गिरीश चंद्र कटियार प्रकरण-आईजी,पुलिस,डीआईजी मामले में कर रहें लीपापोती,अभी तक नहीं बैठी जांच

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तुम मार कर, काट कर, डकैती डालकर आओ, मैं हूं मुख्यालय पर तुम्हारा खेवनहार

होमगार्ड वारिस अली के परिजनों ने मंडलीय कमांडेेंट गिरीश चंद्र कटियार पर लगाया है हत्या का आरोप

धनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार आईपीएस एम.के.बशाल होमगार्ड विभाग में डीजी हैं। इनकी कार्यशैली देख मुख्यालय से लेकर प्रदेश भर में तैनात ‘सदमे’ में हैं। आप तो जानते ही हैं कि इस विभाग में ‘भ्रष्टाचार’  की अनगिनत कहानियां दबायी गयी हैं,या फिर पूरी तरह से कर दी गयी हैं। हर दिन अफसर मनौती मनाते हैं कि पांच माह वाले डीजी साहेब तक कोई शिकायत ना पहुंचे,वर्ना नौकरी गयी…। चलिये आज से एक-एक कर खुलासा ‘द संडे व्यूज़’ अब करेगा ताकि डीजी श्री बशाल भी जानें कि जहां वे बैठे हैं, वहां पर महा भ्रष्टाचार कर चुके या फिर यूं कहिये कि दोनों हांथों से प्रदेश के मंडलीय कमांडेंट और कमांडेंट को लूटने वाले कुछ अफसर भी बैठे हैं। ऐसे अफसर जिनके मुंह से ‘सिर्फ’ और ‘सिर्फ’ ‘ईमानदारी’ के बोल निकलते हैं, जो महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं लेकिन ‘नोटों की गड्डियों’ से उन्हें रत्ती भर परहेज नहीं हैं। बात करते हैं रामनगर ट्रेनिंग सेंटर में तैनात पूर्व मंडलीय कमांडेंट कटियार की। कटियार की कारस्तानी से एक होमगार्ड की मौत हो गयी। परिजनों ने मुख्यमंत्री, डीजी,एसीएस,होमगार्ड तक शिकायती पत्र भेजकर इंसाफ की गुहार लगायी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुयी। चर्चा है कि कटियार ने मुख्यालय के अफसरों के मुंह पर नोटों की गड्डी मारकर मुंह बंद करवा दिया है। हालांकि पैसे की लेन-देन की बातें द संडे व्यूज पुष्टि नहीं करता। कुल मिलाकर यही कह सकते हैं कि होमगार्ड विभाग की महिमा अपरंपार,वधिक को बनाया रिश्तेदार…। तुम मुझे पचास दो, मैं तुम्हें इज्जत दूंगा… के सिद्धांत पर चल रहे हैं आईजी, डीआईजी और कटियार के बन गये हैं पालनहार। तुम मार कर, काट कर, डकैती डालकर आओ, मैं हूं मुख्यालय पर तुम्हारा खेवनहार…।  ‘द संडे व्यूज़’ डीजी एम.के.बशाल से सवाल करता है कि क्या मुख्यालय पर तैनात अफसरों ने होमगार्ड वारिस अली के परिजनों द्वारा हत्या के लिये जिम्मेदार मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद्र कटियार के खिलाफ कार्रवाई के लिये जो पत्र लिखा था,आपको दिखाया गया ? यदि आपने देखा है तो अब तक इस प्रकरण में जांच क्यों नहीं बिठायी ? यदि पैसा लेकर पत्र दबा दिया गया है तेा जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगे ? बता दें कि 7 सितंबर 2025 को ‘द संडे व्यूज’ एवं ‘इंडिया एक्सप्रेस न्यूज़ डॉटकॉम’ ने शीर्षक ‘होमगार्ड विभाग के मंडलीय कमांडेंट कटियार पर लटक गयी है पुलिसिया तलवार,ट्रेनिंग सेंटर,रामनगर पहुंची चंदौली पुलिस’ से खबर प्रकाशित की थी। खबर का सार इस प्रकार है..

