लाउडस्‍पीकर पर एक्शन में यूपी-मंदिर हो या मस्जिद आवाज धीमी धीमी कर दी गई

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लखनऊ। महाराष्‍ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक चल रहे लाउडस्‍पीकर विवाद के बीच योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतर गए हैं या फिर उनकी आवाज धीमी कर दी गई है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी निर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक बुधवार दोपहर तक प्रदेशभर में करीब छह हजार धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को हटा दिया गया है और 30 हजार जगहों पर तय मानकों के हिसाब से आवाज को कम कर दिया गया है। सरकार ने ऐसी जगहों की भी रिपोर्ट मांगी है जहां अब भी तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं। इस रिपोर्ट को 30 अप्रैल तक जमा कराने के लिए कहा गया है। हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने से शुरू कर दिए हैं या उनकी ध्वनि निर्धारित मानकों के अनुसार कम करनी शुरू कर दी है। इस बीच बुधवार दोपहर तक पूरे प्रदेश में धार्मिक स्थलों से 6,031 लाउडस्पीकर हटाए जा चुके हैं, जबकि 29,674 लाउडस्पीकरों की ध्वनि निर्धारित मानकों के अनुरूप कम करा दी गई है।

धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर उपजे विवाद के बाद उत्तर प्रदेश विशेष सतर्कता बरती जा रही है। लाउडस्पीकर की निर्धारित मानक से तेज आवाज को लेकर शासन का रुख सख्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सभी को धार्मिक स्वतंत्रता है, लेकिन माइक की आवाज धार्मिक परिसर के बाहर नहीं जानी चाहिए। उनके निर्देश के बाद ही गोरखनाथ मंदिर के लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई थी। प्रदेश के कई अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों में भी लाउडस्पीकर की आवाज धीमी कर दी गई है।

बाराबंकी में भाजपा के जिला प्रशिक्षण वर्ग का समापन, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बोले- विपक्षियों के झूठ को बेइस संबंध में की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी शासन तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिये जाने का भी निर्देश है। यह भी कहा गया है कि सभी जगह धर्म गुरुओं से संवाद व समन्वय बनाकर अवैध लाउडस्पीकर को हटवाया जाये और निर्धारित डेसीबल का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। कहा गया है कि कुछ जिलों में इन निर्देशों का अनुपालन हुआ है, जबकि कुछ जिलों में कड़ाई से अनुपालन कराये जाने की आवश्यकता है।

 

 

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