एसटीएफ ने किया लोन घोटाले का पर्दाफाश-लखनऊ के चार और बैंकों के मैनेजरों के नाम…

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राज बहादुर के विरोध करने पर लोन चुकाने का दिया था झांसा

पकड़े गए आरोपी बैंक मैनेजर की हुई थी विभागीय जांच

ब्यूरो,लखनऊ: फर्जी लोन घोटाले में पकड़े गए आरोपियों ने एसटीएफ को पूछताछ में बताया कि कल्याणपुर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व मैनेजर, विकासनगर स्थित पंजाब ऐंड सिंध बैंक में तैनात रहे ब्रांच मैनेजर, सरोजनीनगर स्थित केनरा बैंक में तैनात रहे ब्रांच मैनेजर और बिराहना रोड स्थित पंजाब ऐंड सिंध बैंक में तैनात रहे लोन मैनेजर उन लोगों के साथ शामिल रहे हैं। एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह का कहना है कि जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। इसके अलावा इस बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है कि अन्य किन बैंकों के कर्मचारी और स्टाफ गिरोह के सदस्यों के साथ मिले हुए थे।

एसटीएफ ने मुद्रा लोन, ऑटो लोन, बिजनेस लोन व वर्किंग कैपिटल लोन दिलवाने का झांसा देकर लोन की राशि खुद निकालने वाले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की जानकीपुरम शाखा में मैनेजर रहे गौरव सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा गिरोह के अन्य सदस्यों ठाकुरगंज निवासी नावेद, तालकटोरा निवासी अखिलेश तिवारी और बालागंज निवासी इंद्रजीत सिंह को भी पकड़ा गया था।

एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों ने बताया है कि कल्याणपुर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व मैनेजर नितिन चौधरी, विकासनगर स्थित पंजाब ऐंड सिंध बैंक में तैनात रहे ब्रांच मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव, सरोजनीनगर स्थित केनरा बैंक में तैनात रहेब्रांच मैनेजर त्रिभुवन सिंह (2015-2016), बिराहना रोड स्थित पंजाब ऐंड सिंध बैंक के लोन मैनेजर (वर्ष 2016-17) भी उन लोगों साथ मिलकर लोन फ्रॉड करते थे। लोगों के नाम से लोन पास करवा कर आरोपी अपने बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लेते थे। इसके बाद आरोपी लोन में से अपना शेयर ले लेते थे। एसटीएफ का कहना है कि अन्य बैंक मैनेजरों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जांच में पता चले तथ्यों के आधार पर एसटीएफ आगे की कार्रवाई करेगी।

एसटीएफ के मुताबिक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की जानकीपुरम शाखा में मैनेजर के पद पर तैनात रहे गौरव सिंह से पूछताछ में सामने आया कि फर्जी लोन मामले में उसकी विभागीय जांच भी हुई थी। इसके बाद आरोपी को जानकीपुरम शाखा के मैनेजर के पद से हटाकर विकास नगर ब्रांच में लोन मैनेजर के पद पर तैनात कर दिया गया था। आरोपी बैंक मैनेजर ने बताया कि उसने पद पर रहते हुए नीरज नाम से 8.30 लाख रुपये (क्लर्क मशीन फर्म के नाम से जनरेटर खरीदने के लिए) अवध मशीन के नाम पर 25 लाख रुपये, केंद्रीय एनर्जी के नाम से 25 लाख रुपये, लखनऊ जनरेटर के नाम से 25 लाख रुपये, जनरेटर सप्लाई, ग्रीन मशीन के नाम से 15 लाख रुपये, राहुल इंटरप्राइजेज के नाम पर 25 लाख रुपये, सुप्रीम इंजन के नाम से 23-24 लाख रुपये, अनिल कुमार के नाम से 11.30 लाख रुपये, आमिर एहसन के नाम से 8.30 लाख रुपये, अजय कुमार के नाम से 5 लाख रुपये, अजय कुमार के नाम से 10 लाख रुपये, अमफ़ह फर्नीचर के नाम से 25 लाख रुपये, उप रिफ ट्रक के नाम से 23 लाख रुपये, रितेश जायसवाल के नाम से 14.50 लाख रुपये, राजबहादुर गुरंग के नाम से 9.50 लाख रुपये और 15 लाख रुपये, राकेश कुमार के नाम पर 3.50 लाख रुपये, महेंद्र पांडे के नाम से 9 लाख रुपये शिव प्रकाश सिंह के नाम से 9 लाख रुपये, इंद्रजीत सिंह के नाम से 9 लाख रुपये, गणपति इंटरप्राइजेज के नाम से 22 लाख रुपये का लोन फर्जीवाड़ा करके पास किया था। इनके दस्तावेज एसटीएफ को मिले हैं।

