खबर का असर :उप-निदेशक पंकज शुक्ला,उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा के खिलाफ विशेष सचिव ने बिठा दी जांच

0
255

खबर का असर :उप-निदेशक पंकज शुक्ला,उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा के खिलाफ विशेष सचिव ने बिठा दी जांच

संयुक्त निदेशक भानू प्रकाश राम जांच कर 15 दिनों में शासन को सौंपेंगे रिपोर्ट

निष्पक्ष होगी जांच, 15 दिन में सौंपूंगा शासन को रिपोर्ट: भानू प्रकाश राम

 

   संजय पुरबिया

लखनऊ। द संडे व्यूज़ डॉट कॉम व इंडिया एक्सप्रेस न्यूज़ डॉट कॉम पर उद्यान विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोल जारी किया। दो स्टोरी प्रकाशित होने के बाद प्रदेश भर में उद्यान विभाग के अधिकारी मुरझा गये हैं वहीं शासन के अलंबरदारों में हड़कम्प मच गया है। शासन ने भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष मनोज कुमार यादव एवं श्रीमती अनीता देवी के गोपनीय पत्र में उद्यान विभाग के अधिकारियों पर लगाये गये कई आरोप को गंभीरता से लिया है। विशेष सचिव संदीप कौर ने पंकज कुमार शुक्ला,तत्कालीन उप-निदेशक,उद्यान प्रयागराज सम्प्रति उप-निदेशक उद्यान- बस्ती एवं जिला उद्यान अधिकारी प्रतापगढ़ डॉ. सीमा सिंह राणा के खिलाफ जांच बिठा दी है जांच संयुक्त निदेशक,खाद्य प्रसंस्करण भानू प्रकाश राम को सौंपी गयी है। शिकायती पत्र में पंकज कुमार शुक्ला एवं डॉ.सीमा सिंह राणा पर लगाये गये गंभीर आरोप की बाबत जब जांच अधिकारी भानू प्रकाश राम से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि जांच सौंपी गयी है और पूरी ईमानदारी से जांच कर रिपोर्ट शासन को दूंगा। अभी इस बारे में अधिक बात नहीं कर पायेंगे।

विशेष सचिव संदीप कौर ने संयुक्त निदेशक खाद्य प्रसंस्करण,उद्यान विभाग को निर्देश दिया है कि श्रीमती अनीता देवी पत्नी स्व. महेश कुमार सहायक, उद्यान निरीक्षक, प्रतापगढ़ एवं मनोज कुमार यादव जिला उपाध्यक्ष भाजपा युवा मोर्चा के पत्र में लगाये गये सभी आरोपों का बिन्दुवार जांच कर अपनी जांच आख्या संगत अभिलेखों, साक्ष्यों सहित 15 दिन के अंदर शासन को उपलब्ध करायें ताकि प्रकरण पर अग्रेतर कार्रवाई की जाये।
बता दें कि दसंडेव्यूज़डॉटकॉम एवं इंडियाएक्सप्रेसन्यूज़डॉटकॉम ने उद्यान विभाग के महाभ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ खबर लिखकर उनके काली कमाई के बारे में खुलासा किया था।

बता दें कि 28 जुलाई को शीर्षक  पार्ट 1 में घोटाले का खुलासा किया है जिसका शीर्षक निम्र है–: ‘उप-निदेशक पंकज शुक्ला और उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा की जुगलबंदी ने कर दिया 6 करोड़ का घोटाला’   

