करण भूषण सिंह से जनता बोली- तोहरे बाप का जितावन,तोहरे महतारी का भी जितावन,अबसी तुहूं का वोट गांज देब, जिताय के भेजब…

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कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी करण भूषण सिंह से जनता बोली

 राजनीति के पिच पर अखाड़े का दांव चल विरोधियों को मात देंगे युवा करण भूषण सिंह

     संजय पुरबिया

गोण्डा

     ‘सबके सपनों के महलों में, रोशनी बन के चमकूंगा,मॉं…

      कमजोरों का मैं बल बनके कंधा दूंगा, हिम्मत दे मां…

      शोला बुझाने की बारिश होकर,मैं बरसूंगा,ये वादा है,मॉं…’

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या से सटी कैसरगंज लोकसभा सीट देश भर में चर्चा में रही। यहां पर भाजपा किसे अपना प्रत्याशी बनायेगी…ये सवाल सभी के जेहन में था लेकिन जुबां से यही निकलता रहा कि कुछ भी हो जाये टिकट तो दबदबा तो है…का दम भरने वाले ताकतवर सांसद बृजभूषण शरण सिंह के पास ही आयेगा…। दिल्ली हाईकमान से लेकर सत्ता का गलियारा, सिर्फ कैसरगंज सीट पर टिकट को लेकर तमाम बतकही होती रही, तमाम दावे ठोंके गये लेकिन आखिर में कैसरगंज लोकसभा सीट बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे करण भूषण सिंह को मिला। अब कैसरगंज लोकसभा सीट का नजारा बदला-बदला सा नजर आ रहा है क्योंकि भाजपा प्रत्याशी कोई नया चेहरा नहीं है,ये वो शख्स है जिसने अपने पिता के सभी चुनावों में उनके साथ पसीना बहाया, ये वो बालक है जिसे गांव की चाची से लेकर अम्मा,बहनी और करीम चच्चा भी करण भईया कहकर बुलाते हैं।

अपने पिता की विरासत को बचाने और जनता-जनार्दन की उम्मीदों पर खरा उतरने सहित तमाम मुद्दों पर ‘द संडेे व्यूज’ से खास बातचीत में भाजपा प्रत्याशी करण भूषण सिंह ने खुलकर अपनी बात रखी। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश…

. भाजपा में कैसरगंज लोकसभा सीट को लेकर खूब माथा-पच्ची हुयी। आखिर में टिकट बृजभूषण शरण सिंह के बेटे यानि आपको मिला,क्या कहेंगे ?

इस पर करण भूषण सिंह ने कहा कि भाजपा के सभी ‘वरिष्ठ’   एवं मेरे ‘पिता जी’ का ‘आशीर्वाद मेरे ऊपर है और पूरी कोशिश करुंगा की पार्टी और कैसरगंज लोकसभा सीट की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरुं। पिछले 15 साल से मैं अपने पिता जी के साथ उनके चुनाव में प्रचार-प्रसार करता रहा,जिसकी वजह से जनता मुझे जानती है और अपने बच्चे की तरह मुझे ‘दुलार’ करती है।

. आप अपने पिता के विरासत को कैसे बढ़ायेंगे ?

देखिये, बृजभूषण शरण सिंह वो नाम है,जिन्होंने अपनी जिंदगी जनता की सेवा में ‘खपा’ दिया। उन्होंने दिन को दिन नहीं, रात को रात नहीं समझा,खूब पसीना बहाया तब जाकर वे लगातार सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया। यही वजह है कि वे जनता के ‘दिलों में राज’ करते हैं। मैं अपने आपको ‘सौभाग्यशाली’ समझता हूं कि वे मेरे पिता हैं…। जहां तक विरासत की बात है तो मैं शुरु से ही सबके बीच में रहकर काम करता रहा लेकिन अब लोकसभा में और अधिक मेहनत करुंगा।

. राजनीति में शह-मात,दांव-पेंच का खेल खूब खेला जाता है। बचपन से आप भी कुश्ती लड़ते चले आ रहे हैं, राजनीति में आप कौन सा दांव मारेंगे ?

