स्टेट सेके्रटरी सार्थक शर्मा की ‘एबीवीपी’ में ‘विरोध’ से ‘विजय’ तक,’संघर्ष’ से ‘सेवा’ तक की यात्रा

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दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ में एबीवीपी का परचम लहराया हेडिंग

छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति- सार्थक शर्मा

  अक्षत श्रीवास्तव

नई दिल्ली। आज, जब भारत विश्व गुरु बनने के पथ पर अग्रसर है, तब छात्र राजनीति का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह वह मंच है जहां कल के राष्ट्रनेता तैयार होते हैं… जहां लोकतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा मिलती है… और जहां ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के साथ ‘राष्ट्र प्रेम’ का संस्कार होता है। एबीवीपी की यह यात्रा ‘विरोध’ से ‘विजय‘ तक, ‘संघर्ष’ से ‘सेवा‘ तक है…। यह आज के युवाओं के लिये प्रेरणा है कि किस तरह ‘छात्र शक्ति’ को ‘राष्ट्र शक्ति’ में बदला जा सकता है। यह साक्षात्कार दिल्ली प्रदेश के एबीवीपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के युवा और ऊर्जावान स्टेट सेक्रेटरी सार्थक शर्मा के साथ आयोजित किया जा रहा है।

सार्थक शर्मा ने शिक्षा, छात्र कल्याण और राष्ट्र निष्ठ विचारधारा के लिये लगातार संघर्ष किया है और विवेकशील नेतृत्व के लिये छात्रों के बीच विशेष पहचान बनाई है। सार्थक शर्मा इस गौरवशाली विरासत के युवा कर्णधार हैं। हाल की डीयूएसयू पंजाब विश्वविद्यालय, जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय में एबीवीपी की ऐतिहासिक जीत केवल चुनावी सफ लता नहीं, यह इस बात का प्रमाण है कि आज की पीढ़ी ‘स्टूडेंट्स फस्ट, नेशन फस्ट’ के मंत्र को समझ रही है। इस साक्षात्कार का उद्देश्य न केवल एबीवीपी की हालिया सफलताओं को समझना है, बल्कि यह जानना है कि 21वीं सदी में कैसे युवा राष्ट्र निर्माण, सांस्कृतिक गौरव और वैश्विक नेतृत्व के लिये तैयार हो रहे हैं, क्योंकि जैसा कि एबीवीपी का नारा कहता है… ‘छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति है’। पेश है सार्थक शर्मा से खास बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल : कानून के छात्र होने के नाते आप एबीवीपी में कैसे आये? आपकी राजनीतिक यात्रा कैसी रही ?

जवाब : कानून का छात्र बनने से पहले मैं एबीवीपी में आ गया था। जब 2018 में मैं यु.जी. में एडमिशन लिया उस समय वेलकम फ्रेशर्स ओरिएंटेशन प्रोगाम हुआ, जिसमे केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ही मुझे ऑन ग्राउंड मिला, जिसने तिलक लगा कर मेरा स्वागत किया, एक छोटी डायरी दी, पेन दिया…। यही मेरा पहला परिचय था एबीवीपी से। इसके लगभग 4 -5 दिन बाद हमारे कॉलेज में पार्किंग को लेकर एक प्रोटेस्ट हो रहा था। पार्किंग की समस्या को लेकर जो एबीवीपी करा रही थी, वही पर मेरी मुलाकात हमारे इकाई अध्यक्ष से हुई। मैंने उनसे बात की और एबीवीपी का सदस्य बन गया। कई और संगठन थे मगर एबीवीपी पहले दिन से ही छात्र हितों के लिये संघर्ष करते हुये मिली, जो मुझे पसंद आया। जैसे कहते है ना फस्ट इम्प्रेशन इस द लास्ट इम्प्रेशन…। वही मेरे साथ भी हुआ।

सवाल: डीयूएसयू चुनाव 2025 में एबीवीपी के अर्यन मान को अध्यक्ष पद पर 28,841 मत मिले हैं। इस बड़ी जीत का मुख्य कारण क्या रहा है ? पिछले साल एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद जीता था, लेकिन इस बार आपने तीन मुख्य पदों पर कब्जा जमाया है। छात्रों की राय में यह बदलाव क्यों आया ?

