गर्भगृह में होंगे मोदी और योगी, बाहर फिजाओं में दिखेगी दोनों की खूबसूरत बांडिंग

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भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही तय होगी 2024 की जीत की राह…    संजय पुरबिया अयोध्या। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिये रूपरेखा तय हो गयी है। 22 जनवरी को मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा, लेकिन 15 जनवरी से ही पूजा- पाठ और अनुष्ठान जैसे कार्यक्रम शुरू हो जायेंगे। प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को दोपहर 12:15 से लेकर 12:45 के बीच में संपन्न होगा। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राम मंदिर के गर्भ गृह में केवल पांच लोग ही मौजूद रहेंगे, जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो मुख्य यजमान होंगे, संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति को विराजमान करायेंगे और फिर भगवान की आंख की पट्टी खोलकर उन्हें आईना दिखायेंगे। इसके बाद पीएम मोदी भगवान श्रीराम को सोने के सिक्के से काजल लगायेंगे। पीएम मोदी के द्वारा ही रामलला की महाआरती संपन्न की जायेगी। रामलला की आरती में भी मुख्य यजमान प्रधानमंत्री सहित गर्भ गृह में रहने वाले यही पांच लोग शिरकत करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भ गृह में मौजूद रहने वाले पांच लोगों के जरिये पांच बड़े सियासी संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच जो खूबसूरत बांडिंग दिखेगा उसका सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा क्योंकि हिन्दुत्व और जै श्रीराम की गूंज से पूरा प्रदेश जयकारा करने लगेगा…।
राम मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान होंगे, जिसका सीधा संदेश है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का सपना साकार के पीछे उनकी अहम् भूमिका रही है। सुप्रीम कोर्ट से भले ही राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया हो, लेकिन बीजेपी नेता इसका श्रेय पीएम मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देते रहे हैं। नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो रामलला के दर्शन किये। 5 अगस्त 2020 को रामजन्मभूमि पर भूमिपूजन करके राम मंदिर की बुनियाद रखी थी और अब प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य यजमान की भूमिका अदा करेंगे। इस तरह राम मंदिर की स्थापना से लेकर रामलला को विराजमान करने तक की अगुवाई पीएम मोदी ने किया। इससे यह संदेश देना है कि पीएम मोदी जो कहते हैं यानि हिंदुत्व की पृष्ठभूमि में कहते हैं, उसे करके दिखाते हैं…। राम मंदिर का उद्घाटन हिंदुओं के लिये कोई साधारण घटना नहीं है। करीब पांच सौ सालों से अयोध्या में भव्य राममंदिर का सपना लोग देख रहे थे, जो अब जाकर साकार हुआ है। इसकी अपनी धार्मिक महत्व है तो सियासी मायने भी हैं। पीएम मोदी की छवि हिंदूवादी नेता के तौर पर और भी मजबूत होगी। अडवाणी, अटल वाली बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर बनने की मुहिम को आगे बढ़ाया, लेकिन उसे अपने मुकाम तक पहुंचाने का काम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने मिलकर किया। इसका श्रेय हमेशा से मोदी और योगी के हिस्से में जायेगा। पीएम मोदी राम मंदिर के गर्भ गृह होने से हिंदुत्व पॉलिटिक्स के लिये एक टर्निंग पॉइंटहै, जिसका सियासी लाभ बीजेपी 2024 के चुनाव में उठाना चाहेगी। यही वजह है कि बीजेपी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को हर गांव में आयोजित करने के साथ-साथ लोगों को अयोध्या दर्शन कराकर राम मंदिर की भव्यता के अनुभव भी लोगों से साझा करायेगी। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान राम मंदिर के गर्भ गृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे, जिसके अपने सियासी और सामाजिक मायने हैं। राम मंदिर निर्माण को इस मुकाम तक पहुंचाने में संघ का बड़ा योगदान रहा। आरएसएस के प्रमुख रहे बाला साहेब देवरस के दौर में बाबरी मस्जिद के खिलाफ राम मंदिर आंदोलन चलाने की पहल मानी जाती है। बताया जाता है कि 1980 में देवरस ने प्रचारकों से कहा था कि आपको राम मंदिर के मुद्दे पर प्रदर्शन तभी शुरू करना चाहिये, जब आप इस लड़ाई को अगले तीन दशक तक लडऩे के लिये तैयार हों। ये आपके धैर्य की परीक्षा की लड़ाई होगी, जो इस लड़ाई में पूरे धैर्य के साथ अंत तक लड़ता रहेगा, जीत उसी की होगी। संघ से जुड़े विश्व हिंदू परिषद ने ही राम मंदिर को लेकर देश भर में आंदोलन चलाया। विश्व हिंदू परिषद के मंच से 1983 में मथुरा, काशी और अयोध्या में मंदिर को तोड़कर बनायी गयी मस्जिदों को हटाने का नारा बुलंद किया गया। राम मंदिर के घर-घर जाकर अभियान चलाने और अयोध्या में कारसेवा करने तक में संघ के लोगों की भूमिका अहम् रही थी। