वो इकलौता (धर्मवीर) है, जो बिन धर्म,जाती,रंग जाने सलाखों के उस पार बंद हर एक को अपना परिवार बुलाता है …

0
1600

अक्षत श्री. की स्वरचित कविता

है कुछ ऐसे लोग जो इस दुनिया में तो हैं, मगर अपनी ही दुनिया (परिवार) से दूर हैं
है कुछ ऐसे लोग जो जी तो रहे हैं, मगर अपने मन ही मन में मर रहे हैं…
है कुछ ऐसे लोग जो बदलना तो चाहते हैं, मगर हालातों के आगे मजबूर हैं
है कुछ ऐसे लोग जो हर उगते सूरज के साथ, अपनी उम्र ढलने का इंतजार कर रहे हैं…
दुनिया का सबसे मुश्किल इम्तिहान होता है इनके चेहरे पर मुस्कराहट लाना..
लगभग नामुमकिन सा होता है उस मुस्कान के साथ आँखों में आंसू लाना…
लेकिन है एक ऐसा वीर जो बिना किसी पहचान के इन्हें पल भर में रुलाता है ..
न जाने क्या हुनर है उसमे की जिसके लिये जीना है इनको,अपने शब्दों से उस परिवार का एहसास कराता है…
है कोई ऐसा भी जो इनके अंदर सुधार की दफ न हो चुकी उम्मीदों को दोबारा जगाता है ..
इन खोए -भटके कैदियों को सूर्य की किरण बन, एक बेहतर कल की राह दिखाता है…
यूं तो कई सितारे हैं आसमान में, मगर वो एक ऐसा सितारा है, जो अलग से टिमटिमाता नजर आता है ..
उसके जैसा कोई और कहां वो इकलौता (धर्मवीर) है, जो बिन धर्म, जाती, रंग जाने सलाखों के उस पार बंद हर एक को अपना परिवार बुलाता है …

 

राजनीति में एक ऐसे माननीय,जिन्होंने ‘सत्ता की कुर्सी‘ की परिभाषा ही बदल दी…। ‘सत्ता का सुख’ भोगने के बजाये उन्होंने ‘वैरागियों’ की तरह ‘भटकों को राह‘ दिखाने और ‘इंसानियत का पाठ’ पढ़ाकर उन्हें ‘सुधारने’ का संकल्प ले लिया हो…। भाजपा सरकार में कारागार और होमगार्ड राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति ने जिस तरह कम समय में जेलों के सलाखों में बंद कैदियों की ‘मानसिकता को बदलने‘ का काम किया है,उसके लिये ‘प्रशंसा’ के शब्द कमतर पड़ गये हैं…। दीपावली में सभी अपने घरों में जाकर परिजनों के साथ खुशियां मना रहे थे, वहीं मंत्री धर्मवीर प्रजापति आगरा की जेल में कैदियों को मिठाई बांटकर संवाद कर रहे थे। कल तो मथुरा जेल में उन्होंने जब कैदियों संग संवाद किया तो मानों सालों से सलाखों में बंद कैदियों के ‘दिलों का उफान उमड़ पड़ा। मंत्री से लिपट कर फफक-फफक कर कैदी रोने लगे…। वहां मौजूद जेल के अधिकारियों के साथ-साथ माननीय के साथ गये लोगों के आंखों से आंसू निकलने लगे।

भले ही कैदी रो रहे थे लेकिन उनके दिलों में पाश्चाताप का अहसास कराने वाले माननीय धर्मवीर प्रजापति को द संडे व्यूज़ परिवार सैल्यूट करता हैकहने को तो ये हैं तो माननीय लेकिन हमलोग उन्हें क्या नाम दें संत,धर्मात्मा या फिर इंसानी रुप में फरिश्ता…।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here