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग से हरियाली गायब होती जा रही है। उद्यान की हरियाली जहरीले कीड़ों की वजह से नहीं बल्कि जहरीली सोच रखकर सरकार की खूबसूरत योजनाओं को खा जाने वाले अफसरों की वजह से हो रही है। सरकार चाहती है कि प्रदेश हरा-भरा हो लेकिन कैसे?ï उद्यान विभाग में डायरेक्टर से लेकर जिलों में तैनात अधिकारी,सभी योजनाओं में फर्जीवाड़ा कर अपना हित साध रहे हैं। योजनायें तो चलायी जा रही है लेकिन भुगतान फर्जी किसानों के नाम पर अपने कर्मचारियों के नाम पर कराकर अफसर करोड़पति बन रहे हैं और बदनाम सरकार और विभागीय मंत्री हो रहे हैं। भ्रष्टाचार की द संडे व्यूज़ स्पेशल आपको बतायेगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच को किस तरह से ध्वस्त कर रहे हैं उद्यान विभाग के अफसर…।भ्रष्टाचार की सिलसिलेवार कहानी में आज हम बात करेंगे प्रयागराज से….। प्रयागराज में तैनात उप-निदेशक पंकज शुक्ला की,जिन्होंने एक नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की दर्जनों गाथा लिखकर मानों ठान लिया हो कि वे सरकारी खजाने को लूटते रहेंगे,देखते हैं…। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बात की जानकारी उद्यान विभाग के निदेशक डॉ.आर.के.तोमर को है लेकिन उन्होंने कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। खैर, भ्रष्टाचार की परत आज नहीं तो कल खुलता है और इसकी शुरुआत प्रतापगढ़ की अनीता देवी ने किया। मुख्यमंत्री और उद्यान मंत्री को भेजे गये गोपनीय पत्र में इन्होंने उप-निदेशक पंकज शुक्ला पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। इस गोपनीय पत्र ने शासन में हड़कम्प मचा रखा है।


गोपनीय पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रयागराज में तैनात उप-निदेशक पंकज शुक्ला की मिलीभगत कर जिला उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा,सहायक उद्यान निरीक्षक एवं निलंबित इन्द्रमणि यादव,कम्प्यूटर आपरेटर अजय कुमार गुप्ता ने  2021-22 में विभागीय योजनाओं की राजकीय धनराशि लगभग 6 करोड़ की लूट की है। पंकज शुक्ला ने फलदार वृक्षारोपण कार्यक्रम अंतर्गत धनराशि1500000 रुपये का आहरण कर घोटाला किया है। जबकि राजकीय पौधशाला मुख्यालय में सिर्फ एक हजार ही पौधे तैयार किये गये हैं। आहरण किये गये धनराशि के सापेक्ष राजकीय पौधशाला मुख्यालय में तैयार किये गये पौधे का आकस्मिक जांच करायी जाये तो घोटाले का खुलासा हो जायेगा।

इसी तरह,मिशन योजना में श्रीमती राम भोली पत्नी हीरालाल गुप्ता का पुत्र अजय कुमार गुप्ता,जो कार्यालय में ही कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर तैनात है। इसने प्रोजेक्ट बेस कार्यक्रम में पावर टिलर क्रय किये बिना सिंह इंटर प्राइजेज,लालगंज,अझारा,प्रतापगढ़ के नाम 3 फरवरी 2022 को फर्जी बिल संख्या 204 बनाकर 1,70240 रुपये कूटरचित तरीके से तैयार करके 75000 रुपये का भुगतान ले लिया। यदि तहसील प्रभारी सदर सत्यभान सिंह एवं सहायक उद्यान निरीक्षक से उक्त बिल के आधार पर संबंधित फर्म से सत्यापन करा ली जाये तो फर्जी बिल भुगतान का पोल खुल जायेगा। इतना ही नहीं, पैक हाउस कार्यक्रम के किसान श्रीकृष्ण कुमार सिंह ग्राम कोलबजरडीह,वि.ख. सण्डवा चंद्रिका ने शिव फर्नीचर बझान सण्डवा-चंद्रिका,प्रतापगढ़ के बिल पर सीमेंट,सरिया,बालू आदि सामग्री के सापेक्ष 2 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है। जबकि शिव फर्नीचर सीमेंट,बालू सरिया का अधिकृत विक्रेता है ही नहीं? संबंधित तहसील के प्रभारियों के अभिलेख में ये अधिकृत विक्रेता नहीं है,जांच करा ली जाये…। ऐसे अनगिनत फर्म हैं,जिनका जी.एस.टी. में एच.एस.एन. कोड है ही नहीं,उन्हें अनियमित तरीके से भुगतान किया गया है। यदि समस्त अभिलेखों की जांच करा ली जाये तो बड़ा घोटाला उभर कर सामने आ जायेगा।

