मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने जन्मदिन तथा विश्व पर्यावरण दिवस पर लगाया हरिशंकरी का पौधा

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26 वर्ष की उम्र में सांसद बनने के बाद 2017 तक रहे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने 50वें जन्मदिन पर कर्मस्थली गोरखपुर में हरिशंकरी का पौधा लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। अपने जन्मदिन के साथ ही विश्व पर्यावरण दिवस पर योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बड़ी भूमिका अदा की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि पौधों को लगाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा भी बेहद जरूरी है। हरिशंकरी में पीपल, पाकड़, बरगद के पौधे संयुक्त रुप से लगाए जाते हैं । इन्हें ब्रह्मा, विष्णु व महेश का स्वरूप माना जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर के गोशाला परिसर में हरिशंकरी का पौधा रोपने के बाद प्रभागीय वन अधिकारी विकास यादव से इसके बारे में जानकारी ली। यादव ने बताया कि यह पौधे अधिक समय तक हरे-भरे रहते हैं और अन्य पौधों की तुलना में आक्सीजन भी अधिक देते हैं। इन्हें पर्यावरण के लिए सर्वाधिक हितकारी माना जाता है।

पांच जून को ही मुख्यमंत्री योगी का जन्मदिन है और इसी दिन विश्व पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने इस बार वन विभाग को पर्यावरण दिवस के अवसर पर जिले की 1294 ग्राम पंचायतों में 3282 हरिशंकरी के पौधे लगाने के निर्देश दिए थे। पंचायतों में लगाए जाने वाले पौधों के सुरक्षा की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होगी। इसके साथ ही साथ यहां पर सभी ग्राम प्रधानों को वर्चुअल कान्फ्र ेंस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दी।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले 1998 से गोरखपुर से लोकसभा के सदस्य रहे। लगातार गोरखपुर में राज करने वाले योगी आदित्यनाथ अब छह वर्ष से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर कार्य कर रहे हैं। योगी के साथ कर्मयोगी योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में लगातार रिकार्ड बनाए और यह सिलसिला अभी भी जारी है।भारत में नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े पीठ गोरक्षपीठ के महंत और देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के इतिहास के पहले महंत हैं जो कि किसी राज्य की सत्ता भी संभाल रहे है। भारतीय जनता पार्टी में पीएम मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हो चुके योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव पंचूर में पांच जून 1972 को जन्मे। आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के पुत्र का नाम अजय सिंह बिष्ट रखा गया।

अजय अपने सात भाई-बहनों में पांचवें स्थान पर हैं। हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय, श्रीनगर से गणित में स्नातक करने के बाद 1993 में गणित से मास्टर्स डिग्री हासिल करने की लालसा में गोरखपुर पहुंचे तो फिर यहीं के होकर रह गए। अजय सिंह बिष्ट अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान जब गोरक्षपीठ के मठाधीश और महंत अवैद्यनाथ से मिले तो वह काफी प्रभावित हुए। उनके मन से सांसरिक मोह-माया दूर हो गई और वह सन्यास धारण के लिए बेताब हो गए। अजय ने बड़े महाराज महंत अवैद्यनाथ के सामने सन्यासी बनने की इच्छा प्रकट की। 15 फरवरी 1994 को बड़े महाराज महंत अवैद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को दीक्षा देकर उन्हें योगी आदित्यनाथ बना दिया। इसके बाद वह गोरखनाथ मंदिर का प्रशासन और गोरक्षपीठ के मठाधीश और महंत अवैद्यनाथ का कार्यभार देखने लगे।

योगी आदित्यनाथ का सियासी सफर 1996 से शुरू हुआ जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में महंत अवैद्यनाथ के चुनाव संचालन का जिम्मा संभाला। उनके चुनाव संचालन से प्रभावित बड़े महाराज जी ने इन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया। 1998 के लोकसभा चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ के नाम का ऐलान भी कर दिया गया। योगी आदित्यनाथ मात्र 26 की उम्र में पहली बार लोकसभा पहुंचे तो फिर पीछे नहीं मुड़े। भाजपा के टिकट पर 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकार्ड बना डाला। इसके बाद से उत्तर प्रदेश की सत्ता की चाभी उनके पास है।

 

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