शारदीय नवरात्र सोमवार से, इस बार गज पर सवार होकर आ रही हैं मां

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संवाददाता, लखनऊ: शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होकर एक अक्टूबर को समाप्त होंगे। इस बार शारदीय नवरात्र में मां भगवती का आगमन गज यानि हाथी पर हो रहा है जो जगत के लिय कल्याणकारी है। इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस अवधि में माता रानी की आराधना करने व व्रत रखने वाले साधकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि उन्हें पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है जो इस वर्ष सोमवार को प्रतिपदा तिथि रात्रि 01:19 तक है। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र दिवा 11:25 तक पश्चात् हस्त नक्षत्र रहेगा। ‘मूलेन आवहेति देवि’ के अनुसार इस वर्ष मां का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है जो अत्यन्त शुभ है। इस वर्ष नवरात्र दस दिनों का है चतुर्थी तिथि (मां कूष्मांडा की पूजा दो दिन होगी ) नवरात्र सोमवार से प्रारम्भ होकर बुधवार एक अक्टूबर को नवमी तिथि में पूर्णाहुति होगी।

पूजा का मुहूर्त और विधि

  • कलश स्थापन मुहूर्त- प्रातः 06:00 बजे से लेकर शाम तक कभी भी किया जा सकता है
  • विशेष अभिजीत मुहूर्त- 11:36 से 12:24 तक
  • मां भगवती का ध्यान कर ‘जयन्ती मंगला काली भद्र काली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’ का जप करें। जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण हो।
  • कलश स्थापना के पश्चात् मां भगवती दुर्गा जी का पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन कर दुर्गासप्तशती पाठ करें।
  • नवार्ण मन्त्र का जप निष्ठा पूर्वक करना चाहिए।
  • प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए कि मन,वचन व कर्म से पवित्र रहते हुये मां भगवती की उपासना करें।

इस तरह जलाएं रखें अखंड दीप

अगर आप अखंड दीप या ज्योत जला रहे हैं, तो इस बात का पूरी तरह से ध्यान रखें कि ज्योत खंडित न हो। आप एहतियात के तौर पर एक छोटा दीपक जलाकर आप अखंड ज्योत के पास रख सकते हैं। ऐसे में अगर भूलवश आपका अखंड दीप खंडित हो जाता है, तो आप उसे छोटे दीपक की सहायता से तुरंत पुनः प्रज्वलित कर सकते हैं। ऐसा करने से आप दोष से बच सकते हैं।

रखें ये सावधानियां

नवरात्र के नौ दिनों में जिस स्थान पर आप देवी की पूजा करते हैं, उस स्थान पर झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। इसके स्थान पर आप किसी साफ व कोरे कपड़े से पूजा स्थल को फर्श साफ कर सकते हैं। नवरात्र की अवधि में तामसिक भोजन, शराब, मांस आदि से दूरी बनानी चाहिए। साथ ही इस पूरी अवधि में तन और मन की स्वच्छता का भी ध्यान रखें, ताकि माता रानी की कृपा आपके ऊपर बनी रहे।

घट स्थापना में ध्यान रखें ये बातें

नवरात्र के दौरान घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। घट स्थापना से पहले इस स्थान को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए, जहां आपको इसे स्थापित करना है। इसके बाद गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए और इसके घट स्थापना करें।

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