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होमगार्ड विभाग के एक अफसर ने होमगार्ड की जान ले ली। सिस्टम तोडऩे का माहिर खिलाड़ी मंडलीय कमांडेंट गिरीश कटियार ने 10 मई की देर रात डीटीसी,रामनगर वाराणसी में तैनात होमगार्ड वारिस अली को मुगलसराय स्टेशन पर छोडऩे का निर्देश दिया। वारिस अली ने कहा कि ट्रेनिंग सेंटर पर रात की ड्यूटी है,छोड़कर जाना उचित नहीं रहेगा…। इस पर मंडलीय कमांडेंट ने उसे फटकार लगाते हुये स्टेशन पर छोडऩे की धमकी दी। श्री कटियार को बाईक पर लेकर वारिस अली मुगलसराय स्टेशन गया और प्लेटफार्म पर उसकी तबीयत खराब होने लगी। लगभग दस मिनट के बाद वारिस प्लेटफार्म पर सिने में दर्द होने की बात बताकर गिर पड़ा। वारिस अली को हॉस्पिटल पहुंचाने के बजाये मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद कटियार वहां से भाग निकले। भाग कर श्री कटियार सीधे ट्रेनिंग सेंटर पहुंचे और वहां मौजूद जवानों को हिदायत दी कि किसी से कोई नहीं बतायेगा कि वारिस अली मेरे साथ स्टेशन गया था…। उधर, रेलवे पुलिस ने तत्काल एम्बुलेंस बुलाकर वारिस अली को हॉस्पिटल में भर्ती कराया,जहां उसने दम तोड़ दिया। परिजनों ने बताया कि घटना के दिन दोपहर में वारिस के फोन पर किसी का कॅाल आया था और काफी गरमा-गरमी बहस हुयी थी। खैर,सवाल ये उठता है कि जब मंडलीय कमांडेंट के पास चार हमराही मौजूद थे तो उन्होंने वारिस अली को ही मुगलसराय स्टेशन छोडऩे के लिये क्यों कहा ? मृतक वारिस अली के परिजनों को कंपनी नंबर तीन पर तैनात कंपनी कमांडर अजय कुमार ने किसके कहने पर कहा कि पुलिस में fir (एफआईआर) दर्ज कराओगे तो नौकरी और मुआवजा राशि नहीं मिलेगी ? मंडलीय कमांडेंट कटियार के इस कायराना हरकत के लिये क्या मुख्यालय के अफसर उसे कठोर दण्ड देंगे ?

मृतक वारिस अली के बेटे को इस विभाग के मंत्री, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजी बी.के. मौर्य से उम्मीद है कि वे न्याय जरूर देंगे। परिजन ये भी जानते हैं कि होमगार्ड विभाग के राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति के स्तर से सिर्फ अफसर श्री कटियार को बचाने का ही प्रयास जारी रहेगा…। बात जो भी हो,श्री कटियार के अफसरशाही रवैये की वजह से एक मासूम जवान की मौत हो गयी है और पूरा परिवार आज फांका मारी के दौर से गुजर रहा है। मृतक वारिस अली के बेटे अमन ने कहा कि वो अपने पिता के हत्यारे गिरीश चंद कटियार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करायेंगे। मुख्यमंत्री और डीजी, होमगार्ड को लिखे गये पत्र में मृतक होमगार्ड वारिस अली के पुत्र अमन ने अपना दर्द बयां किया है कि किस तरह से उसके पिता की मौत हुयी और किस तरह से मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद कटियार अपने गुर्गों से फर्जी आश्वासन दिलाया कि उसे नौकरी और मुआवजा राशि तभी मिलेगी जब मुंह बंद रखेंगे। अमन ने पत्र में लिखा है कि मेरे पिता स्व. वारिस अली की मृत्यु 10 मई 2025 को मुगलसराय में होनी दर्शायी गयी है, जबकि मेरे पिता की ड्यूटी मंडलीय प्रक्षिक्षण केंद्र होमगार्ड, टेंगरा मोड़ रामनगर, वाराणसी पर थी। 10 मई 2025 से 31 मई 2025 तक के लिसे मेरे पिता की ड्यूटी परिसर सुरक्षा हेतु लगायी गयी थी। फिर मेरे पिताजी मुगलसराय कैसे पहुंच गये ? प्रक्षिक्षण केंद्र पर पूछने पर जवानों ने बताया की आपके पिता मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद कटियार को देर रात मुगलसराय स्टेशन छोडऩे गये थे और जब मेरे पिता की मृत्यु हुयी तो उन्हें छोड़कर गिरीश चंद कटियार भाग गये।

