कुछ घटनाएं निराशा के दौर में आशा की किरण बनती हैं: रघु ठाकुर

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ब्यूरो, नई दिल्ली। आज जब मीडिया के पतन का दौर है और आमतौर पर मीडिया के प्रति एक आम अविश्वास बना है तब कुछ घटनाएं ऐसी घटी हैं जो उम्मीद जगाती हैं । बस्तर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर, जिन्होंने निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था, उनकी भ्रष्टाचार करने वालों ने हत्या कर दी और उनके शव को टैंक में डाल दिया। कई दिनों के बाद आसपास के लोगों ने जब बदबू की शिकायत की और पुलिस ने खोजबीन की तब उनकी लाश टैंक में मिली । स्व. मुकेश चंद्राकर एक शहीद पत्रकार हैं। सरकार को मुकेश चंद्राकर को पत्रकारीता का शहीद घोषित करना चाहिये तथा उनके परिवार को आर्थिक सहारा देना चाहिये।
दूसरी घटना जो उल्लेखनीय है, वह है अमेरिका के अखबार द वाशिंगटन पोस्ट में पुलित्जर पुरस्कार विजेता एन टेलनेस ने अपने कार्टून के प्रकाशित न होने पर नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया। इस कार्टून में अमेरिका के बड़े उद्योगपतियों को निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने झुकता दिखाया गया था, जिसे अखबार ने छापने से मना कर दिया था। टेलनिस ने इस्तीफ ा देते हुये अपने बयान में लिखा कि अखबार का यह फैसला प्रेस की स्वतंत्रता के लिये खतरा है। उन्होंने कार्टून में अमेजॉन के मालिक जेफ बेजोस मेटा के मार्क जुकरबर्ग, ओपन आईके ऑल्टमैन और डिज्नी के मिक्की माउस एप्पल के टिम कुक को ट्रंप के सामने झुकता हुआ दिखाया था। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी इन दोनों पत्रकारों को सलाम करती है और उनका अभिनंदन करती है जो घोर अंधकार में आशा की किरण नजर आते हैं…।

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