खबर का असर : सपा का ‘गोदी पार्षद’ जीतू यादव की वजह से पारा इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह का हुआ तबादला

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खबर का असर: सपा पार्षद को गोद में बिठाकर जमीन कब्जा कराने वाले पारा इंस्पेक्टर की कुर्सी खिसकी…

प्रापर्टी की जमीनों को विवादित बनाकर सौदेबाजी करता था पार्षद,मोटी रकम लेता था इंस्पेक्टर पारा


  संजय पुरबिया

लखनऊ। राजधानी में जमीनों के मामले में सर्वाधित विवादित पारा क्षेत्र है। यहां पर सही तरीके से जमीन खरीदने वालों के लिये केशरीखेड़ा,आलमबाग से सपा पार्षद जीतू यादव सिरदर्द बना हुआ है। दरअसल,रजिस्ट्री कराने वाले आवंटियों की जमीन को किसी दूसरे के नाम से बेचने और सही जमीनों में विवाद दिखाकर पार्षद बेगुनाह आवंटियों पर दबाव बनाकर लाखों रुपये ऐंठता रहा है। इस घटिया खेल में पारा थाना का इंस्पेक्टर और उनके सहयोगी भरपूर साथ देते चले आ रहे हैं। बहरहाल, एक हफ्ते पूर्व पारा थाना क्षेत्र में जमीन के तीन मामलों में विवाद उत्पन्न करना पार्षद और इंस्पेक्टर दोनों के लिये भारी पड़ गया। द संडे व्यूज़ की पहल पर जमीन के मालिक मय दस्तावेज लेकर डी.सी.पी.-लखनऊ पश्चिम डॉ. एस. चिनप्पा से मिलें और अपनी आपबीती सुनायी। श्री चिनप्पा ने मामले की गंभीरता को समझते हुये जांच एसीपी को सौंप दी। इसी कड़ी में कल पीडि़तों के जांचकर्ता का कॉल आया और जमीन के सारे दस्तावेज मांगे। पीडि़त ने रजिस्ट्री सहित अन्य कागजात सौंप दिये और आज दारोगा जी की कुर्सी हिल गयी। पारा थाने में भी सिपाहियों के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि अब इंस्पेक्टर की कुर्सी ज्यादा दिनों के लिये नहीं है…।

बता दें कि 15 मार्च 2023 को द संडे व्यूज़ ने शीर्षक ‘इंस्पेक्टर पारा के गोद में बैठकर जमीनों पर कब्जा कर रहा सपा पार्षद है जीतू यादव’ खबर प्रकाशित की । खबर का सार कुछ इस तरह से है…

डीजीपी डॅा. डी. एस. चौहान का निर्देश है कि भू-माफियाओं से सभी थानेदार सख्ती से निपटें। पीडि़तों को न्याय मिले और ऐसे अपराधियों को जेल की सलाखों तक पहुंचाये लेकिन राजधानी में ही थानेदार उनके आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं। वे बेखौफ होकर भू-माफियाओं का साथ देकर लाखों रुपये का वारा-न्यारा कर रहे हैं। इतना ही नहीं,यदि जमीनी विवाद लेकर पीडि़त थाना जाता है तो इंस्पेक्टर साहेब ‘फील्ड’ में निकल जाते हैं। वापसी तब होती है जब पीडि़त थक-हार कर वापस लौट जाता है। दूसरी तरफ, भू-माफिया थाने के अंदर बैैठकर पुलिसकर्मियों के साथ ‘चाय की चुस्कियां’ लेकर पीडि़तों पर अपना ‘भौकाल’ कायम कर यह संदेश देने में सफल हो जाता है कि ‘पारा थाना उसकी मुट्ठी में है’…। यहां चाहें इंस्पेक्टर हो या सब-इंस्पेक्टर या फिर चौकी इंचार्ज या अदने सिपाही,सब मेरे इशारों पर नाचेंगे क्योंकि हर विवादित जमीनों में साथ देने पर वो नोटों की हरियाली से थाने में तैनात वर्दीधारियों को मस्त कर देता है।’ बता दें कि इंस्पेक्टर पारा तेज बहादुर सिंह के कारनामों का सिलसिलेवार कॅालम लिखने का उद्देश्य ‘द संडे व्यूज’ का सिर्फ इतना है कि ये ना तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों को मानते हैं और ना ही अपने डीजीपी डी.एस.चौहान की…।

