पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों के डिजिटल उपकरणों मसलन फोन, लैपटाप आदि की जब्ती पर गंभीर चिंता जताई और केंद्र सरकार से जांच एजेंसियों की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने के लिए कहा।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ मंगलवार को फाउंडेशन फार मीडिया प्रोफेशनल्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनहित याचिका में शीर्ष कोर्ट से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा उपाय लाने और डिजिटल उपकरणों की जब्ती के संबंध में दिशा-निर्देश बनाने के आदेश जारी करने की मांग की गई है। एएसजी बोले, इस मामले में कई जटिल कानूनी मुद्दे शामिल हैं: अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू केंद्र की ओर से पेश हुए।
केंद्र को दिया गया दिशा निर्देश
उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले में कई जटिल कानूनी मुद्दे शामिल हैं और वह इन पहलुओं की जांच करेंगे। उन्होंने पीठ से फिलहाल सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया। इस दौरान जस्टिस कौल ने कहा- “मिस्टर राजू, एजेंसियों के सर्व शक्तिमान होने को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है, मुझे लगता है कि यह बहुत ही खतरनाक स्थिति भी है।” पीठ ने इस संबंध में केंद्र को बेहतर दिशा-निर्देश लाने का निर्देश दिया।
न्यूजक्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों के घरों में की छापेमारी
इस मामले में अगली सुनवाई दिसंबर में होगी। यह याचिका तीन अक्टूबर को ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक से जुड़े 46 पत्रकारों, संपादकों के घरों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी के मद्देनजर आई है। छापेमारी के बाद प्रेस क्लब आफ इंडिया, डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और इंडियन वूमन प्रेस कार्प्स सहित कई मीडिया संगठनों ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा था और इसमें उन्होंने अक्टूबर में पत्रकारों के इलेक्ट्रानिक उपकरणों की जब्ती पर दिशा-निर्देश मांगे थे