ठहाका लगाते हुये भाजपा प्रत्याशी करण भूषण सिंह ने कहा कि ये सच है कि बचपन से ही मैं कुश्ती का शौक रखता था। मेरे पिता जी ही मेरे ‘अखाड़े के गुरु’ हैं। आपको बता दें कि अखाड़े की कुश्ती ही असली ‘कुश्ती’ मानी जाती है। यदि उस समय मैट पर कुश्ती होती तो आज मैं कहीं और नाम कमा रहा होता…। मैंने जो भी दांव-पेंच सीखा, अखाड़े में सीखा…। राजनीति में आया हूं तो पिताजी की ‘राह’ पर चलने की कोशिश करूंगा।

. बचपने की बात करें तो जब आपके पिता बृजभूषण शरण सिंह जनता दरबार लगाते थे तो आप भी वहां बैठते थे। आपने दरबार में फरियादियों की ‘बेबसी’ को किस नजरिये से देखा और क्या सीखा ?

मेरे पिता जी सुबह 5:30 बजे उठ जाते हैं और उसके बाद उनका जनता दरबार शुरु हो जाता है जो दोपहर में लगभग 12 बजे तक चलता है। उनकी कोशिश रहती है कि जो फरियादी उनके पास उम्मीद लेकर आया है,उसे निराश न जाना पड़े। मैंने करीब से देखा है कि छोटी-छोटी समस्याएं,जिन्हें सरकारी मुलाजिम कर सकते हैं लेकिन नहीं करते थे,जिसकी वजह से उन्हें जनता दरबार में आना पड़ता था। चाहें इसे  संस्कार कहिये या जनमानस की समस्याओं को सुनने और देखने का बाल मन, उसी समय से जनता मुझे मेरे ‘नाम’ और ‘चेहरे’ से पहचानती है। प्रचार के लिये क्षेत्र में जाता हूं तो कोई मुझे ‘भईया’ तो कोई ‘बेटवा’ कहकर बुलाता है। मैं वादा करता हूं कि यदि मैं इस लोकसभा सीट से जीतता हूं तो क्षेत्र की जनता केे लिये हर समय समर्पित रहकर काम करूंगा।

. यदि आप जीत जाते हैं तो आपकी प्राथमिकता क्या रहेगी ?

इस पर भाजपा प्रत्याशी ने कहा कि ‘विकास’ कराऊंगा।

.लेकिन आपके पिता भी यहां से लगातार सांसद रहें, उन्होंने भी तो विकास कार्य कराया है,फिर आप ?

ये बात सही है कि पिता जी ने सड़क,बिजली की समस्याओं को दूर कराया है। पहले और अब की बात करें तो यहां की ‘सूरत’ और ‘सिरत’ दोनों पूरी तरह से बदल गयी है लेकिन जहां ‘शेष’ काम बचा है उसे मैं हर हाल में कराऊंगा।

. जब आप गांव में प्रचार के लिये जाते हैं तो सभी आपको पहचानते हैं। कोई ऐसा वाक्या जो गांव की चाची,अम्मा के साथ गुजरा हो…। ये लोग आपसे क्या बोलती हैं, ठेठ अंदाज में क्या कहती हैं ?

इस पर सांसद प्रत्याशी करण भूषण सिंह ने कहा कि प्रचार का समय कम मिला है लेकिन जिस दिन से टिकट फाईनल हुआ मैं अल-सुबह से ही प्रचार में गांव-गांव घूमकर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने जाता हूं। गांव में चाची,अम्मा यही कहती हैं ‘जाओ निश्चिंत रहो… तोहरे बाप का भी जितायन,तोहरे महतारी का भी जितायन,अब सी तुहंू का सब एतना वोट गांज देब,औ जिताय के भेजा जायी। चिंता ना करौ,कौनो लड़ाई नाही है।’

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