पारा थाना में पडऩे वाले अधिसंख्य जमीनों पर यहां पर केशरीखेड़ा-आलमबाग से सपा पार्षद देवेन्द्र सिंह यादव उर्फ जीतू यादव थाने की मिलीभगत से विवाद पैदा करा देता है। जब जमीन मालिक अपने प्लाट पर निर्माण कार्य कराने जाता है तो जीतू यादव अपने एक दर्जन गुंड़ों को वहां भेजकर धमकी दिलाता है कि ‘जमीन जीतू यादव का है…निर्माण कार्य कराओगे तो ध्वस्त कर देंगे…।’ उसके बाद कुछ ही देर में पारा थाने की ‘जांबाज’ चौकी इंचार्ज,सिपाही ‘धम्म’ से वहां पहुंच जाते हैं…। इनका जवाब होता है कि किसी ने 102 नंबर पर डॉयल कर दिया है इसलिये हमलोगों को निर्माण कार्य रोकने के लिये आना पड़ा…। हकीकत यह है कि भू-माफिया जीतू यादव थाने में ही बैैठकर 102 नंबर पर डॉयल कराता है और वहां से पारा थाने में मौके पर जाने का संदेश वायरल होता है और पहले से तैयार पुलिसकमर्ती ‘स्पाईडरमैन’ की रफ्तार से मौके पर पहुंचकर जमीन के सही मालिक को निर्माण कार्य रोकने का हुड़की देते हैं

भू-माफिया का मकसद सिर्फ इतना होता है कि विवादों से बचने के लिये जमीन का असली मालिक मुंहमागी कीमत अदा कर दे लेकिन इस बार सपा के भू-माफिया का दांव उल्टा पडऩे वाला है। एक नहीं तीन जमीन मालिकों ने इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह का ‘दुलारा’,सपा पार्षद-भूमाफिया जीतू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पारा थाने पहुंचे। यहां से कार्रवाई ना होने पर सभी डी.सी.पी.-लखनऊ पश्चिम डॉ. एस. चिनप्पा को अपनी आपबीती सुनायी। श्री चिनप्पा ने जांच एसीपी को सौंप दी है।


मामला पारा थानाक्षेत्र का है। रंजना मिश्रा के परिजनों ने पार्षद जीतू यादव के खिलाफ पारा थाने में एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे लेकिन इंस्पेक्टर पारा वहां से निकल गये। रंजना मिश्रा के शिकायती में लिखा है कि मैंने कविता से मिनी सिचुएटेड,पारा वार्ड नंबर आलमनगर में एक हजार स्क्वायर फीट प्लॉट खसरा नंबर 1633 जमीन क्रय किया है। मेरे परिजन 13 मार्च को जब अपनी जमीन पर नींव डालने के लिये मजदूरों के साथ पहुंचे तो समाजवादी पार्टी से केशरीखेड़ा,आलमबाग के पार्षद देवेन्द्र सिंह उर्फ जीतू यादव ने अपने मोबाईल नंबर 7607565555 से धमकी दी कि यदि उक्त प्लाट पर निर्माण कार्य कराओगे तो उसे ध्वस्त कर दिया जायेगा। जिसकी वजह से दो दिन से निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है। पार्षद और उसके गुंड़ों ने मौके पर आकर ठेकेदार और मजदूरों को डरा-धमकाकर काम रूकवा दे रहे हैं। जबकि उक्त प्लॅाट की रजिस्ट्री एवं दाखिल-खारिज मेरे नाम से है। इसलिये आपसे उम्मीद करती हूं कि उक्त प्लाट का निर्माण कार्य सुचारू ढंग से चले और धमकीबाज पार्षद देवेन्द्र सिंह यादव उर्फ जीतू के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कर सख्त कार्रवाई करें।

बहरहाल रंजना मिश्रा के परिजन पारा थाने पर दो घंटे तक खड़े रहें लेकिन इंस्पेक्टर पारा तेज बहादुर सिंह नजर नहीं आये। थाने पर तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि पीडि़त के जाने के बाद इंस्पेक्टर साहेब आ गये थे और थाना परिसर में ही किनारे बने झोपड़ी में छिपा भू-माफिया जीतू यादव भी आकर इंस्पेक्टर के कमरे में पंखे की ठंड़ी हवा खाने लगा। इसमें कोई संदेह नहीं की इंस्पेक्टर ने भू-माफिया, सपा पार्षद जीतू यादव पर अपना वरदहस्त रखा है और वो जमकर जमीन मालिकों को अपना शिकार बना रहा है। देखना है कि इस मामले में क्या होता है…

 

 

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