प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर बड़ा खुलासा : प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक,सीएम चन्नी बोल रहें झूठ …

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     अक्षत श्री.
लखनऊ। विपक्ष वाले एक तरफ चिल्ला रहे हैं की सुरक्षा में चूक हुयी है और दूसरी तरफ कह रहे हैं कि इस घटना का प्रचार किया जा रहा…। इस मुद्दे की गंभीरता समझने में थोड़े से असफल रहे है आपलोग…। मैं बताता हूंएसपीजी’ यानी (स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप) 2019 के बाद से प्रधानमंत्री की सुरक्षा पाने वाले एक मात्र व्यक्ति रह गये है। अब बात करे पंजाब की तो प्रधानमंत्री का प्रोटोकॉल समझने की ज़रूरत है। प्रोटोकॉल समझने के लिये ‘एसपीजी’ की (ब्लू बुक) पर  नजऱ डालना पड़ेगा, उसके अनुसार प्रधानमंत्री के सुरक्षा घेरे में ‘एसपीजी’,आईबी,‘स्टेट पोलिस’ के ऑफिसर रहते हैं। प्रधानमंत्री के आने पर हर एक छोटी से छोटी जानकारी व बारीकियों पर इन सभी ऑफिसरों द्वारा एक मीटिंग में विचार-विमर्श कर (एडवांस सिक्योरिटी लायसन) एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। प्रधानमंत्री पहले हवाई मार्ग से जा रहे थे जिसके लिये ‘एएसएल’ रिपोर्ट के अनुसार व्यवस्थाएं थीं, मगर खराब मौसम के चलते उन्हें सडक़ मार्ग से जाना पड़ा। जहां पर सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुयी। पंजाब के मुख्यमंत्री कह रहे की हमें कुछ पता नहीं था जबकि ‘एएसएल’ रिपोर्ट में बैकअप प्लान भी मौजूद रहता है, क्योंकि मौसम को दुर्भाग्यवश कोई सरकार आज तक काबू में नहीं कर पायी है, तो चन्नी साहब का यह बहाना कि ‘हमें कुछ नही पता था तो बेबुनियाद हो गया रुपहला झूठ’…।

दूसरी बात आती है की गलती किसकी थी ? कई महानुभावों ने कहा कि ‘एसपीजी’ की गलती है। समझने की जरूरत है कि ‘एसपीजी’ प्रधानमंत्री के साथ रहती है,पंजाब की सडक़ों पर नही घूमती है। जब प्रधानमंत्री किसी राज्य में जाते हैं तो वहा पर मार्ग तय करना, मार्ग पर पुलिस लगाना, जानकारी जुटाने, भीड़ प्रबंधन, मार्ग को खाली रखना, और मार्ग की साफ-सफाई की जि़म्मेदारी राज्य पुलिस की होती है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी किसी भी खतरे के बारे में ज्ञात कराती है और ‘एसपीजी’ तब तक कोई कदम नहीं उठाती, जब तक राज्य पुलिस उन्हें हरी झंडी ना दे दे…। मतलब राज्य पुलिस ने पूरा रूट चेक किया और फिर ‘एसपीजी’ को कहा की व्यवथा एकदम चौकस है, तभी प्रधानमंत्री का काफि ला आगे बढ़ा। स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी थी रूट क्लियर करना,स्नाइपर्स लगाना जिसमे वह असफल रही…। अब आप ही लोग मुझे बतायें कि फ्लाई ओवर किसी गली से कनेक्टेड तो है नहीं की आदमी रोड क्रॉस कर धरना देने लगेगा! साफ – साफ पता चलता है की पुलिस फ्लाईओवर की एंट्री और एग्जिट कवर करने में नाकामयाब रही…। वीवीआईपी जब निकलते हैं तो प्रोटेस्ट एक आम समस्या आ सकती है, खबरियों को पता रहता है की कब कहां धरना-प्रदर्शन होगा। बस भर के लोग एक पल में नहीं आते और ना ही आसमान से टपकते हैं ? कुछ उपद्रवियों को पुलिस एडवांस में गिरफ्तार कर लेती जिन पर शक होता है की वह दंगा भडक़ा सकते हैं। एसपीजी को दोष देना दूसरा झूठ…।

बता दें कि  1,4,5 जनवरी को पंजाब के पुलिस अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय व अन्य ऑफिसरों को तीन अलग- अलग पत्र जारी किए गए थे। इन तीनों पत्र में साफ साफ लिखा है की फिरोजपुर इलाके में धरना – -प्रदर्शन होने की संभावनाएं है व मौसम खराब होने की भी संभावनाएं है अथवा ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी कर ली जाए। इसके बावजूद ऐसी चूक होना क्या सही है ? प्रधानमंत्री का काफिला जिस फ्लाईओवर पर 20 मिनटों तक खड़ा था, वहा से पाकिस्तान बॉर्डर नज़दीक था,अगर पाकिस्तान मोर्टार या मिसाइल छोर देता तो ? बात सोचने वाली है।

अब बताओ भाई, अगर तुम क्लास टीचर हो, तुमने बच्चों की टेस्ट कॉपी चेक करने में गलती कर दी, तो क्या तुम्हारी गलती नही है ? अगर तुम्हारी क्लास में लड़ाई- झगड़ा हो गया तो क्या तुम जिम्मेदार नहीं होगे? अगर उन 20 मिनटों में प्रधानमंत्री किसी आतंकी हमले का शिकार हो जाते तो दुनिया भर में क्या संदेश जाता? क्या तब भी तुम एंटी मोदी बन कर बकवाास करते। पंजाब पाकिस्तान के बॉर्डर से सटा हुआ है और हम सब जानते है और देख चुके हैं किसान आंदोलन में कि खालिस्तानी संगठन कितने मज़बूत हो चुके हैं ? यहां पर बात नरेंद्र मोदी की नहीं, ‘भारत के प्रधानमंत्री’ की है…। वेस्ट बंगाल के वाक्यों पर मैं कुछ नही बोलूंगा क्योंकि आप अगर ये बात बोल रहे है सिर्फ चुनावी नजरिये को लेकर, तो मैं पूछता हूं चुनाव जीतने के बाद वेस्ट बंगाल में क्या हुआ ? यह पढ़ा आपने ? शायद नहीं। अपनी सोच को थोड़ा ऊंचा उठाइये, जिस दिन से देश के लिये सोचने लगेंगे तब से ‘बबुआ’ और ‘परिवारवाद’ पार्टी से ऊपर उठ जायेंगे और तब समझ आयेगा की असली मुद्दा क्या है और कितने गंभीर हैं…। और भाई चुनाव से पहले होने वाली हर घटना जरूरी नहीं है की ‘वोट बैंक’ के लिये की जाये ?

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