पूरे ‘सम्मान’ और ‘मुआवजे’ की हकदार है प्रतिका…..!

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राजीव तिवारी बाबा
लखनऊ \प्रतिका रावल इस महिला वर्ल्ड कप की सबसे अनलकी खिलाड़ी…ओपनर प्रतिका रावल ने एक सेंचुरी और एक हाफ सेंचुरी समेत इस वर्ल्ड कप में भारत की ओर से स्मृति मंधाना के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 308 रन बनाए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रतिका के गले में ना मेडल पहनाया गया और न ही उन्हें वर्ल्ड कप चैंपियन माना जाएगा? क्यों भला ?
प्रतिका ने इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका के ख़िलाफ़ 37, पाकिस्तान के 31, साउथ अफ्रीका के 37, ऑस्ट्रेलिया के 75,  इंग्लैंड के 6 और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 122 रन की पारियां खेलीं. उनका औसत 51.03 रहा… न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ जिस मैच में प्रतिका ने शतकीय पारी खेली, उसी से भारत सेमीफाइनल में जगह बना सका और न्यूज़ीलैंड नॉक आउट राउंड में नहीं पहुंचा…
दुर्भाग्यवश बांग्लादेश के ख़िलाफ़ भारत ने  क्वालिफाइंग राउंड का आख़िरी मैच खेला जिसकी कोई अहमियत नहीं थी क्योंकि भारत सेमीफाइनल में पहले ही पहुंच गया था. बांग्लादेश के ख़िलाफ़ मैच वर्षा से बाधित होने की वजह से बेनतीजा रहा. लेकिन ये मैच निजी तौर पर प्रतिमा के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा. इस मैच में फ़ील्डिंग करते वक्त बाउंड्री बचाते प्रतिका टखना तुड़वा बैठीं और सेमीफाइनल और फाइनल से बाहर हो गईं…
इस वर्ल्ड कप के लिए भारत की 15 प्लेयर्स की जो टीम चुनी गईं थी, उसमें स्मृति मंधाना के अलावा प्रतिका ही एक और ओपनर थीं. टीम इंडिया मैनेजमेंट ने ICC org an is in g committee से चोटिल प्रतिका की जगह ओपनर के तौर पर शेफाली वर्मा को 15 की टीम में लाने के लिए अनुमति देने का विशेष आग्रह किया. इसका मतलब था टीम से प्रतिका का पूरी तरह बाहर हो जाना. ICC के नियमों के मुताबिक न तो प्रतिका को अब मेडल मिल सकता है और न ही भारत के जीतने के बाद वर्ल्ड कप चैंपियन का दर्ज़ा…
नियति देखिए-
प्रतिका की जगह चुनीं गई शेफ़ाली वर्मा ने बस सेमीफाइनल और फाइनल खेले.फाइनल में शेफाली ने साउथ अफ्रीका के ख़िलाफ़ 78 गेंद पर 87 रन बनाए और बोलिंग में 2 विकेट लिए. शेफाली को ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ चुना गया… फाइनल के बाद प्राइज़ सेरेमनी में चोटिल प्रतिका रावल व्‍हीलचेयर पर बैठ कर मैदान पहुंचीं. प्रतिका रावल ने भारतीय टीम के सभी साथियों को जीत की शुभकामनाएं दीं और पूरी टीम उन्‍हें घेरकर खड़ी हो गईं… 
प्रतिका रावल ने तब कहा, “मैं अपनी बातें बयां नहीं कर सकती. इस भावना को व्यक्त करने के लिए शब्‍द नहीं हैं. मेरे कंधें पर यह तिरंगा है, इसका काफी मायने हैं और यहां टीम के साथ होना शानदार महसूस हो रहा है. चोट तो खेल का हिस्‍सा हैं. मैं इस टीम से बहुत प्‍यार करती हूं…”उन्‍होंने आगे कहा, “मैं बहुत खुश हूं कि हमने खिताब जीता. स्‍टेडियम में आएं फैंस इस जीत के हकदार हैं. बाहर बैठकर मैच देखना मुश्किल था. खेलना ज्‍यादा आसान हैं. ऐसी ऊर्जा और माहौल देखने से मेरे रोंगटे खड़े हो गए. यह शानदार भावना है…”
ऐसा ही वाकया 2003 Men’s O D I World Cup में ऑस्ट्रेलिया के जेसन गिलेस्पी के साथ हुआ था. चोटिल गिलेस्पी की जगह नाथन ब्रेकन को तब ऑस्ट्रेलियाई टीम में चुना गया. तब ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड कप चैंपियन बना तो गिलेस्पी की जगह ब्रेकन को मेडल मिला था… ये नियम कुछ अटपटा है लेकिन नियम है. ऐसे में प्रतिका को मेडल बेशक न मिला हो लेकिन B C C I को चाहिए प्रतिका को इसकी भरपाई करे. प्रतिका को वैसे ही इनाम मिले जैसे टीम इंडिया की 15 सदस्यों को…
आप क्या कहते हैं ?…

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