गोपनीय पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि माइक्रोएरीगेशन वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 में सैंकड़ों ऐसे किसान हैं जिनके पास जितनी जमीन है इनके द्वारा दुबारा योजना का लाभ दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि उसी जमीन पर वर्ष2021-22 के अंतर्गत ड्रिप,मिनिस्प्रिंकलर का भुगतान किया गया है। सैंकड़ों ऐसे भी किसान हैंजिनके पास जितनी जमीन है,उससे कई गुना अधिक जमीन दिखाकर ड्रिप,मिनिस्प्रिंकलर का भुगतान कर दिया गया है। मसलन,छोटेलाल ग्राम बेसार,वि.ख.पट्टी,प्रतापगढ़,अमरनाथ ग्राम गोपालपुर वि.ख.सांगीपुर,प्रतापगढ़,जो अनुसूचित जाति के किसान हैं,को दो हेक्टेयर का कार्यक्रम दिखाकर स.220869 रुपये का भुगतान कर दिया गया है,इनकी खतौनी एवं स्थलीय सत्यापन कर लिया जाये तो पर्दाफाश हो जायेगा। इसी तरह,जयप्रकाश सिंह ग्राम छतरपुर वि.ख. सण्डवा,चंद्रिका,प्रतापगढ़ के एक हेक्टेयर मिनी स्प्रिंकलर को 116166 रुपये के अनुदान का भुगतान कर दिया गया है जबकि श्री सिंह विगत् तीन सालों से उसी जमीन,खतौनी पर कई कार्यक्रम का लाभी उठा रहा है।

नियम की बात करें तो एक योजना का लाभी लेने वाले किसान आगामी तीन वर्ष बाद ही योजना का लाभ ले सकते हैं,फिर इन पर इतनी मेहरबानी क्यों? जांच का विषय है। उक्त योजना के सभी दस्तावेज संबंधित तहसील प्रभारियों से डीबीटी बिल,खतौनी, आवेदन पत्र,रजिस्ट्रेशन की पावती से मिलान करते हुये उनके सापेक्ष कराये गये कार्यक्रमों की जमीनी जांच करा ली जाये तो बड़ा घोटाला उभर कर सामने आ जायेगा।बहरहाल,अनीता देवी द्वारा लगाये गये गंभीर आरोप में शासन में बैठे उद्यान विभाग के अफसरों के होश उड़ा दिये हैं। इस बाबत अनीता देवी ने कहा कि जांच करा ली जाये,सच सामने आ जायेगा। वहीं कुण्डा प्रतापगढ़ से भाजपा के जिलाध्यक्ष,युवा मोर्चामनोज कुमार यादव ने कहा कि मैंने भी उद्यान विभाग में हुये घोटाले का खुलासा कर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। पूरी उम्मीद है कि जीरो टॉलरेंस के पक्षधर मुख्यमंत्री घोटाला करने वालों को बख्शेंगे नहीं।

पार्ट 2- में घोटाले का खुलासा किया है,जिसका शीर्षक निम्र है- – ‘भ्रष्ट उद्यान अधिकारी डॉ. सीमा सिंह राणा की कहानी : मैडम की गाड़ी चली नहीं, बिल आया 3 लाख’ … जो ये है- 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज मंडल में उद्यान विभाग के महाभ्रष्ट अधिकारी ‘गंगा मईया’ में ‘डुबकी’ लगाकर अपने ‘पाप’ को धोने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ‘द संडे व्यूज़‘ की टीम उनके ‘नापाक इरादों’ को ‘नेस्तनाबूद‘ करने में लगा हुआ है। कोशिश है कि प्रयागराज मंडल के साथ-साथ मुख्यालय में बैठे आकाओं की ‘काली कमाई’ की करतूत को ‘सरकार’ और ‘जनता’ के सामने लाऊं ताकि ये भी सलाखों के पीछे जायें। पार्ट 2 में बात करते हैं एक ऐसी महिला अधिकारी की जिसने अपने ‘पद’ और ‘गरिमा’ को सिर्फ ‘काली कमाई’ के चक्कर में बदनाम कर दिया है। जी हां,बात कर रहे हैं प्रयागराज मंडल के प्रतापगढ़ में तैनात उद्यान अधिकारी डॅा. सीमा सिंह की, जिन्होंने आकाओं के आशिर्वाद से सरकार द्वारा बनायी गयी सभी नियमावली का वर्षों से धज्जियां उड़ा रही हैं। ‘मुख्यमंत्री’ और ‘उद्यान मंत्री’ को की गयी शिकायत में अनीता देवी और भाजपा युवा मोर्चा,प्रतापगढ़ के जिला उपाध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने डॉ. सीमा सिंह पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाये हैं। देखते हैं जांच होती है या नहीं ?

