योगी के पूर्व ‘सुल्तान’ पूर्व डीजीपी ‘सुलखान सिंह’ कुत्तों से परेशान

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी सुलखान सिंह इन दिनों खासे परेशान हैं। परेशानी का कारण उनके मुहल्ले में कुत्तों का आतंक है। अब कुत्ते साधारण के आदमी के हों तो कोई बात हो, लेकिन ये भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता के हैं। शिकायत दर्ज कराई। लखनऊ विकास प्राधिकरण से लेकर स्थानीय पुलिस तक उनकी शिकायत पर कार्रवाई से लगभग इनकार कर दिया। अधिकारियों ने उनसे फिजूल में समय बर्बाद न करने तक की सलाह दे डाली। इसके बाद पूर्व आईपीएस ने लखनऊ के पुलिस कमिश्नर से इस संबंध में शिकायत की। इसके बाद स्थानीय थाने से दो एसआई आए। बात करके चले गए, कार्रवाई नहीं हुई।

खुले तौर पर व्यवसायिक परिसर का निर्माण गोमती नगर विस्तार में किए जाने का मामला उन्होंने उठाया। इन लोगों के खुलेआम व्यावसायिक बिजली कनेक्शन लेने का मामला गरमा रहा है। उन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण पर धन वसूली का आरेाप लगाया है। बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाए हैं। पूर्व डीजीपी कहते हैं कि बुलडोजर शायद गरीबों की झोपड़ी उजाड़ने के लिए है। पूर्व डीजीपी अपने कार्यकाल के दौरान तेज तर्रार और तेजी से एक्शन लेने वाले अधिकारियों के रूप में जाने जाते रहे हैं। अब उनकी शिकायत पर सुनवाई भी नहीं हो रही है।

यूपी के बांदा जिले के जौहरपुर गांव के साधारण परिवार से सुलखान सिंह आते हैं। यहां उनका पुश्तैनी मकान है। बांदा में 8 सितंबर 1957 को उनका जन्म हुआ था। उन्हें यूपी पुलिस में कर्मयोगी पुलिसकर्मी के रूप में पहचान मिली थी। राजधानी लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर जौहरपुर गांव में जाकर आप किसी से सुलखान सिंह भदौरिया के बारे में पूछेंगे तो आपको उनके बारे में सबकुछ पता चल जाएगा। कड़ी मेहनत और प्रतिद्धता के दम पर उन्होंने यूपी के डीजीपी पद तक का सफर तय किया था। गांव में आज भी उनका घर आपको कोई आकर्षण नहीं देगा। आधा कंक्रीट का बना यह घर किसी मामूली इंसान का ही नजर आएगा। यहां पर लगा उनका नेम प्लेट ही इस घर को खास बनाता है।

सुलखान सिंह के गांव के घर के आंगन में आपको कृषि से जुड़ी मशीनें, औजार और अनाज की बोरियां दिख जाएंगी। यह साफ करता है कि इस परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती है। सुलखान सिंह के पिता का नाम लाखन सिंह भी खेती से जुड़े थे। सुलखान सिंह का गांव उनके डीजीपी बनने के बाद ही सुर्खियों में आया था। उनका छोटा भाई रजनीश सिंह खेती से ही जुड़े हुए हैं।सुलखान सिंह का एक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। दरअसल, इसमें उन्होंने अपनी व्यथा लिखी है। रिटायरमेंट के बाद सुलखान सिंह गोमती नगर विस्तार स्थित अपने आवास में रहते हैं। इस स्थान को योजना के साथ बसाया गया था। हालांकि स्थिति बदल रही है। अपनी शिकायत में पूर्व डीजीपी कहते हैं कि यह इलाका अब अराजकता का शिकार हो रहा है। लोगों ने सड़क पर अवैध निर्माण कर लिया है। यहां लोग जानवर और कुत्ते बांध रहे हैं। दो लोग तो एक बड़ा और एक छोटा कुत्ता सड़क पर ही रख रहे हैं। बड़ा कुत्ता बंधा रहता है। छोटा कुत्ता खुला रहता है।
पूर्व डीजपी बताते हैं कि एक बार कुत्ते ने मेरे ऊपर हमला कर दिया। डंडा मारकर मैंने खुद को बचाया। मकान मालिक से शिकायत की तो वह बदतमीजी करने लगा। मैं इज्जत बचाकर वहां से निकला। अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इंतजार है, ये कुत्ते किसी को मार डालें। उसके बाद सरकार ट्विटर पर खेद जताएगी। मीडिया में शोर मचा तो कुछ आर्थिक सहायता दे देगी।

