लखनऊ ।मंच पर हिंदी सिनेमा के तकरीबन सारे दिग्गज मौजूद। माइक यश चोपड़ा के हाथ में और सामने लता मंगेशकर। यश चोपड़ा बोले, ‘हम खुशनसीब हैं कि ऐसे युग में जी रहे है जिस युग में लता मंगेशकर गाने गा रही हैं। 60 साल की उम्र में उनकी आवाज में 16 साल की किशोरी जैसी खनक है।’ यह मौका था यश चोपड़ा की फिल्म ‘चांदनी’ की कामयाबी के जश्न का। इस समारोह में दिलीप कुमार से ट्रॉफी लेने से पहले लता मंगेशकर ने मंच पर ही उनके पैर भी छुए। और, यही वो लम्हा था जिसने संगीत के एक साधक को साधना का प्रतिमूर्ति बना दिया। करियर के शुरुआती दौर में इन्हीं दिलीप कुमार ने एक दिन लोकल ट्रेन में सफर करते समय साथ बैठे संगीतकार अनिल बिस्वास से उनकी बगल में बैठी लड़की का नाम पूछा और कटाक्ष किया कि क्या इसे उर्दू के लफ्ज़ों का उच्चारण भी ठीक से आता होगा। बात लता के दिल को लग गई और न सिर्फ उन्होंने एक मास्टर रखकर उर्दू सीखी बल्कि अपने हर गाने को गाने से पहले वह गीतकार से उसे पढ़कर कहने को सुनातीं और हर शब्द के उच्चारण को कंठस्थ कर लेतीं। एस डी बर्मन तो यहां तक कहते, ‘मुझे एक हारमोनियम और लता ला दो, मैं संगीत रच दूंगा।’ लेकिन, अब कोई संगीतकार ऐसा कभी नहीं कह पाएगा। सुरों की सरिता बहाने वाली स्वरगंगा लता मंगेशकर रविवार की सुबह सागर से जा मिलीं।
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