कमांडेंट शैलेन्द्र प्रताप सिंह को ‘सपने में दिखा जेल’ ,भागा हाईकोर्ट…
मुख्यमंत्री की नीतियों की धज्जियां उड़ाने वाला कमांडेंट, बरेली भागे हाई
एंटी करप्शन डिपार्टमेंट ने कोर्ट में कमांडेंट के खिलाफ लगाया काउंटर,मेरी बात सुनें ना दें जमानत…
बहाली के लिए मांगी गई थी 50,000 की रिश्वत
संजय पुरबिया
लखनऊ। एक बात तो तय हो चला है कि होमगार्ड विभाग में ‘एंटी करप्शन’ की ‘इंट्री’ हो गयी है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर इस विभाग के अफसरों ने जवानों को कितना मजबूर कर दिया है कि वे ना चाहते हुये भी अपने ही कमांडेंट को जेल की सलाखों में भेजने पर मजबूर हो गये हैं। पैसे की हवस में अंधे प्रदेश के अधिसंख्य जिला कमांडेंट संवेदनशील ड्यूटी, खनन ड्यूटी, यातायात ड्यूटी, नोटिस जारी करने एवं जन्मतिथि सुधार के नाम पर प्रति माह लाखों रुपये की अवैध धनराशि ले रहे हैं। हालांकि ये बताने की जरुरत नहीं है कि क्योंकि शासन से लेकर मुख्यालय स्तर के अधिकारियों को उक्त अवैध वसूली की सारी बातें पता है लेकिन…। खैर,बरेली कमांडेंट की वसूली करने वाले जवान गौरव सिंह चौहान तो एंटी करप्शन टीम ने जेल भेज दिया लेकिन कमांडेंट शैलेन्द्र प्रताप सिंह बाहर हैं। जवान ने एंटी करप्शन को साफ तौर पर बताया था कि वसूली की रकम कमांडेंट के कहने पर करते हैं। यही बात बलरामपुर में एंटी करप्शन टीम द्वारा पकड़े गये जवान ने भी कहा था कि गोण्डा कमांडेंट चंदन सिंह के कहने पर वसूल की रकम लेने आया हूं। लेकिन हुआ क्या ? चंदन सिंह स्टे लेकर बाहर घूम रहे हैं लेकिन तेजतर्रार डीजी बी के मौर्य की नजरों पर चढ़ा हुआ है। कुछ यही सोच कर बरेली कमांडेंट शैलेन्द्र प्रताप सिंह भी हाईकोर्ट की शरण में भागा लेकिन एंटी करप्शन टीम ने हाईकोर्ट में काउंटर लगा दिया है।
बताया जाता है कि एंटी करप्शन ने लिखा है कि बिना हमारा पक्ष जाने,इन्हें उपचार न दिया जाये। इस पर कोर्ट ने भी एंटी करप्शन विभाग को अपना पक्ष रखने के लिये कहा है। बात जो भी हो,विभाग की साख को कलंकित करने वाले कमांडेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तो होना ही चाहिये। बता दें कि 14 फ रवरी 2024 को एंटी करप्शन टीम ने 10,000 रुपये की रिश्वत समेत जिला कमांडेंट कार्यालय में तैनात होमगार्ड गौरव सिंह चौहान को रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। रिश्वत एक होमगार्ड जवान सतीश चंद्र वर्मा से बहाली को लेकर ली गयी थी । होमगार्ड से 50,000 रुपये की मांग की गयी थी, फि र सौदा 30,000 रुपये में तय हो गया, जिसमें 10,000 रुपये एडवांस देने थे। शेष रकम बहाली के बाद देने थे। जैसे ही सतीश ने गौरव सिंह चौहान को 10,000 रुपये दिये, उसी वक्त एंटी करप्शन टीम ने होमगार्ड गौरव चौहान को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। गौरव सिंह चौहान से जब पूछताछ हुयी तो पता चला कि उसने वसूली की रकम जिला कमांडेंट शैलेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर लिये थे। आरोपित के बयानों के आधार पर एंटी करप्शन टीम ने जिला कमांडेंट शैलेंद्र प्रताप सिंह को भी एफआईआर में नामजद किया है। घटना के बाद से कमांडेंट की तलाश में एंटी करप्शन टीम लगी है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि एंटी करप्शन टीम से बचने के लिये जिला कमांडेंट हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गया है।
‘द संडे व्यूज’ ने होमगार्ड विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा सवाल खड़े किये हैं। आखिर शासन और मुख्यालय में बैठे अधिकारियों के कान पर जूं क्यों नहीं रेंगता ? होमगार्ड विभाग की धूमिल हो रही छवि के लिये जिम्मेदार कौन है? क्या सिर्फ विभागीय मंत्री और डीजी ही भ्रष्टाचार पर रोक लगायें ? मुख्यालय और शासन में बैठे विभागीय अफसर क्या करेंगे? बता दें कि पूर्व में भी बागपत में एंटी करप्शन टीम ने जब छापामारी की थी तो वहां की महिला कमांडेंट नीता भरतीया पर कई गंभीर आरोप लगे थे। टीम को देख नीता भरतीया भाग निकली थी। जांच बैठी लेकिन भ्रष्टï अफसरों ने पूर्व कमांडेंट को बचा लिया।
बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ाने वाले महा भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश लगाने के लिये कोई ठोस रणनीति क्यों नहीं बनायी जाती ? क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफ र कर देने मात्र से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है।