कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक, 11 वरिष्ठ आइपीएस अफसरों को सुपरसीड कर बनाए गए पुलिस के मुखिया
मूलरूप से गौतमबुद्धनगर के निवासी राजीव कृष्ण एडीजी लखनऊ व आगरा जोन समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। कार्यवाहक डीजीपी के रूप में तैनात 1990 बैच के आइपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलने की चर्चा थी, जिस पर शनिवार रात विराम लग गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में गिने जाने वाले प्रशांत कुमार को जल्द कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कुमार ने पिछले वर्ष एक फरवरी को कार्यवाहक डीजीपी का कार्यभार संभाला था।
गौतमबुद्धनगर निवासी राजीव कृष्ण ने इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग की है। दो बार राष्ट्रपति का गैलेंट्री अवार्ड प्राप्त कर चुके राजीव कृष्णा का अभी लंबा सेवाकाल है। उनकी सेवानिवृत्ति में चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है, जिसकी वजह से वह प्रदेश के स्थाई डीजीपी भी बन सकते हैं। प्रदेश में सिपाही नागरिक पुलिस के 60,244 पदों सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद प्रदेश सरकार ने राजीव कृष्णा को भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने परीक्षा सकुशल संपन्न कराई और सरकार ने उनकी काबिलियत को सराहा।
प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के गठन के बाद यह नौवें डीजीपी की तैनाती है। 24 अप्रैल, 2017 को सबसे पहले सुलखान सिंह डीजीपी बने थे, जिन्हें एक सेवा विस्तार भी मिला था। उनके बाद ओपी सिंह, हितेश चंद्र अवस्थी व मुकुल गोयल पूर्णकालिक डीजीपी के रूप में तैनात रहे। जबकि डा. देवेन्द्र सिंह चौहान को 12, मई 2022 को पहला कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। इसके बाद डीजीपी के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। चौहान के बाद 31 मार्च,2023 को डा.आरके विश्वकर्मा दूसरे व इसी वर्ष 31 मई को विजय कुमार तीसरे कार्यवाहक डीजीपी बने। विजय कुमार का सेवाकाल 31 जनवरी, 2024 को पूरा हुआ था, जिसके उपरांत प्रशांंत कुमार चौथे कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था।
नए डीजीपी के चयन की चर्चाएं शुरू होने के बाद राजीव कृष्ण को ही इस पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था। 1991 बैच में वह वरिष्ठता सूची में तीसरे स्थान पर हैं। इस बैच में आलोक शर्मा व पीयूष आनन्द वरिष्ठता क्रम में आगे हैं पर दोनों ही अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।
तीन एडीजी बनेंगे डीजी
प्रशांत कुमार के साथ ही 31 मई को 1990 बैच के ही आइपीएस अधिकारी पीवी रामाशास्त्री व डा.संजय एम. तरडे का भी सेवाकाल पूरा हाे गया। रामशास्त्री डीजी जेल व तरडे डीजी टेलीकाम के पद पर तैनात थे। एक जून को एडीजी के पद पर तैनात 1992 बैच के आइपीएस अधिकारी आशुतोष पांडेय, आनन्द स्वरूप व नीरा रावत डीजी के पद पर प्रोन्नत हो जाएंंगे। जल्द ही नए डीजी जेल व डीजी टेलीकाम की तैनाती के साथ ही इस स्तर के अधिकारियों में अन्य फेरबदल हो सकते हैं।
लगातार पांचवे कार्यवाहक डीजीपी की तैनाती
– डीएस चौहान 1988 बैच ,13 मई 2022 से 31 मार्च 2023 तक
डॉ. राजकुमार विश्वकर्मा 1988 बैच, एक अप्रैल 2023 से 31 मई 2023
विजय कुमार 1988 बैच, 1 जून 2023 से 31 जनवरी 2024
प्रशांत कुमार 1990 बैच, 1 फरवरी 2024 से 31 मई 2025 तक।
अटकलें जोर-शोर से चल रहीं थीं कि वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार का सेवा विस्तार हो सकता है। खबरों के अनुसार उनके विस्तार को बिल्कुल आखिरी समय पर घोषित किया जाना था। उसके उलट शासन ने राजीव कृष्ण को प्रदेश को नया डीजीपी बना दिया गया। डीजीपी के चयन के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी जरूर दी थी, पर उसके तहत अब तक समिति का गठन भी नहीं किया गया है। ऐसे में प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार न मिलने की दशा में डीजी विजिलेंस राजीव कृष्ण को डीजीपी का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वह 1991 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं।
            











