यूपी में दीपावली पर 34 हजार से अधिक राज्य कर्मचारियों का रोका गया वेतन

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संपत्ति का ब्योरा न देने से रोका वेतन

लखनऊ। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी राज्यकर्मियों की संपत्ति का ब्योरा मानव संपदा पोर्टल पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस पर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने संपत्ति का ब्योरा न देने वाले राज्यकर्मियों का वेतन रोकने के आदेश दिए।

राज्य सरकार ने अपने सभी कार्मिकों को अक्टूबर का वेतन दीपावली से पहले ही देने का आदेश तो कर रखा है लेकिन 34,459 राज्यकर्मियों को फिलहाल वेतन नहीं मिल सकेगा। वेतन न मिलने के लिए कोई और नहीं बल्कि संबंधित राज्यकर्मी ही जिम्मेदार हैं। मुख्य सचिव के स्तर से आदेश पर आदेश होने के बावजूद इन राज्यकर्मियों ने अब तक अपनी अच-अचल संपत्ति का वार्षिक ब्योरा मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से नहीं दिया है। संपत्ति न बताने वालों में सर्वाधिक 14 प्रतिशत प्रथम व 10 प्रतिशत द्वितीय श्रेणी के अफसर जहां हैं वहीं तृतीय श्रेणी के लिपिक आदि 3.86 प्रतिशत जबकि सबसे कम 3.13 प्रतिशत चतुर्थ श्रेणी के राज्यकर्मी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रदेश के सभी श्रेणियों के 8,30,613 राज्यकर्मियों को पिछले वर्ष 2023 तक की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा इस वर्ष 31 जनवरी तक स्वतः ही मानव संपदा पोर्टल पर दे देना चाहिए था। गौर करने की बात यह है कि इस संबंध में कार्मिक विभाग के बार-बार आदेश करने के बावजूद अगस्त तक सिर्फ 16 प्रतिशत कार्मिकों ने ही अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया।
गौर करने की बात यह है कि सरकार के कड़े रुख को देखते हुए पहली बार रिकार्ड 7,96,154 (लगभग 96 प्रतिशत) राज्यकर्मियों ने तो अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है लेकिन अब भी 34,459 ने अपनी संपत्ति नहीं बताई है। संपत्ति न बताने पर इस सभी राज्यकर्मियों को दीपावली पर भी वेतन नहीं दिया गया है। कार्मिक विभाग के अधिकारियों का कहना है कि संपत्ति का ब्योरा न देने से संबंधित कार्मिकों का वेतन रोका गया है। अब संपत्ति बताने पर ही इन्हें वेतन मिलेगा। जिनका वेतन रोका गया है उनमें प्रथम श्रेणी के 1,817 व द्वितीय श्रेणी के 4,143 अधिकारी हैं। इनके अलावा तृतीय श्रेणी में आने वाले 22,188 तथा चतुर्थ श्रेणी के 6,311 कर्मी हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में प्रथम श्रेणी के कुल 13,244, द्वितीय श्रेणी के 40,748, तृतीय श्रेणी के 5,75,007 और चतुर्थ श्रेणी के 2,01,614 कर्मी हैं।

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