने नहीं आया तो ‘गुमनाम लेटर’ बताकर मामला खत्म…। चलिये मान लिया कि पत्र गुमनाम है लेकिन कमांडेंट पर लगाये गये दर्जनों गंभीर आरोपों की जांच किसी दूसरे मंडल के वरिष्ठ अधिकारी से कराना तो चाहिये…। देखना है कि क्या विनय मिश्रा गंभीर आरोप पर जांच के लिये किसी दूसरे अधिकारी या मंडल ए.के.पाण्डेय को पत्र जारी करते हैं या नहीं ?

बता दें कि द संडे व्यूज डॉट कॉम एवं इंडिया एक्सप्रेस न्यूज डॉटकॉम ने 23 मार्च को शीर्षक वाराणसी कमांडेंट राजमणि सिंह के खिलाफ ‘मुख्यमंत्री के पास पहुंचा गुमनाम पत्र,शासन ने बिठायी जांच’ खबर प्रकाशित की गयी। खबर प्रकाशित होने के बाद विभाग में हड़कम्प मच गयापत्र जिसने भी लिखा,उसमें जांच के इतने बिंदू हैं कि यदि ईमानदारी से लगाये गये सभी आरोपों की जांच कर दी जाये तो चर्चित कमांडेंट राजमणि संकट में पड़ जायेंगे। खैर,ये तो विभाग का काम है पत्र में वाराणसी कमांडेंट राजमणि पर आरोप लगाया गया है कि जब वे वाराणसी के प्लाटून कमांडर के पद पर तैनात थे,उस दरम्यान कमांडेंट विनय मिश्रा थे। उसके बाद कमांडेंट धर्मदेव मौर्य की तैनाती हुयी। दोनों अधिकारियों ने प्लाटून कमांडर राजमणि सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिये मुख्यालय को पत्र लिखा था। खंगाला जाये तो वो पत्र मिल सकता है लेकिन भला ऐसा कोई क्यों करेगा…। अब राजमणि वाराणसी के कमांडेंट पद पर तैनात हैं और उन्हें वहां का पूरा खेला पहले से ही मालूम है,इसलिये जमकर चौव्वा-छक्का लगा रहे हैं। जैसा की पत्र में आरोप लगाया गया है।

आरोप ये भी लगाया गया है कि वे सभी वैतनिक एवं अवैतनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को धमकी देते हैं कि मेरी पहुंच मुख्यमंत्री तक है। कोई नहीं चाहता था कि मेरी तैनाती वाराणसी में हो लेकिन मैंने अपर मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन कराकर अपनी तैनाती वाराणसी करवायी है। कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। किसी को वाराणसी में रहना है तो मेरे पीछे-पीछे चलना होगा…। खैर,देखना है गुमनाम पत्र में लगाये गये गंभीर मामलों की जांच होती है या नहीं ?

 

 

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