समिति के पहले स्थापना दिवस पर सूचना निदेशक विशाल सिंह का वादा,पत्रकारों की समस्याएं होंगी दूर

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नई सोच को लेकर बनी उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय संवाददाता समिति ‘पुर्नगठित’

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कलमकारों के लिये शुक्रवार का दिन बेहद खास रहा। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति (पुनर्गठित) ने एक ‘नई उम्मीद’ और ‘नई सोच’ जगाने का काम किया है। ‘पुनर्गठित’ शब्द के कई मायने हैं लेकिन जिस दमदारी के साथ इसके संयोजक प्रभात त्रिपाठी व प्रशासनिक सलाहकार शेखर श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक कलमकारों की प्रमुख मांगों को पहुंचाने का काम किया,वो काबिले तारीफ है। हालांकी समिति का पहला स्थापना दिवस है लेकिन इसमें कुछ खास बातें दिखी कि जिले और राज्य मुख्यालय के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को एक समान मानने की बात रखी गयी। कोई ‘बड़का’ या ‘छोटका’ पत्रकार नहीं है लेकिन हां वरिष्ठों  का सम्मान भी बरकरार रखना है। इसी तरह अपनी जान गंवाने वाले पत्रकार धीरेन्द्र श्रीवास्तव की पत्नी और बेटे को बुलाकर मेयर द्वारा मंच पर सम्मान व 11 हजार रुपये का सहयोग राशि प्रदान करने का पल भावुक करने वाला था। पत्रकारों की कई समितियां हैं, लेकिन किसी ने दिवंगत पत्रकार के परिजन की सुध नहीं ली। वैसे भी पत्रकार मर-खप जाते हैं और शमशान घाट पर फूकने के बाद उनके घर कोई झांकने नहीं जाता लेकिन प्रभात त्रिपाठी और शेखर श्रीवास्तव और उनकी टीम ने जिस तरह से धीरेन्द्र श्रीवास्तव के परिजन को संकट की घड़ी में याद किया,प्रशंसा के शब्द कम है…।

इस कार्यक्रम में भले ही व्यस्त कार्यक्रम की वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक सहित अन्य माननीय व नौकरशाह नहीं आ पाये लेकिन सभी की शुभकामनाएं व सहयोग से उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति पुर्नगठित गदगद रहा। सीधी बात करें तो समिति अपने पहले स्थापना दिवस पर अपने ‘विचार’ सूबे के सभी पत्रकारों तक पहुंचाने में सफल रहा। सभी को उम्मीद है कि पत्रकारों की मांगों पर सरकार विचार कर उसे लागू करे, जिससे सभी बिरादरी लाभान्वित हों। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति पुर्नगठित का पहला स्थापना दिवस लोक निर्माण विभाग के विश्वश्रैया हाल में मनाया गया। बड़ी संख्या में जिले और राज्य मुख्यालय के पत्रकारों की भीड़ ने साबित कर दिया कि पुर्नगठित समिति ही उनकी उम्मीदों को पंख लगायेगी।

1- मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि पत्रकार समाज का दर्पण है। सभी वर्ग के लोगों को उम्मीद रहती है कि अखबार या चैनलों में जो दिखाया जा रहा है वो सच है। इस सच को जिंदा बनाये रखने के लिये पत्रकार कड़ी मेहनत करते हैं। कहा कि आपलोगों की वजह से मुझे मालूम चलता है कि मैं सही काम करवा रही हूं या नहीं…। अल- सुबह अखबार पढऩे के बाद मैं अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करती हूं तभी तो अपना लखनऊ टॉप पर है।

2-सूचना निदेशक विशाल सिंह ने कहा कि पत्रकार समाज की नब्ज पकडऩे वाले कलम के सिपाही हैं। सूचना विभाग पत्रकारों की समस्याओं को दूर करने के लिये हर वक्त तैयार बैठा है। आपलोग मुझसे सीधा संवाद कर समस्याओं के बारे में बताया करें क्योंकि कई बातें मुझ तक पहुंच ही नहीं पाती।

3-पूर्व सांसद शीश राम सिंह रवि ने कहा कि पत्रकारों को मिलने वाला मानदेय व पारिश्रमिक कम है इसलिये इस बात को मैं मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का काम करूंगा।

4- दूरदर्शन के अधिकारी आत्म प्रकाश मिश्र ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता की पहचान विश्व पटल पर है और ये सब सच्चे कलमकारों की दम पर संभव हुआ। चौथे स्तम्भ को निडरता और बेबाकी के साथ अपने कलम को चलाते रहना है क्योंकि समाज की उम्मीदों का दूसरा नाम पत्रकार है…।

5-समिति के संयोजक प्रभात त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पत्रकारों को भी अन्य राज्यों के पत्रकारों की तरह पेंशन देने की व्यवस्था करायी जाये। पीजीआई में पत्रकारों व उनके परिजनों के लिये बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की व्यवथा करायी जाये। उन्होंने कहा कि पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर खबरें लिखते हैं इसलिये सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो पत्रकारों के सुरक्षा प्रदान करने की सोचे।

6-प्रशासनिक सलाहकार शेखर श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारों की जायज मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का काम समिति करती रहेगी। जिले और राज्य मुख्यालय के पत्रकारों की जायज मांगों को पूरा कराने के लिये हमलोग हर संभव प्रयासरत हैं।

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