होमगार्ड विभाग: सरकार !आखिर कमांडेंट बी के सिंह के खिलाफ दो मामलों में जांच की रफ्तार सुस्त क्यों हो गयी ?

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    शेखर यादव इटावा। उत्तर प्रदेश का होमगार्ड विभाग भ्रष्टाचार और अपनी घटिया कार्यशैली की वजह से छाया हुआ है। विभागीय मंत्री और डीजी की सख्ती के बावजूद इस विभाग के अफसर लूट-खसोट करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मुख्य सचिव के यहां फर्जी होमगार्डों की डयूटी लगाकर लगभग 4 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार करने वाले बीओ सुरेश कुमार सिंह पर गैंगेस्टर एक्ट और अपराध से कमायी गयी संपत्तियों को जब्त करने के लिये पुलिस कमिश्नर को पत्र भेज दिया है। वहीं इस विभाग को शर्मसार करने वाले प्रमोटी कमंाडेंट बी.के.सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों की रफ्तार सुस्त पड़ गयी है। कमांडेंट बी.के.सिंह ने 302 के अभियुक्त होमगार्ड को पैसा लेकर बहाल कर दिया। इस गंभीर मुदद्े का द संडे व्यूज़ ने प्रमुखता के साथ खुलासा किया और डीजी बी.के.मौर्या ने जांच बिठा दी। बी.के.सिंह की जांच प्रभावित होने की प्रबंल संभावना बनती दिख रही है। अभी तक डीजी को जांच रिपोर्ट क्यों नहीं भेजी गयी? विभाग के अधिकारियों की मानें तो जांच पर आंच आ रही है और दूसरी तरफ कमांडेंट बी.के.मौर्या अपने बचाव के लिये मुख्यालय के अधिकारियों के यहां चक्कर काट रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार में शासनादेश जारी करने वाले ‘नौकरशाहों’ के ‘पॉवर‘ को किस तरह अफसर ध्वस्त करते हैं इसकी बानगी होमगार्ड विभाग में देखने को मिल रहा है। एक मासूम का अपहरण कर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी रे.नं. 1228 ओमप्रकाश यादव को मिर्जापुर के कमांडेंट बी.के.सिंह ने बहाल कर दिया है। सोनभद्र में विवादित जमीन पर कब्जा करने का विरोध करने पर गांव में रहने वाले विरोधियों ने 6 अप्रैल 2023 को सोनभद्र के रहने वाले मंगलपाल के एकलौते पुत्र अनुराग पाल उम्र (9 वर्ष)का अपहरण कर निर्मम हत्या कर देते हैं। पुलिस ने 9 लोगों को अभियुक्त बनाया जिसमें होमगार्ड ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व. जीवनाथ यादव निवासी मिर्जापुर भी शामिल है। पुलिस ने सभी अभियुक्तों पर धारा 364,302,201,120 बी,34 भादवि आरोप पत्र 56-2023 लगाकर न्यायालय में रिपोर्ट भेज दिया। यानि, चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है। ओमप्रकाश यादव जमानत पर रिहा है और उसे 29 सितंबर को प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह ने बहाल कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि होमगार्ड विभाग के ही (एसीएस) अपर प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने जारी शासनादेश में लिखा है कि आपराधिक मामले में 7 वर्ष से अधिक सजा में शामिल होने पर विभाग से अलग किये गये होमगार्ड स्वयंसेवक,अवैतनिक अधिकारी को बहाल नहीं किया जायेगा। सब कुछ जानने के बाद भी कमांडेंट बी.के.सिंह ने एक मासूम के हत्यारे को क्यों और किस नियत से बहाल किया,इसका जवाब तो शासन ही पूछे लेकिन द संडे व्यूज़ की तहकीकात में जो बातें उभर कर सामने आ रही है,उस पर सवाल तो बनता ही है…। कमांडेंट का शातिराना खेल देखिये... 6 जून 2023 को कमांडेंट बी.के.सिंह ने ओमप्रकाश यादव को विभाग से निलंबित कर दिया ताकि विभाग में हीरो बन जाये…फिर 12 सितंबर 2023 को कमांडेट द्वारा एक और पत्र जारी किया जाता है…जिसमें उन्होंने निर्देशित किया है कि ओमप्रकाश यादव ने उच्च न्यायालय का आदेश दिखाया, जिस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुये न्यायालय के आदेश के अधीन इस शर्त के साथ बहाल किया जाता है कि न्यायालय द्वारा जो अंतिम निर्णय लिया जायेगा,वही मान्य होगा…। कमांडेंट साहेब, क्यों आप न्यायालय और विभाग के मुखिया एसीएस अनिल कुमार को गुमराह करने का काम कर रहे हैं ? जब पुलिस ने अनुराग पाल की अपरहण कर हत्या के मामले में होमगार्ड ओमप्रकाश यादव पर गंभीर धाराएं लगाकर अभियुक्त बनाया और चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी है तो फिर आप कौन होते हैं ‘सहानुभूतिपूर्वक’ विचार करने वाले ? एसीएस ने शासनादेश में लिखा है कि सात वर्ष से अधिक सजा पाने वाले जवान बहाल नहीं होंगे तो आपने मासूम के हत्यारे को कैसे बहाल कर दिया ? कहीं ऐसा तो नहीं कि उस अपराधी से बहाल होने के एवज में आपको मुंहमांगी…मिल गयी है ? बात जो भी हो,सभी जानते हैं कि इस विभाग में नियमों को तार-तार करने वाले तमाम अधिकारी बैठे हैं,जिन्हें मुंह खोलने की कीमत अदा कर हर वो काम कराया जा सकता है,जिसके बारे में सोच कर अच्छे-अच्छों को पसीना छूट जाये। देखना है कि मासूम के हत्यारे को बहाल करने वाले कमांडेंट बी.