अटल से पाठक तक धोती-कुर्ता की गौरवशाली परंपरा…
अक्षत श्रीवास्तव
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का यह आचरण केवल व्यक्तिगत चुनाव नहीं है। यह 21वीं सदी के ‘भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति’ है। जब पूरा विश्व भारतीय आध्यात्म, योग, मेडिटेशन और आयुर्वेद की ओर देख रहा है, तब पाठक जी जैसे नेता दिखा रहे हैं कि कैसे स्थानीय स्तर पर सनातन मूल्यों को जीकर वैश्विक प्रभाव डाला जा सकता है। यूपी से शुरू होकर यह संदेश विश्व भर तक पहुंच रहा है कि भारतीय राजनीति में धर्म, संस्कार और सेवा का ‘त्रिवेणी संगम’ संभव है। जैसे- जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, वैसे- वैसे पाठक जी जैसे नेता साबित कर रहे हैं कि सच्चा विकास वही है जो अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़कर विश्व कल्याण में योगदान देता है। ‘द संडे व्यूज़’ ने उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से खास बातचीत की।
भारतीय राजनीति में देखा जाये तो दीनदयाल उपाध्याय जी,आडवाणी जी और अटल बिहारी वाजपेई जी धोती-कुर्ता पहनकर सनातन धर्म को बढ़ावा देने का काम करते रहे हैं। क्या आप अटल जी के इस विरासत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं ? इस पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि देखिये, अटल जी हमारी संस्कृति के ध्वज वाहक थे। मैं सौभाग्यशाली मानता हूं कि पार्टी ने मुझे उनके कार्यक्षेत्र में काम करने का अवसर दिया है। इसलिये ये मेरी बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया जाये। दूसरा सवाल है कि किसी राज्य में अभी तक नहीं देखा गया कि कोई उप मुख्यमंत्री अपने घर पर आने वाले फरियादियों की समस्याओं को सुनने के बाद उन्हें भरपेट भोजन करके जाने के लिये कहे। आपके आवास पर भी प्रदेश के कोने-कोने से फरियादी आते हैं। आप उनकी समस्याओं को सुनते भी हैं और उसके बाद सभी को खाना खाकर जाने के लिये कहते हैं । ये विचार आपके मन में कैसे आया ? इस पर बृजेश पाठक ने कहा कि पहले भी लोग सूबे के कोने-कोने से मेरे आवास पर आते थे तो मेरे घर में जो नाश्ता-पानी बनता था,उन्हें भी खिला देता था लेकिन फिर भी कुछ फरियादी वंचित रह जाते थे। अब फरियादियों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हो गया है इसलिये मैंने तय किया कि जो हमारे घर में खाना बनेगा,वही मिलने आने वाले लोग भी खायेंगे। यही तो सनातन धर्म है…दरवाजे पर आने वाला कोई इंसान बिना खाना खाये या बिना पानी पीये ना जाये…।
मेरे मन में केवल एक ही भावना है…गर्व ! गर्व इस बात का कि आज भी हमारे बीच ऐसे नेता हैं जिनके लिये सत्ता ‘साधन’ नहीं, ‘सेवा’ का माध्यम है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सिद्ध किया है कि राजनीति केवल ‘वोट बैंक’ की नहीं, बल्कि ‘संस्कार बैंक’ की भी होती है। जब उनके घर पर हजारों लोग भोजन करते हैं, तो वह केवल खाना नहीं खाते। वे सनातन संस्कृति का ‘प्रसाद’ ग्रहण करते हैं। आज जब 180 देशों में योग का झंडा लहरा रहा है, जब विश्व के कोने- कोने में ‘नमस्ते’ की गूंज सुनाई दे रही है, तब पाठक जी जैसे नेता साबित कर रहे हैं कि भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक ‘जीवंत’ सभ्यता है। जब वे धोती- कुर्ता पहनते हैं, तो वह केवल कपड़े नहीं बदलते। वे अपनी पहचान को मजबूत करते हैं। यही है सच्ची भारतीयता, यही है विकसित भारत का मार्ग, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का जीवन ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का जीवंत उदाहरण है।
राजनीति में नया आदर्श, राजदान से बड़ा अन्नदान
पाठक जी ने दिखाया है कि सच्चा नेतृत्व वही है जो ‘पद’ को ‘पूजा’ में बदल देता है। बता दें कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जिनके पास स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण विभाग है। वे अपने विभाग के कार्यो के अनुरूप जनता की कसौटी पर खरे उतर रहे है। इसकी बानगी देखनी हो तो किसी भी दिन उनके आवास पर जाकर देखी जा सकती है। समाज के शोषित, वंचित, दलित, उपेक्षित और समाज की अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिये कृतसंकल्प डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जनसंघ के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय की मंशा के अनुरूप और सरकार के संकल्प पत्र के अनुसार जनाकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में खासे अग्रसर हैं।
जब सनातन के शास्त्र बनें शासन के आधार…
सर्वजन के लिये सर्व सुलभ बृजेश पाठक इन दिनों अपनी वेश भूषा को लेकर खासे चर्चा में है। वे इन दिनों कुर्ते के साथ पायजामे के बजाये धोती पहन रहे है। उनकी यह वेशभूषा लोगों को भाजपा के पुराने नेताओं की याद दिला रही है। अपने मृदुभाषी और विनम्र व्यवहार के लिये आम आदमी से लेकर हर कार्यकर्ता उन्हे अपने करीब पाता है। प्रदेश के दूर दराज से आने वाले फ रियादियों की वे समस्या का समाधान ही नहीं करते बल्कि उन्हे भरपेट भोजन भी करा रहे है। उनकी यह पहल भी लखनऊ से दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है।