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने के बाद सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि आनंद का क्षण है, बहुत प्रकार से आनंद है। संघ ने एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है कि तब के हमारे सर संघचालक रहे बाला साहेब देवरस जी ने ये बात कदम आगे बढ़ाने से पहले याद दिलायी थी कि बहुत लगकर काम करना पड़ेगा, तब कभी ये काम होगा। हमें संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है। ऐसे में अब रामलला विराजमान हो रहे हैं तो संघ प्रमुख मोहन भागवत की गर्भ गृह में मौजूदगी से इस बात का संदेश है कि राम मंदिर के सपने को साकार करने में संघ की भूमिका कितनी अहम् रही है। 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम मोदी और मोहन भागवत के साथ आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहेंगी। आनंदी बेन पटेल भले ही यूपी के गवर्नर के तौर पर उनकी उपस्थिति हो, लेकिन वो राज्यपाल के साथ- साथ एक महिला भी हैं। इस तरह गर्भ गृह में मौजूद रहने वाले पांच लोगों में आनंदीबेन पटेल एकलौती महिला हैं, जिसके जरिये आधी आबादी को सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है। वहां पर राज्यपाल के साथ- साथ महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व करेंगी। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से महिलाओं को साधने की कोशिश है, क्योंकि उनका वोटिंग पैटर्न बदल रहा है। बीजेपी के जीत में महिला वोटर की भूमिका काफी अहम् रही है। अब आयोध्या में पांच सौ साल के बाद राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है,रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो रहे हैं तो महिला प्रतिनिधित्व का होना एक बड़ा संदेश है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान गर्भ गृह में पीएम मोदी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। योगी आदित्यनाथ को भले ही प्रोटोकॉल के तहत उत्तर प्रदेश के सीएम के रूप में गर्भ गृह में रहने की मंजूरी मिली हो, लेकिन उसके सियासी मायने भी हैं। पीएम मोदी के साथ सीएम योगी के साथ गर्भ.गृह में होने का एक सीधा संदेश दोनों नेताओं के बीच बेहतर तालमेल और केमिस्ट्री बताने की है तो दूसरा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। यूपी से 80 लोकसभा सीटें आती हैं और बीजेपी के केंद्र की सत्ता में आने में सूबे का अहम् रोल रहा है, क्योंकि दो तिहाई सीटें पार्टी जीतने में कामयाब रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का फ ोकस यूपी पर खास तौर से है। इसके अलावा अयोध्या आंदोलन से भी योगी आदित्यनाथ का पूराना नाता है, क्योंकि उनके गुरु अवैद्यनाथ राम मंदिर के आंदोलन के मुख्य चेहरा थे। यूपी के सत्ता पर विराजमान होने के बाद से योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को सजाने और संवारने में किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। ऐसे में रामलला के विराजमान होने के मौके पर पीएम मोदी के साथ सीएम योगी की मौजूदगी दोनों ही नेताओं के बीच अच्छी बॉन्डिंग का संदेश देने का है। भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान गर्भ गृह में पांचवें सदस्य के तौर पर पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास मौजूद रहेंगे, क्योंकि उन्हें ही सारे अनुष्ठान कराने हैं। यजमान की भूमिका में पीएम मोदी होंगे तो पूजारी की भूमिका में आचार्य सत्येंद्र दास होंगे। प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर का पट बंद रहेगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान रामलाल की आंख की पट्टी खोली जायेगी। भगवान रामलाल को आईना दिखाया जायेगा। उसके बाद प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी। इसके बाद आरती होगी और पूजन-पाठ संपन्न होगा, जिसे आचार्य सत्येंद्र दास करायेंगे। इसके बाद रामलला की आरती भी करायी जायेगी। आरती के बाद भोग लगेगा और भक्तों में प्रसाद वितरित किया जायेगा।15 जनवरी को रामलला के विग्रह, रामलला के बालरूप की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जायेगा। 16 जनवरी से विग्रह के अधिवास का अनुष्ठान भी शुरू हो जायेगा जो कि प्राण प्रतिष्ठा का पहला कार्यक्रम है, फि र 17 जनवरी को रामलला के विग्रह को नगर भ्रमण के लिये निकाला जायेगा। इसके बाद 18 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा की विधि प्रारंभ होगी और 19 जनवरी को यज्ञ अग्नि की स्थापना की जायेगी। 20 जनवरी को गर्भ गृह को 81 कलश सरयू जल से धोने के बाद वास्तु की पूजा होगी। 21 जनवरी को रामलला को तीर्थों के 125 कलशों के जल से स्नान कराया जायेगा।् आखिर में 22 जनवरी को मध्यान्ह मृगशिरा नक्षत्र में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

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