श्रीनारायण यादव के ‘दोनों हाथ’ नहीं लेकिन हौसलों की उड़ान से हजारों दिव्यांगों का संवार रहें भविष्य

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दिव्यांग बच्चों को शिक्षित कर समाज के मुख्य धारा में जोडऩे का अनाम स्नेह संस्था का भागीरथी प्रयास

अनाम स्नेह संस्था: हजारों दिव्यांग बच्चों को नि:शुल्क एडमिशन कराया,फीस,कॉपी-किताब,खाना भी देती है

‘अनाम स्नेह’ संस्था में पर्दे के पीछे से सहयोग करने वाले असिस्टेंट कमिश्नर- सेल टैक्स ,समाजसेवी जय प्रकाश शुक्ला का प्रयास सराहनीय

   दिव्यांश श्री.

इलाहाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘विकलांग’ शब्द को एक खूबसूरत नाम ‘दिव्यांग’ से सुशोभित किया। प्रधानमंत्री की सोच है कि दिव्यांगों को ‘हिकारत’ या ‘दयाभाव’ की नजरों से ना देखें,क्योंकि ये भी इंसान हैं और सभी जगह अपनी काबिलियत के दम पर अपना नाम रौशन कर रहे हैं। यही वजह है कि आज दिव्यांग वर्ग समाज में सम्मान के नजरिये से देखे जा रहे हैं और प्रशासनिक सेवा से लेकर शिक्षा या सामाजिक सरोकारों में अपने नाम की डंका बजा रहे हैं। आज हम एक ऐसे संस्था की बात कर रहे हैं,जिसे चलाने वाले खुद दिव्यांग हैं। उनके दोनों हाथ तो नहीं है लेकिन हौसलों की उड़ान का अंदाजा आप नहीं लगा सकते। उनके चेहरे पर ‘निश्छल मुस्कान’ और गरीबों के लिये कुछ ‘कर गुजरने का जज्बा’ ही है,जिसे देख दुनिया सलाम करती है। जी हां,उस शख्सियत का नाम है वरिष्ठ समाज सेवी,शिक्षक श्रीनारायण यादव। श्रीनारायण यादव ‘अनाम स्नेह’ संस्था चला रहे हैं,जिसके माध्यम से ये 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के दिव्यांग बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। विद्यालय में प्रवेश कराने से लेकर कॉपी-किताब,भोजन के साथ-साथ हॉस्टल में रहने की सुविधा नि:शुल्क कराते हैं। श्री यादव के भागीरथी प्रयास का असर है कि पिछले कई वर्षों से वे नेक काम करते चले आ रहे हैं,जिससे हजारों की संख्या में गरीब दिव्यांग बच्चे लाभान्वित हुये हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि यादव की नेक-नियति,सपने को साकार करने में ऐसे प्रशासनिक,सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनता-जनार्दन हैं,जो पर्दे के पीछे से रहकर इस मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। इसमें प्रमुख रुप से असिस्टेंट कमिश्नर- सेल टैक्स,समाजसेवी जयप्रकाश शुक्ल का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।

वरिष्ठ समाज सेवी,कर्मचारी नेता रविशंकर मिश्र ने बताया कि यदि कोई दिव्यांग बच्चा,जिसकी उम्र 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक है, पढऩा चाहता है…। प्रवेश लेने में किसी प्रकार की दिक्कत हो रही हो तो वह अनाम स्नेह संस्था से सम्पर्क कर सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार की कई संस्थाएं हैं जहां पर कॉपी- किताब, भोजन के साथ-साथ हॉस्टल की उचित नि: शुल्क व्यवस्था है। खुद दिव्यांग होते हुये बरिष्ठ समाजसेवी शिक्षक श्रीनारायण यादव अनाम स्नेह संस्था बनाया है। संस्था कक्षा एक से लेकर बी.ए.,एम.ए.,एलएलबी एवं कम्प्यूटर कोर्स में दिव्यांग बच्चों को दाखिला दिलाती रही है।

श्री मिश्र ने बताया कि संस्था के माध्यम से हमलोगों की मुहिम वर्ष 2004 से ही जारी है,जिसमें जगतगुरु रामभद्राचार्य विश्वविद्यालय- चित्रकूट, डॉक्टर शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय- लखनऊ, दृष्टिबाधितों के लिये राजकीय दृष्टिबाधित स्कूल- बांदा, लखनऊ, गोरखपुर, मेरठ अस्थि बाधित विकलांग के लिये प्रयास राजकीय अक्षम विद्यालय बढऩी प्रतापगढ़, मोहनलालगंज-लखनऊ, मुख बधिर बच्चों के लिये संकेत लखनऊ, गोरखपुर, सहारनपुर,मंदबुद्धि बच्चों के लिये ममता विद्यालय प्रयागराज, लखनऊ और प्राइवेट संस्थानों में प्रवेश दिलाने का कार्य किया जा रहा है। आज तक सैकड़ो छात्रों का प्रवेश दिलाया गया और कई छात्रों को कॅापी- किताब उपलब्ध कराया गया।

अधिकारी, कर्मचारी, समाजसेवी, जयप्रकाश शुक्ल- असिस्टेंट कमिश्नर- सेल टैक्स,रामपुर कर्मचारी नेता रविशंकर मिश्र, घनश्याम मास्टर, जावेद सिद्दिकी- निदेशक एनजीआईटी, श्रीमती प्रेमलता शुक्ला, शिक्षाविद ब्रह्म प्रकाश तिवारी, समाजसेवी राकेश बनोधा, व्यवसायी अनिल कुमार नीलू के सहयोग से विगत कई वर्षो से हजारों दिव्यांग बच्चों का एडमिशन कराया गया है। इतना ही नहीं, बच्चों को नि:शुल्क किताब, कॉपी, ड्रेस सहित हर जरुरत की चीजें उपलब्ध कराते रहते हैं।

श्रीनारायण यादव ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को पढ़ा- लिखा कर समाज की मुख्य धारा से जोडऩे की मुहिम सबसे बड़ा पुनीत कार्य है। श्री यादव ने बताया कि जब हमलोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढऩे आये थे। उस समय मेरे दोनों हाथ नहीं थे लेकिन जय प्रकाश शुक्ल,असिस्टेंट कमिश्नर- सेल टैक्स,रामपुर  ने हर संभव मदद की। श्री शुक्ल के अंदर हमेशा से दूसरों की मदद करने और मेहनती छात्रों को हमेशा आगे बढऩे के लिये उत्साहित करते थे,तभी आज हमारे जैसे अनगिनत दिव्यांग समाज में सिर उठाकर काम कर रहे हैं। 

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