पूर्व डीजीपी कहते हैं कि लखनऊ में बसे थे, बढ़ती उम्र में सुविधाजनक और सुरक्षित जगह है। लेकिन, अब असहनीय हो रहा है। क्या करें? कहीं और जा भी तो नहीं सकते? पूर्व डीजीपी की तरह ही इस प्रकार की शिकायत गोमती नगर के विभिन्न मुहल्लों की है। गोमती नगर के विनय खंड-1 में भी कुत्तों का आतंक है। यहां आवारा कुत्तों को सड़क पर खाना देकर कुछ लोग पाल रहे हैं। वे आने-जाने वालों को परेशान करते हैं। लखनऊ नगर निगम की ओर से इन कुत्तों को पकड़ने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं की गई है।

गांव में शुरुआती शिक्षा, आईआईटी रूड़की से इंजीनियरिंग

सुलखान सिंह की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में ही हुई। जौहरपुर के सरकारी स्कूल में उन्होंने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की। इसके बाद तिंदवारी हाईस्कूल से माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की। सुलखान इसके बाद आदर्श बजरंग इंटर कॉलेज बांदा पहुंचे। वहां से उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद आईआईटी रूड़की में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। वहां बैचलर डिग्री लेने के बाद आईआईटी दिल्ली से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में उन्होंने पीजी डिप्लोमा की डिग्री ली। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के दौरान ही उनका रुझान सिविल सर्विसेज की तरफ मुड़ा। उन्होंने वर्ष 1980 में पहले ही प्रयास में सिविल सर्विसेज परीक्षा को क्लीयर कर दिया। सुलखान को पढ़ाने वाले शिक्षक उन्हें अनुशासित और पढ़ाकू बताते हैं। सुलखान सिंह ने एलएलबी की डिग्री भी हासिल की थी।

ईमानदारी की होती है चर्चा

सुलखान सिंह की ईमानदारी की चर्चा खूब होती है। उनके बारे में कहा जाता है कि अपने सेवाकाल में उन्होंने किसी भी नेता के सामने झुकना कबूल नहीं किया। किसी के पैर नहीं छुए। ईमानदार अफसर ने 36 साल की नौकरी के बाद भी तीन कमरों का बनवाने में सफलता दर्ज की। वह भी एसबीआई से लोन लेकर। बांदा में भी उनके पास महज ढाई एकड़ जमीन है। योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद ही सीनियर आईपीएस अधिकारी को प्रदेश पुलिस के सर्वोच्च पद पर पहुंचने का मौका मिला। वर्ष 2001 में उन्हें लखनऊ का डीआईजी बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने कई भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इस कारण वे सुर्खियों में आए थे।

पुलिस भर्ती घोटाले को किया था उजागर

सुलखान सिंह ने हमेशा सच का साथ दिया। वर्ष 2007 में बसपा की सरकार आई। उस दौरान उन्होंने पूर्व की मुलायम सिंह यादव सरकार के दौरान हुए पुलिस भर्ती घोटाले को उजागर कर दिया। इस कारण वे कई नेताओं की नजर पर चढ़ गए। यही वजह रही कि सीनियरिटी में पहले स्थान पर रहने के बाद भी उन्हें यूपी के डीजीपी तक पहुंचने में लंबा समय लग गया। सपा शासनकाल में उन्हें उन्नाव के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में तैनात किया गया। उस समय वे एडीजी स्तर के अधिकारी थे। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में आम तौर पर डीआईजी स्तर के अधिकारी की तैनाती होती है। 10 अप्रैल 2015 को उन्हें डीजी पद प्रमोशन मिला। इसके बाद उन्हें डीजी ट्रेनिंग बना दिया गया। इस पद को पुलिसिंग में शंटिंग के तौर पर देखा जाता है। सुलखान सिंह ने इसे मौके की तरह लिया और पुलिस ट्रेनिंग के तरीकों में सुधार शुरू कर दिया। ट्रेनिंग के स्तर को भी बढ़ाया गया। सरकार की ओर से मिली जिम्मेदारियों को ईमानदारी से पूरा कराने के लिए भी सुलखान सिंह को जाना जाता है। इसी वजह से उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक, स्वतंत्रता पदक और पुलिस प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री पदक मिल चुका है।

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