जवाब: आपके दोनों सवाल का एक साथ जवाब दूंगा। हमने इस बार 4 में से 3 बहुत महत्वपूर्ण सीट्स जीती है। रही बात छात्रों की राय में बदलाव की तो आप देखिये की पिछले साल एनएसयूआई ने अध्यक्ष और सह-सचिव पद जीत कर साल भर किया क्या ? इनके अध्यक्ष ने केवल रील बनाई…अपनी टी.आर.पी. बढ़ाने के लिये वह रील बनाते थे, उसपे मुद्दे उठाते थे और वही पर समाप्त हो जाते थे। इनकी एक रील आई भूख हड़ताल करने को लेकर, लेकिन किसी को यही नहीं पता था की धरातल पर कितने दिन इनकी भूख हड़ताल चली ? जितनी देर की रील बनी, उतनी ही लम्बी इनकी भूख हड़ताल थी। इनके सह- सचिव थे, जिनके ऑफि स की वीडियो आई जहा डीयूएसयू ऑफिस में शराब परोसी जा रही है, शराब पार्टी चल रही है, एक वीडियो आई की रौनक खत्री की… इनका अध्यक्ष हफ्ता वसूली करता है…। इन्होने साल भर गुंडई, शराब पार्टी करी और जब छात्र हित की बात आती थी तब यह अपना मुंह छुपा लेते थे और देश भर के भ्रमण पर निकल जाते थे। दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र यह समझ गया की एनएसयूआई केवल रील में मुद्दे उठाती है, रियल में नहीं… और इसीलिए छात्रों ने एबीवीपी को चुना और एक बड़ा संदेश दिया।

 

सवाल: डीयूएसयू चुनाव के दौरान वोट चोरी के आरोप लगे थे, लेकिन एबीवीपी ने इसे दिल चोरी में बदल दिया। इस रणनीति के बारे में बताइये।

जवाब: जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बन रही होती है,वहां पर ये लोग वोट चोरी का आरोप नहीं लगाते, लेकिन जैसे ही हारने वाले होते हैं,वोट चोरी ईवीएम खराबी के आरोप मढऩे लगते हैं। ठीक उसी तरह इस बार एनएसयूआई वालों को लगा कि वे बुरी तरह से चुनाव हारने वाले हैं और एबीवीपी प्रचंड़ जीत की तरफ बढ़ रही है तो अव्यवस्था और वोट चोरी का आरोप लगाने लगे। वे जानते थे कि हारने वाले हैं तो छात्र कहीं हार का ठिकरा उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रभारी पर न डाले इसलिये वोट चोरी का आरोप लगाकर भ्रमित करने का काम करने लगे। आप बताइये, एनएसयूआई के प्रत्याशी उपाध्यक्ष पद पर कैसे जीत गये ? क्या उनकी जीत में भी वोट चोरी हुआ था ?

सवाल: पंजाब विश्वविद्यालय में 48 साल बाद एबीवीपी ने अध्यक्ष पद जीता है, जेएनयू में एक दशक बाद एबीवीपी ने संयुक्त सचिव का पद जीता है और 42 में से 23 काउंसिलर सीटें हासिल की हैं, हाल ही में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी एबीवीपी ने सभी केंद्रीय पैनल पोस्ट जीती हैं। वामपंथी किले में यह सेंध कैसे लगाई गई ? इन ऐतिहासिक जीत को प्राप्त करने में क्या रणनीति थी ?

जवाब: देश में इस समय वंदे मातरम का नारा लग रहा है,भारत माता की जय का जयकारा लग रहा है। एबीवीपी से जुड़ा हर शख्स देश को जोडऩे का काम कर रहा है ना कि कांग्रेसियों की तरह तोडऩे का…। आज के दौर में यदि देश को जोडऩे का काम कोई कर रहा है तो वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोग ही हैं। यही वजह है कि देश का युवा एबीवीपी से तेजी से जुड़ रहा है। आप देखियेगा जेएनयू में चुनाव होने वाला है और वहां परभी एबीवीपी प्रचंड़ जीत हासिल करेगी। 5सवाल: आज के युवा एबीवीपी की तरफ क्यों आकर्षित हो रहे हैं ?

सवाल: स्टूडेंट पावर, नेशन पावर के नारे का क्या प्रभाव है ?

