बेसिक शिक्षा नहीं घर की ‘खेती’ समझते हैं यहां तैनात क्लर्क…
कम्प्यूटर चलाने का सहूर नहीं लेकिन रहेंगे बीएसए ऑफिस में क्योंकि…
‘द संडे व्यूज़’ करेगा खुलासा
ब्यूरो ,लखनऊ। बलिया की पहचान बागी बलिया के रुप में होती है। क्रांतिकारियों का शहर है तो यहां के लोगों में बात-बात पर क्रांति के बोल बोलने की आदत सी है। तभी तो बेसिक शिक्षा कार्यालय में दर्जनों क्लर्क हैं,जिनकी पहली तैनाती यहां हुयी,उसके बाद से आज तक इनका तबादला कहीं नहीं किया गया। क्लर्कों का बोल है कि ‘भर्ती होते खूंटा गाड़ देहले बानी,अब एइजे से होइब रिटायर…। अधिकारी त अपने जेब में हउवन,केकरा में बा दम जे हमार कुुर्सी हिला पाए…।’ भोजपुरी में बोले गये इस डॉयलाग में दम दिखता है, क्योंकि यहां काम करने वाले बाबूओं को भले ही ‘टाईपिंग’ या ‘कम्प्यूटर’ चलाना ना आये लेकिन अधिकारियों को ‘सेट’ करने की ‘महारत’ हासिल है।
बताया जाता है कि कई बाबू तो अगले वर्ष रिटायर होने वाले हैं। बेसिक शिक्षा विभाग, बलिया में ‘भ्रष्टाचार’ और शासन के नियमावली के विरुद्ध किये जा रहे मामलों का सिलसिलेवार ‘द संडे व्यूज़’ खुलासा करेगा। बतायेंगे उन क्लर्कों का नाम जो भर्ती होने से लेकर आज तक बीएसए कार्यालय में खूंटा गाड़कर बैठे हैं। बतायेंगे कि कैसे और किस सीट से करते हैं काली कमाई और अफसर को भी कर्रें नोटों की खुशबु सुंघाकर अपना हित साधते हैं।