बंगाल में रख दी गई ‘बाबरी मस्जिद’ की नींव

लखनऊ से धनीष, सिलीगुड़ी से अशोक झा
New babri masjid news: 6 दिसंबर की तारीख को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के ठीक 33 बरस बाद पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रख दी गई. इस बार भी हिंदू संगठन देश के कुछ शहरों में कथित ‘शौर्य दिवस’ की फोटो खिंचाने व मीडिया में बयानबाजी करने की जद्दोजहद करते नजर आए. उधर, बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत ‘बाबरी मस्जिद’ के नाम पर एक मस्जिद आधारशिला रखी. बीते 4 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. पार्टी का कहना था कि वह ‘सांप्रदायिक राजनीति’ कर रहे हैं. लेकिन हुमायूं कबीर अपने कार्यक्रम पर अड़े हुए थे.

मौलवियों के साथ रिबन काटकर मस्जिद का निर्माण कराया प्रारंभ
हजारों लोगों की भीड़ और भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच बेलडांगा में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने कार्यक्रम के लिए तमाम मौलवियों को आमंत्रित कर रखा था, जिनके साथ उन्होंने रिबन काटकर मस्जिद की ईंट रखने की शुरुआत की. हुमायूं कबीर कहा कि बाबरी मस्जिद हर हाल में यहीं बनेगी. कोई इसे रोक नहीं पाएगा क्योंकि यह अल्पसंख्यक समाज के सम्मान का सवाल है. सांप्रदायिक ताकतें मस्जिद की एक ईंट नहीं हिला सकतीं, किसी की धमकी से वह पीछे हटने वाले नहीं हैं. विधायक का दावा है कि शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने भी साफ कर दिया कि बेलडांगा में मस्जिद निर्माण की उनकी पहल न तो गलत है और न ही असंवैधानिक.
आसपास के इलाकों से सिर पर ईंट रखकर पहुंचे लोग
मस्जिद की आधारशिला रखने को लेकर आसपास के इलाकों में काफी गहमागहमी रही. संदेशखाली और कैनिंग समेत दूर-दूर से लोग अपने सिर पर ईंटें लेकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे थे. सुरक्षा एजेंसियों ने कार्यक्रम के मद्देनजर इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया था. नेशनल हाईवे नंबर 12 के निकट, बेलडांगा और रानीनगर पुलिस की 3,000 फोर्स तैनात थीं, जबकि अतिरिक्त बलों की 19 कंपनियां भी तैनात की गई थी. उधर, आयोजकों की तरफ से कार्यक्रम में आए लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया गया था. करीब एक लाख लोगों के लिए शाही बिरयानी का बंदोबस्त था और करीब 2000 वाॅलेंटियर्स आयोजन की व्यवस्था संभाले हुए थे.

यह हमारा संवैधानिक अधिकार: हुमायूं कबीर
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए कबीर ने कहा कि मैं कुछ भी असंवैधानिक नहीं कर रहा हूं. संविधान कहता है कि ‘कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई चर्च बना सकता है और मैं मस्जिद बनाऊंगा, यह कहीं नहीं लिखा कि बाबरी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती’. कबीर ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी यह दर्ज है कि बाबरी मस्जिद को गिराया गया था और हिंदू भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर निर्माण का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि यदि राम मंदिर का शिलान्यास हो सकता है, तो मस्जिद भी बनाई जा सकती है।
कबीर ने कहा कि उनके खिलाफ पांच मुकदमे दर्ज किए गए हैं, लेकिन इससे निर्माण कार्य नहीं रुकेगा.
हाॅस्पिटल से लेकर हैलीपेड तक, काफी कुछ परियोजना में शामिल
कबीर ने निर्माण स्थल के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा कि इस परिसर में एक अस्पताल, एक मेडिकल कॉलेज, एक विश्वविद्यालय, एक होटल और एक हेलीपैड भी होगा, जिसकी कुल अनुमानित लागत करीब 300 करोड़ रुपये होगी. उन्होंने बताया कि एक स्थानीय डॉक्टर ने इस परियोजना के लिए पहले ही एक करोड़ रुपये दान कर दिए हैं.
कौन है वो कारोबारी जो बाबरी के लिए देगा 60 करोड़ का दान ?
मीडिया रिपोर्ट्स में हुमायूं कबीर ने दावा किया कि इस परियोजना में किसी भी वित्तीय बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘एक उद्योगपति ने 60 करोड़ रुपये देने का वादा किया है, जो अपना नाम गुप्त रखना चाहते हैं. धन की कोई कमी नहीं होगी.’ कबीर ने कहा कि मुख्य मस्जिद तीन कट्ठा जमीन पर बनाई जाएगी, जबकि पूरा परिसर लगभग 25 बीघा में फैला होगा।
नई पार्टी बनाएंगे हुमायूं कबीर, मुसलमानों पर रहेगा फोकस
हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास करने के बाद आने वाले विधानसभा इलेक्शन का बिगुल फूंक दिया. उन्होंने पहले नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि वे आने वाली असेंबली में 135 सीटों पर कैंडिडेट उतारेंगे. पश्चिम बंगाल की कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, ऐसे में हुमायूं कबीर ने बंगाल चुनाव में इस रणनीति पर कायम रहने की बात करके विपक्षियों की नींद उड़ा दी है.
भाजपाका हमला: 'यह धार्मिक नहीं, राजनीतिक एजेंडा'!
इस घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी (B J P) ने राज्य सरकार पर निशाना साधा. पार्टी का आरोप है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रही हैं. बीजेपी नेताओं ने सवाल उठाया कि कबीर के विवादित बयानों के बाद उन्हें देर से क्यों निलंबित किया गया और आरोप लगाया कि यह पूरा मामला चुनावी रणनीति से जुड़ा है.
आखिर 6 दिसंबर का दिन क्यों चुना गया ?
हुमायूं कबीर ने यह कार्यक्रम छह दिसंबर को निर्धारित किया था, यानी जिस दिन 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहा दिया गया था. इस दिन कुछ हिंदू संगठन ‘शौर्य दिवस’ कहकर सोशल मीडिया आदि पर फोटो-बयानबाजी करते रहे हैं. जबकि मुस्लिम संगठन इसे ‘काला दिवस’ के तौर पर मनाते रहे हैं. ऐसे में हुमायूं कबीर ने इसी 6 दिसंबर के दिन मुर्शिदाबाद में इस मस्जिद की नींव रखकर बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है.