जवाब: ये 70 के दशक का नारा है। उस समय उस समय एबीवीपी का नारा स्टूडेंट पॉवर,नेशन पॉवर था लेकिन आजादी के समय कहा जाने लगा कि स्टूडेंट नेशन नहीं न्यूजसेंस क्रिएट करते हैं। अभी भी आप केरला का माडल देखेंगे तो वहां छात्र छोटी-छोटी बातों में मारपीट, गुंडागर्दी पर उतारु हो जाते हैं लेकिन एबीवीपी का आज भी वही नारा है और कहते हैं कि देश पर जब भी संकट पड़ेगा हमलोग सीना तान कर खड़ा हो जायेंगे। आप देखेंगे कि एबीवीपी के कार्यकर्ता साल के 365 दिन काम करते दिखेंगे। कैम्पस में छात्रों के साथ किसी तरह की प्रॉॅब्लम हो,हमलोग हमेशा उनकेे साथ खड़े रहते हैं। यही वजह कि बड़ी संख्या में छात्र एबीवीपी से जुडऩा चाहते हैं।

सवाल: राहुल गांधी और एनएसयूआई के खिलाफ मई 2025 में छात्रा सम्मान यात्रा क्यों निकाला गया ? महिला नेताओं के साथ दुव्र्यवहार पर एबीवीपी का क्या नजरिया है ?

जवाब: आपने सही कहा…। राहुल गांधी उस दिन अचानक कैंपस में पहुंच जाते हैं और इसकी सूचना एनएसयूआई के चाटुकारों को लगती है। उसके बाद कैंपस को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया जाता है। छात्राओं को अंदर बंद कर गेट पर ताला लगा दिया जाता है। यही नहीं, संवैधानिक पद पर बैठी महिला प्रोफेसर को उन्हीं के कार्यालय के अंदर नहीं जाने दिया गया। एक तरह से कांग्रेस ने डेमोके्रसी पर हमला करने का काम किया था। इसी के विरोध में छात्रा सम्मान यात्रा निकाल कर विरोध प्रदर्शित किया। यूनिवर्सिटी के अंदर एनएसयूआई द्वारा इस तरह की गुंडई हमलोग कतई बर्दाश्त नहीं करेेंगे।

सवाल : आपातकाल में 10,000 से अधिक एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह किया था। आज की पीढ़ी में वैसी प्रतिबद्धता कैसे लाई जा सकती है ?

जवाब: जब-जब देश पर विपत्ती आती है,एबीवीपी से जुड़े सभी कार्यकर्ता मदद के लिये तैयार रहते हैं। हमलोग राष्ट्र,देश की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध हैं। देश का हर युवा भारत माता के साथ खड़ा है। आपने देखा होगा, उत्तराखण्ड में आपदा आयी,वहां पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने पहुंच कर पीडि़तों की हर संभव मदद की। बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे लोगों के लिये भी एबीवीपी के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने जान जोखिम में डालकर मदद की।

सवाल : छात्र शक्ति को राष्ट्र शक्ति में बदलने के लिये भू-राजनीतिक जागरूकता क्यों आवश्यक है ? वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भूमिका के लिये आज के छात्रों को कैसे तैयार करना चाहिये ?

जवाब: मेरा मत स्पष्ट है, जो हम भारत माता की जय का नारा लगाते है वह कोई चित्र में बनी हुई भारत माता की जय का नारा नहीं है, यह आज के युवाओं को समझना होगा की इस नारे का मतलब है भारत के किसान की जय, भारत के बॉर्डर पे खड़े जवान की जय, भारत के नौजवान की जय, भारत के रिसर्च और अनुसंधान की जय, भारत के विज्ञान की जय और भारत के संविधान की जय । जब भी हम भारत माँ की जय का नारा लगाते है तो हमे यह स्मरण करना चाहिये, आप चाहे जिस क्षेत्र में जाये, आप जो कार्य करे, आपके दिमाग में और दिल में हमेशा यह भाव रहना चाहिये कि भारत माँ का जयकारा हो और हमारे लिये रहे द्य ।एबीवीपी भी यही भाव जागृत करता है अपने ‘स्टूडेंट पॉवर नेशन पॉवर’ नारे के साथ ताकि ‘छात्र शक्ति राष्ट्र’ के काम आ सके और भारत को पुन: विश्व गुरु बना कर स्थापित करे जो की आज का युवा कर सकता है और कर के भी दिखाएगा …

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