नई दिल्ली। कादर खान हिंदी सिनेमा के वो अभिनेता थे, जो पर्दे पर किसी भी रूप में आ जाए अपने दर्शकों का दिल जीत ही लेते थे। उन्होंने अपने करियर में अलग-अलग तरह के किरदार निभाए। गोविंदा हो या सलमान खान या फिर शाह रुख खान जिनके साथ भी वो स्क्रीन पर दिखे, उसके साथ उनकी जोड़ी परफेक्ट फिट बैठी।
आज के दौर में भले ही इंडस्ट्री में एंट्री करने के लिए कई रास्ते खुल गए हों, लेकिन ‘जोड़ी नंबर 1’ एक्टर को अपने समय में काफी संघर्ष करना पड़ा था। खुद एक पुराने इंटरव्यू में कादर खान ने बताया था कि किस टास्क को पूरा करने के लिए उन्होंने फुटबॉल की मार भी सहन की थी।कादर खान ने अपने पूरे फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। हालांकि, वह भी थिएटर आर्टिस्ट रहे थे। बॉलीवुड में उनकी एंट्री बतौर एक्टर नहीं, बल्कि डायलॉग राइटर के तौर पर हुई थी। लहरे रेट्रो को दिए एक बहुत पुराने इंटरव्यू में कादर खान ने बताया था कि कैसे उन्हें बॉलीवुड में एंट्री मिली।
उन्होंने कहा, “23-24 साल पहले मेरा एक ड्रामा बहुत फेमस हुआ था ‘लोकल ट्रेन’, जिसमें मुझे बेस्ट राइटर-एक्टर और डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था। मुझे बैक स्टेज एक डायरेक्टर मिले थे मिस्टर नरेंद्र बेदी, उन्होंने मुझसे कहा कि मैं एक फिल्म बना रहा हूं ‘ जवानी-दीवानी‘, जिसमें रणधीर कपूर-जया बच्चन थे।उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चाहता हूं आप इस फिल्म के डायलॉग लिखिए। पहले तो मैंने उन्हें मना किया, लेकिन बाद में उन्होंने काफी बोला तो मैं मान गया”।
संघर्ष के दिनों के इस मजेदार किस्से को आगे बढ़ाते हुए कादर खान ने कहा, “3 घंटे में डायलॉग्स लिखने के बाद जब मैं मरीन ड्राइव से बांद्रा उनके ऑफिस में पहुंचा तो वो मुझे देखकर हैरान हो गए, उन्होंने सोचा पागल आदमी फिर काम पूछने आ गया। मैं गया मैंने बोला कि डायलॉग लिख लिए हैं मैंने पूरे। वो हैरान हुए उन्होंने मुझे बोला कि कभी तीन घंटे में ऐसा हुआ नहीं है।
मैंने जब उन्हें दिखाया, तो उन्होंने जिस तरह से मुझे दाद दी, सीने से लगाया, वो मेरी जिंदगी की राह बन गया, जिसकी वजह से आज मैं यहां पर खड़ा हूं । अगर वो उस वक्त मुझे ठुकरा देते तो वहीं से मेरी एग्जिट हो जाती।