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घोटाला: फर्जी तरीके से बेच दी तीन हजार करोड़ की जमीन…

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हिमालयन सहकारी आवास समिति का अनुबंध निरस्त

रजिस्ट्री की और विकास शुल्क भी हड़पा

संवाददाता,लखनऊ। गोमती नगर विस्तार में मनमाने तरीके से समिति की करीब छह लाख वर्ग स्क्वायर फीट जमीन बेचने का मामला सामने आया है। बेची गई भूमि की कीमत करीब तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। मकदूमपुर में बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति का फर्जी सदस्य बनाकर बड़े पैमाने पर भूखंडों का समायोजन किया गया। यह खेल 2018 से 2022 के बीच किया गया।

सहकारिता विभाग की जांच और हाईकोर्ट की फटकार के बाद बुधवार को गाजीपुर थाने में समिति के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण सिंह बाफिला समेत सात नामजद व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया। समिति के वर्तमान सचिव महेंद्र प्रसाद तिवारी ने समिति के तत्कालीन अध्यक्ष प्रवीण सिंह बाफिला, तत्कालीन सचिव लखन सिंह बालियानी, वीरेंद्र कुमार सिंह, कमलेश सिंह, अभिषेक विक्रम सिंह, नरेंद्र कुमार सिंह, अरविंद सिंह व उनके अन्य पारिवारिक सदस्य और पदाधिकारियों पर धोखाधड़ी कर समिति की जमीन भूमाफियाओं की मदद से बेचने का आरोप लगाया था।

इसके खिलाफ पहले भी दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। 28 मार्च 2022 को एक मुकदमा एलडीए के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता अवनींद्र कुमार सिंह ने भी मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें वीरेंद्र पर सरकारी जमीन और अवैध कब्जा, निर्माण की शिकायत दर्ज कराई गई थी।

आरोप है कि घोटाले में एक ही परिवार और उसके सदस्यों को लाभ पहुंचाया गया। यह सहकारिता नियमों का उल्लंघन है। पीड़ित के मुताबिक यह सारा खेल लेखराज मार्केट स्थित कार्यालय से किया गया है, जिन जमीनों पर ये रजिस्ट्रियां हुईं, उन पर समिति का स्वामित्व था और न ही एलडीए से नक्शा पास था।

उसका रेरा में पंजीकरण तक नहीं कराया गया। यानी समिति के पास कभी भी उक्त जमीन का स्वामित्व नहीं था। तहसीलदार न्यायालय में इस संबंध में वाद दाखिल किया गया इसमें समिति के स्वामित्व के दावे को निराधार मानते हुआ खारिज किया गया था।

उक्त भूमि पर अवैध कब्जे, निर्माण और बिक्री की सूचना पर डीएम लखनऊ ने 16 सितंबर 2021 को एक पत्र भेजकर भूमाफिया बाफिला गैंग द्वारा संचालित समिति के माध्यम से किए जा रहे कब्जे रोकने का आदेश दिया था। आदेश में गैंग के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे का भी जिक्र था। इस मामले में किसान यूनियन के सदस्यों ने भी आवास आयुक्त से शिकायत की थी। एलडीए ने भी इसकी जांच कराई।

जांच में प्रवीण सिंह समेत अन्य के खिलाफ नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई। हालांकि भूमि के समायोजन का लाभ पाने में एलडीए के अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। 2021 में डीएम ने रजिस्ट्री करने पर रोक लगाई थी उसके बाद भी बिक्री होती रही। उनका कहना है कि यह सब बिना एलडीए की शह के संभव नहीं था। जांच के आधार पर समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। बुधवार को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए गाजीपुर पुलिस और सहकारिता विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई।

आननफानन में गाजीपुर पुलिस ने शिकायत पर प्रवीण सिंह समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। गाजीपुर के सहायक पुलिस आयुक्त ए. विक्रम सिंह ने बताया कि जिस कार्यालय से ठगी होने की बात कही गई है उसका भौतिक सत्यापन किया जाएगा। साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई होगी।

महेंद्र प्रसाद तिवारी का आरोप है कि बाफिला और उसके गुर्गों ने जमीनों की रजिस्ट्री की और अवैध तरीके से लोगों से करीब आठ करोड़ रुपये का विकास शुल्क लिया। यह शुल्क विभाग में जमा करने की जगह हड़प कर लिया। जिस जमीन की रजिस्ट्री की गई उसकी वर्तमान में कीमत कई सौ करोड़ रुपये है।

पांच अगस्त को एलडीए बोर्ड ने दि हिमालयन सहकारी आवास समिति लिमिटेड के अनरजिस्टर्ड पांच अनुबंधों को निरस्त कर चुका है। एलडीए सचिव विवेक श्रीवास्तव ने बताया, सहकारी आवास समिति ने एलडीए की रिपोर्ट पर ही पिछले दिनों कार्रवाई किया है।

वहीं, बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति से उसे समायोजन के तहत दी गई 14309 वर्गमीटर भूमि वापस लेने का का प्रस्ताव भी बोर्ड ने स्वीकृत किया है।

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