 

मुख्यमंत्री को लिखे गये शिकायती पत्र में अनीता देवी ने आरोप लगाया है कि उद्यान अधिकारी डॉ. सीमा सिंह वर्ष 2021-22 में माइक्रोएरिगेशन योजना में काम दिखाकर ३ लाख रुपये वाहन खर्च में निकाल लिया है। योजना के नाम पर वाहन चलाने के नाम पर प्रति माह स्पीड ट्रवेल्स, हजरतगंज,लखनऊ के नाम पर 44,520 रुपये का बिल बनाकर देती थी।  हकीकत यह है कि सीमा सिंह वाहन का प्रयोग सिर्फ अपने निजी आवास नियर ओझा हॅास्पिटल, टैगोर टाउन प्रयागराज से प्रतापगढ़ के लिये करती थी। यदि लॉग बुक में भरे गये स्थान,तिथि एवं उसके सापेक्ष सत्यापन आदि राजकीय कार्यों की तिथि से मिलान कर लिया जाये तो पता चलेगा कि किस तरह से सीमा सिंह राजकीय धन की लूट कर रही हैं। पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि  सीमा सिंह की पहली तैनाती प्रयागराज में उद्यान निरीक्षक के पद पर हुयी थी। यहीं पर पदोन्नति मिली और बन गयीं वरिष्ठ  उद्यान निरीक्षक, खुशरुबाग, इलाहाबाद। उसके बाद क्लास २ में पदोन्नति पाकर डॉ. सीमा सिंह बन गयीं अधीक्षक राजकीय उद्यान, इलाहाबाद। मौजूदा समय प्रतापगढ़ में तैनात हैं।

सीधी बात करें तो लगभग 20 वर्ष तक सीमा सिंह इलाहाबाद में ही तैनात थीं और अभी भी प्रयागराज मंडल में ही हैं। आरोप लगाया गया है कि सीमा सिंह की पांच वर्ष के कार्यकाल में माइक्रोएरिगोशन कार्य में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है।  इन्होंने एक ही खतौनी पर परिवार के अलग-अलग सदस्यों को अलग-अलग वर्षों में लाभार्थी बनाकर अनुदान दिया गया है। लाभार्थि किसानों के पास भू-राजस्व अभिलेखों में उनके नाम के आगे अंकित रकबा को कूटरचित तरीकेे से अनुदान की सीमा तक बढ़ाया गया है। नियम की बात करें तो यदि किसी लाभार्थी को योजना का लाभ मिल गया है तो फिर दुबारा उसे 7 साल बाद ही योजना का लाभ मिलेगा लेकिन यहां वर्षों से डॅा. सीमा सिंह अपनी टीम के साथ मिलकर एक ही किसान को फर्जी तरीके से लगातार कई सालों तक योजनाओं का लाभ देती रही हैं।इनके पांच वर्ष के कार्यकाल में माइक्रोएरिगेशन योजना की जांच करा ली जाये तो करोड़ों का घोटाला सामने आयेगा। इसी योजना में यदि सभी जनपदों में उच्च स्तरीय जांच करा ली जाये तो हजारों-करोड़ों का घोटाला निकल कर सामने आयेगा।

वर्ष  2020-21 के संप्रेक्षण में भी इस प्रकार का प्रकरण उच्च अधिकारियों को बताया गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इससे साबित होता है कि मुख्यालय में बैठे एमडी को भी इनलोगों ने ‘मैनेज’ कर लिया है। इस पर भारतीय जनता युवा मोर्चा,प्रतापगढ़ के जिला उपाध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने कहा कि डॉ. सीमा सिंह ने वाहन चलाने के नाम पर जो तीन लाख का बिल विभाग में दिया है यदि उसकी सच्चाई जाननी है तो सरकारी लॉग बुक से मिलान कर लिया जाये। सच सामने आ जायेगा। इसके अलावा माइक्रोएरिगेशन योजना में इनके द्वारा बनाये गये लाभार्थियों की भूमि की जांच करा ली जाये तो घोटाला हजारों-करोड़ का निकलेगा क्योंक मैडल पांच वर्ष से उक्त योजना में लाभार्थियों को लाभ दे रही हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here