बीएसए के करीबी कनिष्ठ सहायक कमाई की पटल छोड़ नहीं जाना चाहते सोनाडीह

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 बीएसए कार्यालय में तैनात आलोक सिंह ने उड़ाई ट्रांसफर पॉलिसी की धज्जियां,नहीं कर रहें ज्वाईन पिन्टू सिंह बलिया। बलिया के शिक्षा विभाग में बीएसए कार्यालय में तैनात कनिष्ठ सहायक आलोक सिंह तबादला होने के बाद भी अभी तक यहां खूंटा गाड़कर बैठे हैं। बीएसए के खास कारिंदा होने की वजह से आलोक को कार्यमुक्त नहीं किया गया है,जबकि अन्य कर्मचारियों ने नई जगह पर जाकर तैनाती कर ली है। मतलब साफ है भ्रष्ट कर्मचारियों पर सीधे तौर पर बीएसए का हांथ है। तभी तो आलोक सिंह कार्यमुक्त नहीं हुये हैं। ये सीधे-सीधे शासन के मुंह पर करारा प्रहार है जो बताता है कि बीएसए मनीष सिंह सरकार के नहीं भ्रष्टाचार की नीतियों पर चलकर अपने रिश्तेदार की तरह अकूत संपत्ति कमाएंगे और अपने चहेतों को भी कमवाएंगे।

बता दें कि 30 जून को प्रशासनिक आधार पर 5 कर्मचारियों का तबादला हुआ था, जिसमें आलोक सिंह का भी नाम था। आलोक सिंह का तबादला रा.उ.मा.वि. सोनाडीह, बलिया में रिक्त पद पर किया गया था लेकिन साहेब वहां जाना मुनासिब नहीं समझे। बीएसए कार्यालय पर इनके पास प्रशासनिक,कर्मचारियों के निलंबन,बहाली व कार्यमुक्त करने का पटल था,जिस पर अंधाधुन अवैध कमाई होता था। अब भला कोई यहां से जाकर ग्रामीण अंचल में सिर्फ वेतन पर कैसे गुजारा कर सकता है। उस पर से बीएसए के करीबी होने की वजह से साहेब ने सोचा भाड़ में जाये ट्रांसफर पॉलिसी…बीएसए का आशीर्वाद है तो कौन कुछ बिगाड़ लेगा…। सीधे तौर पर आलोक सिंह द्वारा केन्द्र व प्रदेश सरकार के शासनादेशों की अनदेखी की जा रही है। यहां शासनादेश का कोई मतलब नहीं है। क्या अफसर और क्या क्लर्क, घोटाला करने से कोई डर नहीं रहा, क्योंकि सभी को मालूम है कि कोई कार्यवाही होनी नहीं है

। स्थानांतरण होने के लिये शासन स्तर से एक सुस्पष्ट गाइड लाइन है, फि र भी यहां उसका पालन नहीं होता है। किसी भी कर्मचारी को एक पटल का कार्य देखने के लिये अधिकतम तीन वर्ष निर्धारित है, लेकिन बलिया मे यह नियम लागू ही नहीं होता। क्योंकि बलिया का शिक्षा विभाग अपने आपको यूपी के कानून से नहीं बल्कि बलिया के अलिखित कानून से चलता है। यहां जितना दबंग, उतने दिनों तक एक ही जगह पर जमा रहेगा। किसी अधिकारी की मजाल है जो हटा दे। अगर किसी ने हटा दिया तो छुट्टी पर चले जायेंगे और कुछ दिनों बाद पुन: पुरानी जगह पर कार्य करते हुये दिख जायेंगे। कईकर्मी तो ऐसे है जिनका तबादला हुआ लेकिन वे अभी तक कार्यमुक्त हुये ही नहीं। वे एक ही पटल पर तैनात होकर कुछ वर्षो सेमलाई काट रहे हैं। आलोक सिंह कनिष्ठ सहायक लिपिक को कोई पूछने वाला नहीं है। ऐसा लगता है जैसे शिक्षा मंत्री इनके जेब में हैं 

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