खाकी संग खादी ने मिलकर चलाया ‘ऑपरेशन कब्जा’, मंत्री के पुत्र का नाम भी चर्चा में

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आबकारी विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं

रेस्टारेंट संचालक, माननीय के पुत्र का नाम भी चर्चा में

पुलिस की इमेज को पहुंची ठेस, होगी सख्त कार्रवाई

आगरा। आगरा के जगदीशपुरा क्षेत्र में निर्दोषों को जेल भेजकर जमीन कब्जाने के मामले में तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार के साथ और भी कई खाकी वाले जिम्मेदार हैं। मगर, उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एनडीपीएस के मुकदमे में चार्जशीट लगाने वाले दारोगा पर अभी आंच नहीं आई है।

आशीष कुमार त्यागी: वर्ष 2019 बैच के दारोगा आशीष कुमार त्यागी वर्तमान में ताजगंज की डिवीजन चौकी पर तैनात हैं। उन्होंने रवि कुशवाह, उसके भाई और ओमप्रकाश के खिलाफ दर्ज एनडीपीएस के मुकदमे की विवेचना की। उन्होंने 22 दिन में ही मामले में चार्जशीट कोर्ट में प्रेषित कर दी। इस पर अब आरोप तय हो रहे हैं। आखिर विवेचक आशीष कुमार ने तथ्य और साक्ष्य क्यों नहीं देखे? क्या आंख बंद कर चार्जशीट लगा दी। उन पर भी अन्य पुलिसकर्मियों जैसी कार्रवाई होनी चाहिए। अभी उनकी तरफ पुलिस अधिकारियों की नजर नहीं है।
शक्ति राठी: वर्ष 2015 बैच के दारोगा शक्ति राठी वर्तमान में आवास विकास सेक्टर चार पुलिस चौकी पर तैनात हैं। रवि कुशवाह और उसके भाई के जेल जाने के बाद रवि की पत्नी पूनम ने अपर पुलिस आयुक्त के कार्यालय में 16 सितंबर को शिकायत की थी। जगदीशपुरा में तैनात दारोगा शक्ति राठी ने जांच पूरी कर रिपोर्ट नहीं दी।
अनुज फोगाट: वर्ष 2015 बैच के दारोगा अनुज फोगाट सराय ख्वाजा पुलिस चौकी पर तैनात हैं। रवि के जेल जाने के बाद आबकारी विभाग के अधिकारियों ने उसकी पत्नी पूनम और बहन पुष्पा को शराब तस्करी में जेल भेजा था। आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ फर्द में अनुज फोगाट भी शामिल थे। तब वे बोदला पुलिस चौकी पर थे। फर्द में उनके मौके पर जाकर शराब बरामद कराने का जिक्र है। ये दारोगा भी अभी कार्रवाई की जद से दूर है।शहर के प्रमुख रोड पर स्थित चार बीघा जमीन पर मंत्री, पुलिस और बिल्डर लंबे समय से आंखें गढ़ाए बैठे थे। कई माह पहले कब्जे की पटकथा लिखी थी। जगदीशपुरा में थाने में मनमाफिक एसओ की तैनाती कराई गई। तैनाती के कुछ दिनों महीने बाद आपरेशन कब्जा के आदेश दिए गए।
वरदहस्त के साथ-साथ कैश का उपहार भी तय हुआ। विवादित जमीनों के लिए चर्चित रहने वाले मंत्री के प्रभाव से पुलिस ने अत्याचार की सभी सीमाएं लांघ दीं। बिल्डर के साथ सदर क्षेत्र के खेल और रेस्टोरेंट संचालक ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब शामिल लोग चेहरे छिपाए बैठे हैं।बिल्डर के मित्र और खेल से जुड़े सदर क्षेत्र के रेस्टोरेंट संचालक ने गोटियां बिछाईं। जमीन की चौकीदारी करने वाले रवि कुशवाहा को कर्ज दिया। कर्ज वसूलने के बहाने जमीन पर आना-जाना शुरू किया। जेल भेजने की धमकी देकर उसे दशहत में रखा। जब यह समझ आया कि दबाव बन गया है तो इसके बाद बिल्डर ने इसका हिसाब-किताब जोड़ा।
सूत्रों का कहना है कि जमीन पर कब्जे की डील के लिए देहात क्षेत्र के एक माननीय का पुत्र भी शामिल हो गया। पूरे खेल में बिल्डर आगे रहे और पीछे से मंत्री और माननीय पुत्र ने पूरी मदद की। बाउंड्री कराने से लेकर मौके पर कब्जा लेने पहुंचने तक मंत्री का कोई रिश्तेदार मौके पर नहीं पहुंचा था। बिल्डर कमल चौधरी डकैती में बेटे समेत नामजद हो गए, लेकिन बाकी किरदार एफआइआर से दूर हैं।
मंत्री ने फोन करके कटवाई थी बिजली जमीन पर कब्जा कराने के खेल में शामिल मंत्री ने रवि कुशवाह के घर की बिजली भी कटवाई थी। इसके लिए मंत्री ने खुद फोन किया था। उम्मीद थी कि बिजली कटने के बाद जमीन के केयरटेकर का परिवार जमीन खाली करके चला जाएगा। मगर, ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस के सहयोग लेकर नया प्लान तैयार किया गया। इसके बाद कब्जा हो गया। सांसद राजकुमार चाहर ने रविवार को पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि निर्दोष परिवार को फर्जी मुकदमे में जेल भेजने वाले पुलिसकर्मियों के साथ ही षड्यंत्रकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। आरोपितों पर ऐसी ही कार्रवाई होनी चाहिए, जो अपराधियों पर होती है। आबकारी विभाग के अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। निलंबित एसओ जितेंद्र के मेाबाइल की काल डिटेल से षड्यंत्रकारियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो।
फर्जी मुकदमे दर्ज करवा कर जमीन पर कब्जा दिलाने के मामले में एक और शख्स की भूमिका चर्चाओं में है। यह शख्स अफसरों के साथ बैठकर सेटिंग के लिए पहचाना जाता है। थानों में तैनाती करवाने के दावे और अफसरों से लेन-देन के रिश्ते बताकर पुलिस से उल्टे-सीधे काम भी करवाता है।मामले में शराब तस्करी का फर्जी मुकदमा लिखाने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को पुलिस ने रिपोर्ट भेजी थी। मगर, अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।आबकारी विभाग के अधिकारी उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
पुलिस आयुक्त पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि जगदीशपुरा जैसी कोई और भी घटना हुई है तो पीड़ित बताएं। फर्जी मुकदमे लिखाकर जमीन पर कब्जे हुए हैं तो उनसे शिकायत करें। पुलिस किसी जमीन को खाली कराने का दबाव बना रही हो तो उन्हें बताएं। मामला भले ही पुराना क्यों न हो। शहर का हो चाहें देहात का। वह सख्त कार्रवाई करेंगे। जमीनों पर कब्जे नहीं होने देंगे। जनता की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है।
पत्रकार वार्ता में पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि इस पूरे प्रकरण से पुलिस की इमेज को ठेस पहुंची है। इस तरह के जो भी अवांछनीय तत्व विभाग में हैं या विभागीय कर्मियों से मिले हुए हैं, उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इसलिए मुकदमा दर्ज कर विभागीय जांच हो रही है, ऐसे लोगों के खिरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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