आरोपियों ने बताया कि इसके अलावा भी गिरोह के सदस्यों के साथ मिलकर कई अन्य लोन भी पास किए थे। आरोपी ने बताया लोन में प्रयुक्त सभी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, उद्यम पंजीकरण, इनवॉइस, रेंट एग्रीमेंट, बीमा और पोस्ट इंस्पेक्शन रिपोर्ट आदि अधिकतर नकली बनाए जाते थे। हजरतगंज निवासी पीड़ित राज बहादुर गुरुंग के मुताबिक उनके परिचित आरोपित इंद्रजीत के कहने पर उन्होंने अपना आधार कार्ड और पैन कार्ड वॉट्सऐप पर वर्ष 2023 में आरोपियों को भेज दिया था। 15 दिन बाद आरोपी इंद्रजीत पीड़ित को जानकीपुरम स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में ले गया। वहां बैंक मैनेजर आरोपित गौरव सिंह से मुलाकात करवाई। बैंक मैनेजर ने पहले से एक फाइल तैयार कर रखी थी।

आरोपी ने पीड़ित से अंग्रेजी में बनाए गए पेपर पर साइन करवा लिए। अगले दिन कुछ साइन छूट जाने का झांसा देकर फिर से पीड़ित को बैंक में ले जाया गया। वहां फिर से कुछ पेपरों पर 40 साइन करवाए। आरोपियों ने जल्द लोन पास करवाने का झांसा दिया था। कई महीनों बाद भी पीड़ित का लोन पास नहीं हुआ। पीड़ित ने लोन के संबंध में बात की। आरोपियों ने लोन पास न होने का झांसा दिया। लोन अप्लाई करने के 6 महीने बाद पीड़ित के मोबाइल पर ईएमआई ड्यू होने का मेसेज आया तो वह हैरत में पड़ गए। उन्हें लोन मिला ही नहीं था। पीड़ित ने अपना सिबिल स्कोर चेक किया।

पीड़ित के नाम पर 28 अप्रैल 2023 को 9,80,000 रुपये का मुद्रा लोन और 10 मई 2023 को 1,50,000 रुपये का कार लोन यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की जानकीपुरम शाखा से स्वीकृत दिख रहा था। पीड़ित ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर गौरव से मुलाकात करके इसका विरोध किया था। मैनेजर घबरा गया था। उसने गिरोह के सदस्य गिरोह के सदस्य नावेद को मौके पर बुलाया था। नावेद व गिरोह के अन्य सदस्यों ने ने पीड़ित को झांसा दिया कि गलती से ऐसा हो गया। वह लोन चुका देगा। इस गिरोह के मोहम्मदाबाद निवासी आमिर एहसान भी शामिल है। एसटीएफ के मुताबिक 24 फरवरी 2024 को आमिर एहसान को जानकीपुरम पुलिस ने रेप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोपी अखिलेश फर्जी कागजात बनाने का कार्य करता था। उसे जब यह पता चला कि एसटीएफ मामले की जांच कर रही है तो अलर्ट हो गया था। उसने अपने लैपटॉप और मोबाइल से डेटा डिलीट कर दिया था। इसके बाद दोनों चीजें तोड़कर नदी में फेंक दी थीं।
एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक आरोपी नावेद हसन ने पूछताछ में बताया कि वर्ष 2011 में ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया था। वर्षा 2015 में उसकी दोस्ती आमिर एहसन से हुई। दोनों ने मिलकर 2015 में ही Hind Transport Company ट्रांसपोर्ट नगर में शुरू की थी। ट्रांसपोर्ट कंपनी का पंजीकरण कूटरचित आधार कार्ड का प्रयोग किया था। फर्जी आधारकार्ड में वास्तविक नाम व पिता के नाम के स्थान पर मो. अरसद खान पुत्र अनवर खान लिखा था।

आरोपी के मुताबिक उसने यह खेल फर्जी बैंक लोन लेने के लिए किया था। आरोपी ने वर्ष 2015 में गोमतीनगर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से फर्जी तरीके से लोन लिया था। वर्ष 2017 में तत्कालीन बैंक मैनेजर ने गोमतीनगर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई थी। गिरोह के सदस्य अखिलेश तिवारी को भी नामजद किया गया था। इस केस में 2021 में आरोपित नावेद को जेल जाना पड़ा था। आरोपियों ने फर्जीवाड़ा करके लोन लेने के लिए कई फर्जी फर्मे खोल रखी थीं। उन्ही फर्मों पर लोन पास करवाते थे।

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