ब्यूरो
लखनऊ । सीबीआइ ने फर्रुखाबाद में 1200 करोड़ रुपये के फर्टिलाइजर पर 48.18 लाख रुपये से अधिक की सरकारी सब्सिडी हड़पे जाने के मामले में तत्कालीन कृषि निदेशक इश्वाकू सिंह, रतन कुमार सिंह चौहान व संयुक्त निदेशक वीरपाल सिंह समेत 20 आरोपितों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की है।
सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने हाई कोर्ट के आदेश पर यह केस दर्ज किया है। जिसमें कृषि विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक रंग बहादुर सिंह, गंगाराम, संयुक्त निदेशक आदित्य नारायण सिंह, लेखाधिकारी अभय कुमार सिंह, तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी जीसी कटियार, मदन मोहन फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रदीप कुमार अग्रवाल, ललितपुर की शांति सागर इंटरप्राइजेस, विंध्याचल मिनरल एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, झांसी की उज्जवला ट्रेडिंग कंपनी, अविनाश कुमार मोदी व रायबरेली निवासी चंद्रभान वर्मा समेत 20 आरोपित हैं।
दरअसल, वर्ष 1989 से वर्ष 2000 के मध्य हुए इस घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू ) ने 20 नामजद आरोपितों में से पांच आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया था। जिसके बाद एक आरोपित अविनाश कुमार मोदी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अविनाश ने अपनी याचिका में कहा था कि मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने उन्हें फंसा दिया, जबकि घोटाले के जिम्मेदार अधिकारियों व फर्म संचालकों को बचा लिया गया।
अविनाश पर आरोप था कि उसकी झांसी स्थित उज्जवला ट्रेडिंग कंपनी ने फर्रुखाबाद की मदन माधव फर्टिलाइजर एवं केमिकल्स कंपनी को 1200 करोड़ के फर्टिलाइजर की आपूर्ति की थी, जिसकी सब्सिडी किसानों को नहीं दी गई। वहीं अविनाश का आरोप है कि मदन माधव फर्टिलाइजर ने सरकार से 48.18 लाख रुपये से अधिक की सब्सिडी लेकर हड़प ली। इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने 10 सितंबर 2004 को फरुखाबाद की फतेहगढ़ कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच के बाद पांच आरोपितों को ही घोटाले का दोषी माना था। अब सीबीआइ पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है।