उत्तर प्रदेश की 11 राज्यसभा सीट के लिए दस जून को चुनाव, भाजपा की सात सीट पक्की

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11 में से भाजपा की सात सीट पक्की

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा तथा विधानसभा में प्रचंड बहुमत कायम करने वाली भारतीय जनता पार्टी अब उत्तर प्रदेश की मदद से राज्यसभा में और मजबूत होगी। उत्तर प्रदेश से जुलाई में खाली हो रहे 11 राज्यसभा सदस्यों के पद के लिए चुनाव दस जून को होगा। राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से 31 सदस्य जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी के पांच, समाजवादी पार्टी के तीन, बहुजन समाज पार्टी के दो तथा कांग्रेस के एक राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने पर यह चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस के कपिल सिब्बल उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य थे।

विधानसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा परिषद के चुनाव में भारतीय जनता को समाजवादी पार्टी ने टक्कर दी थी। अब राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा तथा समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला है। जिन 11 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें सबसे ज्यादा पांच भाजपा के हैं। इसके साथ तीन समाजवादी पार्टी, दो बहुजन समाज पार्टी और एक कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सिब्बल को जब 5 जुलाई, 2016 को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेजा था, तब पार्टी के पास 29 एमएलए हुआ करते थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक जीते हैं। कांग्रेस का अपने लिए यूपी में इसबार दरवाजा बंद हो चुका है। कांग्रेस की तरह ही बहुजन समाज पार्टी का भी हाल है। उसके भी सिर्फ एक विधायक हैं। राज्यसभा से रिटायर हो रहे बसपा के दो

उत्तर प्रदेश से अभी भारतीय जनता पार्टी के 22 राज्यसभा सदस्य हैं। सांसद हैं राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के 31 सांसदों की नुमाइंदगी होती है। सपा के पांच, बहुजन समाज पार्टी के तीन और कांग्रेस के सिर्फ एक राज्यसभा सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का हाल बेहद खराब है। पार्टी के सिर्फ दो विधायक हैं, जबकि रायबरेली से सोनिया गांधी लोकसभा सदस्य हैं। बसपा से सतीश गौतम अभी राज्यसभा में रहेंगे।

प्रदेश विधानसभा में 403 विधायक में भाजपा गठबंधन के पास 273 विधायक हैं। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की कुल संख्या 125 बनती है। जुलाई में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के जो 11 सीटें खाली हो रही हैं, उसमें से प्रत्यके सीट के लिए कम से कम 37 विधायकों का वोट चाहिए। इस हिसाब से भाजपा गठबंधन सात सीटों पर आसानी से जीत दर्ज कर सकता है और तीन सीटों पर सपा गठबंधन की जीत पक्की लग रही है। असल मुकाबला 11वीं सीट के लिए होना है, जिसके लिए दोनों ही गठबंधन को बाकी दलों का समर्थन चाहिए। 11वीं सीट पर किसका पलड़ा भारी।यूपी से राज्यसभा की 11वीं सीट पर किसी भी उम्मीदवार की जीत के लिए कांग्रेस, राजा भैया की जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) और बसपा की भूमिका अहम हो जाएगी। कांग्रेस के दो, जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दो और बीएसपी के एक विधायक हैं। इनमें से सपा के कांग्रेस से समर्थन मिलना लगभग तय लग रहा है।

इसी तरह राजा भैया की चुनावों से पहले जिस तरह से सपा चीफ अखिलेश यादव से तल्खी बढ़ी थी तो वह भाजपा गठबंधन के साथ जा सकते है। बसपा के बारे में फिलहाल कोई भी अटकल लगाना मुश्किल है। भाजपा गठबंधन के पास सात उम्मीदवारों को वोट देने के बाद 24 अतिरिक्त वोट बचेंगे और सपा गठबंधन के पास 19 अतिरिक्त वोट। मौजूदा गुना-गणित के हिसाब से 11वीं सीट पर भी सत्ताधारी गठबंधन का पलड़ा भारी पड़ सकता है।

भाजपा के मुस्लिम चेहरे जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेन्द्र नागर और जय प्रकाश निषाद। सपा से कार्यकाल पूरा करने वालों में सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह, विषंभर प्रसाद निषाद।  सुखराम सिंह यादव के बेटे मोहित यादव हाल ही में भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ तथा कांग्रेस के कपिल सिब्बल।

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