अमन ने पत्र में यह भी लिखा कि 9 मई 2025 को ड्यूटी पर जाने से पूर्व मेरे पिता के मोबाइल नंबर 8354085101 पर ड्यूटी स्थल से किसी का फोन आया था, जिसमें गरमा- गरम बहस हो रही थी। काफ ी कहा-सुनी के बाद पिता काफ ी परेशान दिख रहे थे। उसके बाद पिता वारिस अली समय से रात्रि ड्यूटी पर चले गये। सुबह समय लगभग 4.15 बजे 108 एम्बुलेंस के ड्राईवर म.टी. राजेश ने अपने मोबाइल 8188061393 से कॉल कर बताया कि होमगार्ड वारिस अली बीमार हैं और पंडित दिनदयाल नगर,मुगलसराय, चंदौली हॉस्पिटल में भर्ती हैं। आकर देख लो, हम लोग जा रहे हैं। परिवार के साथ जब हमलोग हॉस्पिटल गये तो देखा कि मेरे पिता मृत पड़े हैं, और उनके शव के पास अवैतनिक कंपनी कमांडर अजय कुमार मौजूद थे। उसके बाद मेरे पिता वारिस अली के शव को मुगलसराय थाने की पुलिस पोस्टमार्टम के लिये अपने साथ मर्चरी ले गयी। अमन ने पत्र में सवाल दागा है कि जब मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद कटियार की सुरक्षा ड्यूटी में 4 होमगार्ड लगाये गये थे, तो फि र मेरे पिता को वे रात में मुगलसराय रेलवे स्टेशन क्यों लेकर गये थे और उनके साथ क्या हुआ ? जब मेरे पिताजी की तबियत खराब हो गयी तो वे छोड़कर भाग क्यों गये ? साफ है कि मेरे पिता वारिस अली के मौत का जिम्मेदार मंडलीय कमांडेंट गिरीश चंद कटियार हैं।

आखिर में एक लाचार बेटे अमन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजी,होमगार्ड बी.के.मौर्य से आशाभरी नजरों से मांग की है कि इस मामले की गम्भीरता को देखते हुये जांच कर गिरीश चंद कटियार के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही कर प्रार्थी को न्याय दिलाने की कृपा करें। ‘द संडे व्यूज़’ जब एक मासूम जवान की मौत के प्रकरण में तहकीकात किया तो कुछ ऐसे मामले सामने आये,जिसे देखकर ये तो अहसास हो गया कि गिरीश चंद कटियार के अंदर रत्तीभर इंसानियत नाम की चीज नहीं है।

मैं इस विभाग के सभी सीनियर अफसरों से सवाल करता हूं कि यदि गिरीश चंद कटियार की जगह आपलोग होते और आपके खेवनहार को हार्ट अटैक आता तो क्या आपलोग भी कायरों की तरह उसे छोड़कर भाग जाते ? एक बेगुनाह की मौत के बाद आपलोग उसके परिजनों को ये थ्यौरी समझाते कि साहेब के खिलाफ कुछ मत बोलना वर्ना नौकरी और मुआवजा राशि नहीं मिलेगी ? शायद,आपलोग ऐसा नहीं करते लेकिन…। श्री कटियार की वजह से एक बेगुनाह जवान की मौत हो गयी है और उसका परिवार सड़क पर है क्योंकि कमाने वाला सिर्फ और सिर्फ होमगार्ड वारिस अली ही था। अब उस परिवार को रोटी कौन खिलायेगा…

अगले अंक में हापुड़ में एक ऐसा बीओ तैनात,जो है करोड़ों के घोटाले का राजदार और खुद बना लखपति!   

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