आखिर किसने डीडीयू गोरखपुर में कुलपति के लिये राजेश कुमार सिंह की पैरवी की, उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो-याज्ञवल्क्य शुक्ल

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डीडीयू गोरखपुर कुलपति प्रो. राजेश कुमार सिंह पुराना भ्रष्टाचारी है,इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो : याज्ञवल्क्य शुक्ल

प्रेस कान्फ्रेंस में उठाया सवाल:

लोकायुक्त ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में राजेश सिंह द्वारा किये गये भ्रष्टाचार में दोषी करार दिया है

आखिर किसने डीडीयू गोरखपुर में कुलपति के लिये राजेश कुमार सिंह की पैरवी की, उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो ?

  दिव्यांश श्री.

लखनऊ। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय डीडीयू गोरखपुर के कुलपति प्रो. राजेश कुमार सिंह के ऊपर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप है। बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहते उन पर लगे आरोप,एफआईआर लोकायुक्त के यहां वाद दाखिल करने के दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने लखनऊ स्थित अभिाविष कार्यालय पर प्रेसवार्ता की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रो. राजेश सिंह गोरखपुर में जिन आरोपों का सामना कर रहे हैं,यह उनके लिये नया नहीं है। बिहार के नवनिर्मित पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान भी उनके द्वारा किये गये भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर होने के साथ लोकायुक्त की जांच चल रही है। लोकायुक्त की जांच के बावजूद उन्हें उत्तर प्रदेश में कुलपति कैसे नियुक्त किया गया ? जिस सर्च कमेटी ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की है वह भी जांच के योग्य है।

उन्होंने बताया कि बिहार में कुलपति रहने के दौरान उन्होंने महाविद्यालयों से अवैध वसूली की सेमिनार के नाम पर धन उगाही,अपने एक रिसर्च स्कॉलर के नाम से खाते में सेमिनार का पैसा जमा कराने के साथ ही कूटरचित तरीके से फर्जी बिल बनाकर विश्वद्यियालय के फंड का दुरूपयोग किया। इसके साथ ही उन्होंनें 18 हजार छात्रों के भविष्य को भी दांव पर लगा दिया,जिनका बिना अनुमति के विश्वविद्यालय के प्रवेश लिया गया। भागलपुर के रहने वाले विमल कुमार राय ने लोकायुक्त के यहां भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि कुलपति रहते हुये राजेश सिंंह ने सरकारी धन से विदेशों की निजी यात्रायें की है।

कुलपति राजेश कुमार सिंह ने 12 जून 2018 को प्राचार्यों की मीटिंग में विश्वविद्यालय के खाता संख्या 37702892035 आईएफसी कोड एसबीआईईन न0000151 में 10 लाख रुपये बिना सिंडीकेट के अनुमोदन के स्थानांतरित करने का आदेश देकर बड़ी वित्तीय अनियमितता की है। उन्होंने तीन करोड़ रुपये की कॉपी प्रिंटिंग घोटाले के साथ ही 25 लाख रुपये का सोवेनियर घोटाला किया है जो विश्वविद्यालय को कभी प्राप्त हुआ ही नहीं। गोरखपुर मे कुलपति रहने के दौरान उन पर कॉलेजों से अवैध वसूली,डिग्री का पैसा लेने के बाद भी डिग्री ना देना,मेस घोटाला,पीएचडी प्रवेश घोटाला,बिना अनुमति पेड़ कटान,शिक्षकों को निलंबित करना,छात्रों पर झूठे केस लादना आदि उनके इसी कदाचार की पुनरावृत्ति है।

राष्ट्रीय महामंत्री श्री शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि कुलपति जैसे आदर्श पद पर रहते हुये राजेश सिंह द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के कारण पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय की साख गिरी है। लोकायुक्त की रिपोर्ट में उन्हें उस दौरान किये गये कार्यों के लिये दोषी माना है। उन्होंने सवाल उठाया कि आगरा विश्वविद्यालय,राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, तथा अब्दुल कलाम टेक्रिकल विश्वविद्यालय के क्रमश: कुलपति प्रो.अशोक मित्तल,प्रो.रविशंकर सिंह तथा प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा को भ्रष्टाचार के आरोपों में जबरियन इस्तीफा लिया गया है,तो उन पर लगे आरोप क्या है ? उन पर क्या कार्रवाई की गयी है ? इसका सार्वजनिक किया जाये ताकि प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जीरो टॉलरेंस की नीति है,उसका पालन हो सके।

यदि अभी तक उक्त कुलपतियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है तो किसे बचाने के लिये इनसे जबरियन इस्तीफा लिया गया है ? अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अवध प्रांत मंत्री आकाश पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में छात्रों का शोषण चरम पर है। विश्वविद्यालयों में अनियमित फीस वृद्धि की जा रही है। महाविद्यालयों से विभिन्न मदों में धनादोहन किया जा रहा है। इस पर रोक नहीं लगा तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जायेगा।

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