के.सिंह के खिलाफ कार्रवाई होती है या फिर चर्चित मनीष दूबे कांड़ की तरह इस केस पर भी विभाग के आका दयावान बन जाते हैं…।मिर्जापुर में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि इस हत्याकांड़ की जानकारी होने पर जिला कमांडेंट बी.के.सिंह ने 6 जून को पत्रांक संख्या 1055 से आदेश जारी किया कि अभियुक्त ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व. जीवनाथ यादव के खिलाफ थाना घोरावल जनपद सोनभद्र में अभियोग पंजीकृत किये गये है। आपराधिक मामलों में अभियोग पंजीकृत होने के बाद जेल में निरुद्ध होने पर तत्काल ओमप्रकाश यादव को निलंबित किया जाता है। बताया जाता है कि निलंबित होने के बाद अभियुक्त ओमप्रकाश यादव ने कमांडेंट बी.के.सिंह से संपर्क साधा। बताया जाता है कि कमंाडेंट की डिमांड को ओमप्रकाश यादव ने पूरा कर दिया, उसके बाद 23 सितंबर को कमांडेंट बी.के.सिंह एक और पत्र जारी करते हैं। पत्रांक संख्या1645 में उन्होंने लिखा है कि पुलिस अधीक्षक मीरजापुर के पत्र के आधार पर अभियुक्त ओमप्रकाश यादव से स्पष्टïीकरण मांगी गयी थी,उसके द्वारा प्रत्युत्तर ना देने पर कंपनी प्रभारी बीओ व अवैतनिक प्लाटून कमांडर रमेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर ओमप्रकाश यादव को निलंबित कर दिया गया था। आगे कमांडेंट साहेब ने लिखा है कि ओमप्रकाश यादव द्वारा 11 सितंबर को अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र के माध्यम से उच्च न्यायालय के आदेश 17 जुलाई 2023 उपलब्ध कराया गया,पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुये श्री यादव को उच्च न्यायालय के आदेश के अधीन कर शर्त के साथ बहाल किया जाता है कि न्यायालय के द्वारा जो भी अंतिम निर्णय,आदेश पारित किये जायेंगे,वह मान्य होगा। उस समय विधि सम्मत कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। कमांडेंट के निर्देश पर तत्काल विभागीय कर्मचारियों ने अभियुक्त होमगार्ड ओमप्रकाश यादव रेजीमेंट आई.डी. 5597021228 से 112 डॉयल दो पहिया वाहन चालक , पुलिस लाईन मीरजापुर में 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक यानि एक माह के लिये तैनात कर दिया। मासूम का हत्यारा होमगार्ड ओमप्रकाश यादव सीना ठोंकर कर नौकरी करने लगा। उधर, कमांडेंट बी.के. सिंह के इस अपत्याशित फैैसले ने पूरे मीरजापुर में तहलका मचा दिया। चर्चा है कि अभियुक्त ओमप्रकाश यादव ने दो लाख रुपये में वर्दीधारी अधिकारी को खरीद लिया है। इस बात की पुष्टि ‘द संडे व्यूज़’ नहीं कर रहा है। सवाल है कि आखिर एक प्रमोटी कमांडेंट ने शासनादेश के खिलाफ क्यों गया ? बी.के.सिंह कमांडेंट हैं,इसलिये ये भी नहीं कहा जा सकता कि उन्हें शासनादेश की जानकारी नहीं थी। सवाल यह है कि कमांडेंट ने एक ऐसे अपराधी के हांथो बिक गया,जो एक मां-बाप के इकलौते बेटे की निर्मम हत्या में शामिल था…। सोचिये,किस तरह हत्यारों ने 9 वर्ष के बच्चे को तड़पा-तड़पा कर मारा होगा…। कमांडेंट बी.के.सिंह ने ये भी नहीं सोचा कि मासूम के हत्यारे से ली गयी रकम वो हजम कर पायेगा…। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह ने अपराधी को बहाल करने के एवज में कुछ ना कुछ लिया जरुर होगा…क्योंकि शासन के आदेश की धज्ज्यिां कोई मुफ्त में नहीं तोडऩे की जुर्रत करता है। बात जो भी हो,देखना है कि मासूम के हत्यारे पर मेहरबानी कर वर्दी को कलंकित करने वाले प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर अफसरान वर्दी पर लगे धब्बे को धोने का काम करते हैं या फिर मनीष दूबे की तरह…। मजे की बात तो यह है कि डी.जी. बी. के. मौर्या ने हफ्तों पहले कमांडेंट बी.के.सिंह प्रकरण की जांच मिरजापुर के मंडलीय कमांडेंट सुधाकराचार्य पाण्डेय को दिया लेकिन अभी तक उन्होंने जांच ही शुरु नहीं की। सुधाकराचार्य पाण्डेय से जब पूछा गया कि 302 के अभियुक्त की बहाली मामले में कमांडेंट के खिलाफ जांच पूरी हो गयी,इस पर उनका जवाब रहा कि जब जांच शुरु करुं गा तभी बता पाऊंगा। अभी तो मैंने जांच ही शुरू नहीं की है। चुनाव ड्यूटी में चला गया था,उसके बाद तबीयत खराब हो गयी थी। खास बात यह है कि इतने गंभीर मामले में वो भी जब डीजी जांच करा रहे हैं तो मंडल ने इतना समय क्यों लिया? विभाग में सुगबुगाहट है कि मामले को लंबा खिंचकर दबा दिया जायेगा।

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